इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार (24 दिसंबर 2022) को केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को PMLA केस में जमानत दे दी। कोर्ट द्वारा दी गई इस राहत के बाद सिद्दीकी कप्पन जेल से 26 महीने बाद छूटेगा। उसे यूपी पुलिस ने हाथरस घटना के समय जनता को भड़काने समेत अन्य आरोपों में अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया था।
जानकारी के मुताबिक, कप्पन की जमानत का आदेश हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने पास किया है। इससे पहले 1 नवंबर को लोकल कोर्ट ने इसी याचिका को खारिज किया था और मनी लॉन्ड्रिंग केस में कप्पन जेल में बंद रहा था। उन्होंने इसके बाद हाईकोर्ट का रुख किया जिस पर फैसला शुक्रवार को दिया गया।
इससे पहले 9 सितंबर 2022 को सिद्दीकी कप्पन को सुप्रीम कोर्ट ने यूएपीए के तहत हुई गिरफ्तारी में जमानत दी थी। कोर्ट ने जमानत देते हुए कप्पन का पासपोर्ट जब्त कर लिया था। साथ ही उसे अगले 6 सप्ताह तक दिल्ली में ही रहने और हर सप्ताह जंगपुरा थाने में हाजिर होने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इस अवधि के बाद वह केरल जा सकेगा लेकिन वहाँ भी उसे हाजिरी लगानी होगी।
अक्टूबर 2020 में हुई गिरफ्तारी
बता दें हाथरस घटना के दौरान वहाँ जाते समय सिद्दीकी को गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा PFI से जुड़े अन्य 8 लोगों को भी SIT ने गिरफ्तार किया था। उस समय उसके साथ PFI का भी एक सदस्य था। गिरफ्तारी के बाद यूपी पुलिस की SIT ने सिद्दीकी कप्पन के खिलाफ 5000 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी।
हलफनामे में कप्पन के उन 36 आर्टिकल्स को हाईलाइट किया है जो उसके लैपटॉप से बरामद हुए थे। इन लेखों में निजामुद्दीन मरकज, एंटी सीएए प्रोटेस्ट, दिल्ली दंगे, राम मंदिर, शरजील इमाम जैसे मुद्दों पर बात है।
हलफनामे में कहा गया था कि कप्पन जिम्मेदार पत्रकार की तरह नहीं लिखता था। उसका काम सिर्फ मुस्लिमों को भड़काने का था। उसकी संवेदनाएँ माओवादी और कम्युनिस्टों के साथ थीं। एएमयू में हुए सीएए प्रोटेस्ट पर लिखे लेख में उसने ऐसे दिखाया था जैसे पीटे गए मुस्लिम पीड़ित हों और पुलिस ने उन्हें पाकिस्तान जाने को कहा हो।