मध्यप्रदेश के भोपाल से 14 किलोमीटर दूर एक गाँव ‘इस्लाम नगर‘ अब ‘जगदीशपुर’ नाम से जाना गया जाएगा। केंद्र सरकार ने गाँव का नाम बदलने की अनुमति दे दी है। पिछले 30 सालों से इसे आधिकारिक रूप से जगदीशपुर बनाने की कोशिश की जा रही थी, जिसके लिए समय-समय पर कोशिशें होती रहीं। लोगों का ऐसा मानना रहा कि जो जगदीशपुर कभी मुगल आक्रांताओं के धोखे से खून में लाल होकर इस्लाम नगर हुआ उसका नाम जगदीशपुर हो जाए तो वही बेहतर है।
#MadhyaPradesh #भोपाल से 14 किलोमीटर दूर ऐतिहासिक स्थान #इस्लामनगर को केंद्र सरकार ने गांव का नाम जगदीशपुर करने की हरी झंडी दे दी है। दोस्त मोहम्मद खान ने 308 साल पहले इसका नाम इस्लाम नगर किया था। इसका नाम वापस जगदीशपुर करने की फाइलें 30 साल से चल रही हैं। #islamnagar pic.twitter.com/Jr40ntWzl0
— Shaikh Shakeel (@ShakeelABP) February 2, 2023
30 सालों से हो रही थी इस्लाम नगर का नाम जगदीशपुर रखने की माँग
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट बताती है कि इस्लाम नगर का नाम वापस जगदीशपुर करने के लिए ग्राम पंचायत प्रस्ताव पारित कर चुकी है जिसके बारे में 1993 में एक प्रतिवेदन में बता दिया गया था। पत्र में साफ था कि सभी ग्रामवासी गाँव का नाम बदलना चाहते हैं ताकि वहाँ तनाव की स्थिति न हो। ग्रामवासियों में हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल है। इसके बाद साल 2008 में भी इस संबंध में एक प्रस्ताव को राज्य सरकार ने सहमति दी थी लेकिन तब कॉन्ग्रेस की यूपीए सरकार से इसके लिए एनओसी नहीं मिल पाई।
छल–बल से बदली गई पहचान अब अपने मूल की ओर। जगदीशपुर अब जगदीशपुर ही कहलाएगा। #Jagdeeshpur #Bhojpal @OfficeofSSC @ChouhanShivraj @CMMadhyaPradesh pic.twitter.com/mcYjq3qzbz
— लोकेन्द्र सिंह राजपूत (Lokendra Singh Rajput) (@lokendra_777) February 2, 2023
2014 में फिर केंद्र से एनओसी माँगी गई और 2021 में जाकर गृह मंत्रालय की ओर से सितंबर में एनओसी जारी कर दी गई। इसी क्रम में अब इस्लाम नगर का नाम जगदीशपुर किया गया। इस संबंध में मध्यप्रदेश के राजस्व विभाग द्वारा अधिसूचना जारी की गई। लोगों ने इस फैसले के बाद यही कहा कि इस गाँव की पहचान हमेशा जगदीशपुर ही थी। गाँव के सभी लोग ये नाम चाहते थे।
खून से नदी लाल करके बदला गया था जगदीशपुर का नाम
मालूम हो कि जिस जगदीशपुर को दोबारा जगदीशपुर बनाए जाने की जद्दोजहद 30 सालों से चल रही थी, उसका इतिहास जितना सुनहरा है उतना ही रौंगते खड़े करने वाला भी। आज भी इस जगह पर 11वीं सदी के परमार कालीन मंदिर के पत्थर मिलते हैं। इसके अलावा यहाँ एक गोंड महल भी है। गोंड शासन के बाद इस जगह पर राजपूतों का राज रहा। मगर 1715 में औरंगजेब के सैनिक दोस्त मोहम्मद खान ने धोखे से उनपर प्रहार कर दिया और जगदीशपुर को इस्लाम नगर बना कर रख दिया।
बताते हैं कि जब दोस्त मोहम्मद खान ने राजपूतों पर वार किया तो उनके खून से एक नदी लाल हो गई थी और उसके बाद से उसका नाम हलाली नदी (Halali Damn) पड़ गया। आज कई हिंदूवादी नेता इस नदी का नाम बदलने की कोशिशों में लगे हुए हैं क्योंकि ये नाम याद दिलाता है कि कैसे मित्रता का हाथ बढ़ाकर राजाओं का गला रेता गया।
दोस्त मोहम्मद खान ने भोज पर बुलाकर रेता राजपूतों का गला
बात सन् 1715 की है। जगदीशपुर के राजा देवरा चौहान का नाम पूरे भोपाल में होने लगा था। धीरे-धीरे दोस्त खान तक बात पहुँची और उसने दोस्ती का षड्यंत्र रचा। इसके बाद जगदीशपुर के राजा के आगे मित्रता का हाथ बढ़ाया गया, फिर उन्हें बेस नदी के किनारे भोज पर निमंत्रण दिया गया।
जब राजा ने ये निमंत्रण स्वीकारा तो दोनों तरफ के 16-16 लोग बेस नदी के किनारे भोज पर मिले। खाना आरंभ हुआ तभी दोस्त मोहम्मद खान पान खाने के बहाने वहाँ से निकला और टेंट काटकर उन सभी लोगों का गला रेत डाला जो वहाँ बैठकर भोज कर रहे थे। इस तरह दोस्त मोहम्मद खान ने जगदीशपुर पर कब्जा किया और उसका नाम इस्लामनगर कर दिया गया।
दोस्त मोहम्मद खान को बताया जाता है- भोपाल का निर्माता
कुछ लोग ऐसे क्रूर दोस्त मोहम्मद खान को भोपाल का निर्माता बताते हैं। वहाँ के ऐतिहासिक धरोहरों का श्रेय उसको देते हैं, मगर हकीकत क्या है ये मात्र हलाली नदी और इस्लाम नगर जैसे नामों के इतिहास के पता किया जा सकता है। समय के साथ इसी इस्लाम नगर को जगदीशपुर बनाने की माँगे हमेशा उठीं क्योंकि लोगों ने कभी भुलाया ही नहीं कि किस प्रकार हिंदुओं के कत्लेआम के बाद गाँव का नया नामकरण हुआ। लोगों को जितना जगदीशपुर के इस्लामनगर बनने की कहानी के बारे में पता चलता था उतना ही वह इस बात को कहते थे कि जल्द से जल्द ग्राम का नाम बदला जाना चाहिए। तमाम प्रयासों के बाद 308 साल बाद ये संभव हो पाया कि जगदीशपुर दोबारा जगदीशपुर बना।