Friday, November 22, 2024
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जिस जॉर्ज सोरोस को PM मोदी से नफरत, उसका संगठन मोहम्मद जुबैर को दिलाना चाहता था नोबल प्राइज: ALTNews की फंडिंग से ऐसे जुड़े हैं भारत विरोधियों के तार

'ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन' की वेबसाइट के अनुसार, Poynter को चार बार फंडिंग की गई। पहली बार साल 2016 में ग्लोबल फैक्ट-चेकिंग समिट के लिए 25000 अमेरिकन डॉलर दिए गए।

सोमवार (20 फरवरी, 2023) को ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक और संदिग्ध फैक्ट-चेकर मोहम्मद ज़ुबैर ने एक ट्वीट में ‘टाइम्स नाउ’ की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट शेयर किया था। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा था, “दर्शकों! यहाँ विशेष जानकारी दी जा रही है। यहाँ बताया गया है कि मोहम्मद जुबैर को जॉर्ज सोरोस से कैसे जुड़ा हुआ है। इसको लेकर यशस्वी जी।”

मोहम्मद जुबैर द्वारा शेयर किया स्क्रीनशॉट टाइम्स नाउ के एक कार्यक्रम का था। इस कार्यक्रम में दिखाया गया था कि पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ओस्लो (PRIO) और इंटरनेशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क (IFCN) चलाने वाले पोयन्टर इंस्टीट्यूट फॉर मीडिया स्टडीज को जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन द्वारा फंडिंग की जाती है। PRIO और IFCN दोनों के ही ऑल्ट न्यूज और मोहम्मद जुबैर से संबंध हैं।

आप यहाँ ‘टाइम्स नाउ’ के उस वीडियो को देख सकते हैं जिसका स्क्रीनशॉट मोहम्मद जुबैर ने शेयर किया था।

फैक्ट चेक का लाइसेंस

IFCN ने साल 2019 में ऑल्ट न्यूज को इंटरनेट पर होने वाले विभिन्न तरह के दावों को फैक्ट-चेक करने के लिए एक स्थापित मीडिया हाउस के रूप में मान्यता दी थी। IFCN से मान्यता मिलने के बाद ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद जुबैर ने ऑल्ट न्यूज के जरिए एक साल तक अपनी पसंद के हिसाब से प्रोपेगैंडा चलाया। हालाँकि एक साल बाद यानी साल 2020 में यह मान्यता समाप्त हो गई। Poynter की वेबसाइट पर इस बारे में पूरी जानकारी देखी जा सकती है।

‘ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन’ की वेबसाइट के अनुसार, Poynter को चार बार फंडिंग की गई। पहली बार साल 2016 में ग्लोबल फैक्ट-चेकिंग समिट के लिए 25000 अमेरिकन डॉलर दिए गए। वहीं साल 2017 में “इंटरनेशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क की रिपोर्टिंग, लेखन, शिक्षण, सम्मेलन और विचार नेतृत्व को बढ़ाकर दुनिया भर में फैक्ट-चेकर्स के समर्थन को बढ़ाने के लिए” 300000 अमेरिकन डॉलर की फंडिंग की गई।

इसके अलावा साल 2018 में इंटरनेशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क को वेतन देने के लिए 122000 डॉलर की सहायता प्रदान की गई थी। यह सहायता इसलिए दी गई थी ताकि फैक्ट-चेकर्स अपने काम और पढ़ाई जारी रख सकें। वहीं, साल 2019 में, पैन-यूरोपीय फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क स्थापित करने के लिए 45000 अमेरिकी डॉलर दिए गए थे।

PRIO के फंडर्स की सूची में सोरोस की नींव हर जगह है

पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ओस्लो (PRIO) की वेबसाइट के इनकम पेज पर, जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन का जिक्र चार बार किया गया है। PRIO को आखिरी बार साल 2021 में सहायता मिली थी। हालाँकि सहायता कितनी मिली थी इस बारे में कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है। ओपन सोसायटी फाउंडेशन ने PRIO को साल 2018, 2019, 2020 और 2021 में फंडिंग की थी। हालाँकि ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन की वेबसाइट पर दिखाया गया है कि उन्होंने साल 2017 में PROI को 140000 अमेरिकी डॉलर की फंडिंग की थी।

