Monday, May 6, 2024
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अर्बन नक्सल: हाईकोर्ट ने कहा- किताबों, सीडी से लगता है आप प्रतिबंधित संगठन का हिस्सा हो

वर्नोन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज और अरुण फरेरा को जनवरी 1, 2018 को भीमा कोरेगाँव में हुई हिंसा के सम्बन्ध में गिरफ़्तार किया गया था। तीनों ही आरोपितों के ख़िलाफ़ गैर-क़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज है।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने भीमा कोरेगाँव मामले की सुनवाई करते हुए वर्नोन गोंजाल्विस के पास से मिले आपत्तिजनक पुस्तकों व सीडी को लेकर उनसे सवाल किया। अदालत ने कहा कि जिस प्रकार की पुस्तकें गोंजाल्विस ने अपने घर में रखी है, उससे प्रतीत होता है कि वह प्रतिबंधित संगठन का हिस्सा हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट तीन आरोपित वर्नोन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज और अरुण फरेरा की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है। जनवरी 1, 2018 को भीमा कोरेगाँव में हुई हिंसा के सम्बन्ध में इन तीनों को गिरफ़्तार किया गया था।

कोर्ट ने इस बात पर नाराज़गी जताई कि गोंजाल्विस के घर से मिले पुस्तकों व सीडी को पुलिस ने बरामद वस्तुओं की सूची में नहीं रखा था। अदालत ने पूछा कि उनके अंदर क्या है? साथ ही हाईकोर्ट ने उन्हें भी चार्जशीट का हिस्सा बनाने की सलाह दी। गोंजाल्विस के घर से जय भीम कॉमरेड की सीडी और आनंद पटवर्धन की डॉक्यूमेंट्री मिली। कबीर कला मंच द्वारा जारी सीडी राज्य दमन विरोधी, मार्क्सिस्ट आर्काइव्स, वार एंड पीस इन जंगलमहल, अंडरस्टैंडिंग माओइस्ट, आरसीपी रीव्यू गोंजाल्विस के घर से बरामद की गईं।

अदालत ने गोंजाल्विस से पूछा की ये किताबें और सीडी उनके घर में क्या कर रही थीं? तीनों ही आरोपितों के ख़िलाफ़ गैर-क़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया गया था। गोंजाल्विस के पास मिली एक सीडी के नाम में ही ‘राज्य के दमन का विरोध’ था, जिस पर कोर्ट ने आपत्ति जताई।

पुणे पुलिस का कहना है कि 31 दिसंबर 2017 को आयोजित किए गए एलगार परिषद के कार्यक्रम का माओवादियों ने समर्थन किया था और उस कार्यक्रम में उकसाने वाले भाषण दिए गए थे जिससे अगले दिन वहां हिंसा भड़क गई थी। गोंजाल्विस के वकील का कहना है कि उनके ख़िलाफ़ सारा मामला कम्प्यूटर से मिले ईमेल और पत्रों के आधार पर बनाया गया है।

गोंजाल्विस के वकील ने अदालत में बहस करते हुए कहा कि सिर्फ़ ऐसी सामग्रियाँ रखने भर से ही कोई व्यक्ति आतंकवादी या माओवादी नहीं बन जाता। उन्होंने गोंजाल्विस के जमानत की माँग की। अदालत ने बचाव पक्ष को कहा कि उन्हें जवाब देना पड़ेगा कि ये चीजें उनके पास क्यों थीं? साथ ही पुणे पुलिस को भी हाईकोर्ट ने कहा कि वो साबित करे कि ये सामग्रियाँ गोंजाल्विस के ख़िलाफ़ ठोस सबूत की तरह हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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