बिहार के गोपालगंज के बसडीला गाँव में कट्टरपंथी मुस्लिम भीड़ ने सब्जी खरीदने गए अंकित नाम के युवक की शुक्रवार (27 जनवरी, 2023) शाम को चाकू मार कर हत्या कर दी थी। इस हमले में हरिओम नाम का एक अन्य युवक घायल हुआ था, जिनका इलाज गोरखपुर में चल रहा है। जिला प्रशासन द्वारा कुल 9 लोगों की गिरफ्तारी की पुष्टि हुई है, जबकि 3 अन्य आरोपितों ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। उधर अंकित के पिता ने अपने भविष्य को लेकर चिंता जताई है। इस मामले में पीड़ित परिवार तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हिन्दू संगठनों का आरोप है कि उन्हें मृतक के घर जाने नहीं दिया जा रहा है।
3 सरेंडर, 9 गिरफ्तारियाँ
अंकित हत्याकांड में बिहार पुलिस ने अब तक 9 गिरफ्तारियों की पुष्टि की है। इन आरोपितों में मुरी मियाँ, मुन्ना मियाँ, तारमुनी खातून, अकबरी खातून, अफरोज आलम, फिरोज आलम, आदिल, सोनू मियाँ और एक नाबालिग किशोरी आएशा खातून (बदला हुआ नाम) है। इस मामले में SIT का गठन कर दिया गया है।
पुलिस के मुताबिक तीन अन्य आरोपितों ने कुर्की के डर से कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। इनके नाम शहादत मियाँ, शमशेर मियाँ और सुभान अहमद हैं। शहादत और शमशेर सगे भाई हैं, जिनके अब्बा का नाम टेम्पु है। इस केस में अभी भी 4 आरोपित फरार चल रहे हैं जिनकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।
अंकित के पिता को नहीं है संतोष
ऑपइंडिया ने मृतक अंकित के पिता मोहन से बात की। मोहन ने कहा कि उनका बेटा अब वापस नहीं आने वाला है, इसलिए किसी भी कार्रवाई से संतुष्ट होने का कोई सवाल ही नहीं है। मोहन के मुताबिक अगर कोई उन्हें संतुष्ट करना चाहता है तो उनके बेटे को वापस लौटा दे।
खुद को बीमार और अंकित को घर का खर्च चलाने वाला बताते हुए मोहन कुशवाहा ने कहा कि उनके और उनके परिवार का भविष्य में गुजरा कैसे चलेगा ये कोई नहीं जानता। उन्होंने बताया कि बिहार सरकार की तरफ से उन्हें अभी तक सिर्फ अधिकारियों के आश्वासन के अलावा कोई भी आर्थिक मदद नहीं दी गई, जबकि अब उनका जीवन चलाना सरकार का फर्ज है।
अंकित के पिता लकवाग्रस्त, उठ गया सहारा
मृतक अंकित के पिता मोहन ने हमें आगे बताया कि वो चाहते हैं कि उनके बेटे की एक प्रतिमा स्थापित की जाए, जिससे अंकित की याद बनी रहे और उनका परिवार उसकी पूजा करता रहे। प्रशासन द्वारा अपने परिवार पर कोई FIR या कानूनी कार्रवाई की जानकारी मोहन को नहीं है। उन्होंने बताया कि फ़िलहाल इस बावत उन्हें कोई नोटिस या सरकारी कागज नहीं प्राप्त हुआ है।
बातचीत के दौरान उन्होंने हमसे सवालिया लहजे में कहा कि प्रशासन उन पर कोई भी कार्रवाई कर सकता है तो क्या वो उनसे सवाल भी नहीं पूछ सकते? अंकित के पिता ने खुद को किसान बताया और कहा कि पुलिस मुकदमा दर्ज करे या उनकी जान चली जाए, इसका उन्हें अब कोई डर नहीं। एक ग्रामीण के मुताबिक अंकित के पिता लकवे से ग्रस्त हैं, जिसके चलते उनका भी आर्थिक बोझ अंकित ही उठाता था।
हिन्दुओं के हर धार्मिक कार्यक्रमों में विवाद
ऑपइंडिया ने उसी गाँव में अंकित के पड़ोसी और लोक जनशक्ति पार्टी के जिलाध्यक्ष उपेंद्र कुमार से बात की। उपेंद्र ने हमें बताया कि उनके क्षेत्र में जब भी हिन्दुओं का कोई धार्मिक त्यौहार होता है, तब विवाद बढ़ जाता है लकिन इतनी जघन्य घटना पहली बार घटी है।
उपेंद्र के अनुसार गाँव में अभी तक पुलिस का पहरा है। उपेंद्र ने बताया कि बिहार सरकार की तरफ से अभी तक सिर्फ सहानभूति और आश्वासन मिला है जबकि पीड़ित परिवार खुद को मिलने वाली आर्थिक सहयोग की उम्मीद कर रहा है।
गाँव में मुस्लिम आबादी 25%
उपेंद्र ने हमें बताया कि उनके गाँव में मुस्लिम आबादी 25% है, जो फ्री होकर अपने मज़हबी कार्यक्रम करते रहते हैं। अंकित का एक अकेला भाई बचा है, जिसका नाम रमन है। हमें बताया गया कि अंकित ने बेहद छोटी उम्र में अपने घर का खर्च संभाल लिया था और अब उनका परिवार उम्मीद छोड़ रहा है। हमलावरों को उन्मादी और अपराधी बताते हुए उपेंद्र ने हमें बताया कि उनके क्षेत्र में एक खास वर्ग के लोग लूट और चोरी जैसे अपराधों में शामिल रहते हैं।
अस्पताल से लौट आया हरिओम
अंकित के ही गाँव के उपेंद्र ने हमें बताया कि हमले में घायल हरिओम अस्पताल से घर लौट आया है और उनकी हालत स्थिर है। उन्होंने बताया कि हरिओम गोरखपुर के एक अस्पताल में ICU वार्ड में भर्ती था। हरिओम के घर वालों को बेहद डरा हुआ और परेशान बताते हुए उपेंद्र ने कहा कि अभी वो लोग किसी से भी बात करने की स्थिति में नहीं हैं। हरिओम की हालत फिलहाल स्थिर बताई गई।