ट्विटर यूजर द हॉक आई ने अपने ट्वीट में ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को लेकर कहा है, “हर्ष मंदर और ऑल्ट न्यूज को नोबल के लिए नामांकित बताने वाले PRIO को ओपन सोसायटी फाउंडेशन (OSF) और RAND द्वारा फंडिंग की जाती है। साल 2018 में ऑल्ट न्यूज को निष्पक्ष बताते हुए मान्यता देने वाले IFCN को ओपन सोसायटी फाउंडेशन तथा ओमिड्यार द्वारा फ़ंडिंग की जाती है। उन्होंने आगे कहा है, “सोरोस से जुड़े रहने के लिए खुद को इतना महत्वपूर्ण मत समझिए। वे एक पारिस्थितिकी तंत्र को फंडिंग करते हैं, किसी व्यक्ति को नहीं।”

ऑपइंडिया से बात करते हुए, द हॉक आई ने कहा है, "जिस संगठन PRIO ने कारवाँ-ए-मोहब्बत, हर्ष मंदर के एनजीओ और ऑल्ट न्यू के सह-संस्थापकों, प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद जुबैर को नामांकित किया था उसे ओपन सोसाइटी फाउंडेशन और RAND कॉर्पोरेशन का समर्थन प्राप्त है। इसी तरह, इंटरनेशनल फैक्ट चेकिंग नेटवर्क (IFCN) ने साल 2019 में ऑल्ट न्यूज को मान्यता दी थी। दिलस्चप बात यह है कि वामपंथी झुकाव वाली कंचन कौर के आकलन के आधार पर ऑल्ट न्यूज को मान्यता दी गई थी।"

उन्होंने आगे कहा है, "यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि IFCN उन संस्थानों को मान्यता देता है जो 'निष्पक्ष' फैक्ट-चेकर हों। इसलिए ऑल्ट न्यूज को मान्यता देने को लेकर लोगों ने IFCN की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए थे। IFCN की मान्यता हर साल रिन्यू कराना पड़ता है। लेकिन ऑल्ट न्यूज ने इसके लिए आवेदन नहीं किया। अब ऑल्ट न्यूज ने आवेदन क्यों नहीं किया इसका कारण IFCN तथा मोहम्मद जुबैर को अच्छी तरह पता है। Poynter को भी ओपन सोसायटी फाउंडेशन और ओमिडयार द्वारा फ़ंडिंग दी जाती है।"

उन्होंने यह भी कहा है कि नोबेल शांति पुरुष्कार मिलने की संभावना न होने के बाद भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नाम बनाने के लिए इस तरह के हथकण्डे अपनाए जाते हैं। अब जुबैर को "नोबेल शांति पुरस्कार के नामांकित व्यक्ति" के रूप में जाना जाता है।

ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क लिंक

खोजी पत्रकार विजय पटेल ने भी ऑल्ट न्यूज और जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन के बीच संबंधों को लेकर बताया है। विजय पटेल ने एक ट्वीट में कहा है कि कोर्ट में मोहम्मद जुबैर का पक्ष रखने वाले वकील कॉलिन गोंसाल्विस के पास ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क (HRLN) नाम का एक फाउंडेशन है। इसे फाउंडेशन को ओपन सोसाइटी फाउंडेशन और फोर्ड फाउंडेशन समेत अन्य से फंडिंग मिलती है।

इसके अलावा, प्रतीक सिन्हा की माँ, निर्झरी मुकुल सिन्हा गुजरात में HRLN की एक शाखा चलाती थीं। निर्झरी मुकुल सिन्हा भी ऑल्ट न्यूज़ की मूल कंपनी प्रावदा मीडिया फाउंडेशन को फंडिंग करतीं हैं। ऑल्ट न्यूज़ ने वर्षों से अपनी वेबसाइट पर फंडिंग और खर्च का खुलासा नहीं किया है। स्क्रीनशॉट के आर्काइव पेज लिंक देखने के लिए आप यहाँ और यहाँ क्लिक कर सकते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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