दिल्ली हाई कोर्ट ने सेना में भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएँ खारिज कर दीं। कोर्ट ने कहा है कि अग्निपथ योजना सेना को बेहतर करने और देश में लाई गई योजना है। इसलिए सरकार के इस फैसले पर हस्ताक्षेप करने की कोई वजह नहीं दिखाई देती।
सोमवार (27 फरवरी 2023) को हुई सुनवाई में दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने अग्निपथ के खिलाफ दाखिल की गई सभी 23 याचिकाएँ खारिज कर दीं। खारिज की गई इन याचिकाओं में से 5 में अग्निपथ योजना को चुनौती दी गई थी। वहीं 18 याचिकाओं में पिछली भर्ती योजना के अनुसार नियुक्ति करने की माँग की गई थी।
दिल्ली हाई कोर्ट ने सभी 23 याचिकाओं को खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा है, “इस अदालत को अग्निपथ योजना में हस्तक्षेप करने की कोई वजह नहीं मिली। सभी याचिकाएँ खारिज की जाती हैं। हम इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि यह योजना देश के हित में शुरू की गई थी।”
इससे पहले 15 दिसंबर 2022 को हुई सुनवाई में दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने का बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। हालाँकि फैसला सुरक्षित रखते हुए कोर्ट ने यह भी कहा था कि यदि किसी को कोई आपत्ति है तो वह अपनी दलीलों को लिखित रूप में कोर्ट में दाखिल कर सकता है।
गौरतलब है कि अग्निपथ को देशभर की अलग-अलग अदालतों में चुनौती दी गई। इसके बाद 19 जुलाई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने योजना को चुनौती देने वाली अभी याचिकाओं को दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था।
दरअसल केंद्र सरकार ने सशस्त्र सेना में युवाओं की भर्ती के लिए 14 जून 2022 को अग्निपथ योजना लॉन्च की थी। इस योजना के तहत साढ़े 17 से 21 वर्ष की आयु के युवा सेना में भर्ती होने के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस योजना से सेना में भर्ती हुए सैनिकों को अग्निवीर कहा जाएगा। ये सभी चार साल के कार्यकाल के लिए सेना में भर्ती होंगे। हालाँकि 4 साल बाद, इनमें से 25 प्रतिशत सैनिकों को उनकी योग्यता के अनुसार सशस्त्र बलों में नियमित किया जाएगा।
बता दें कि इस योजना के लॉन्च होने के बाद कई राज्यों में इसका विरोध किया था। इस विरोध का कारण इसको लेकर फैलाई गई अफवाह थी। हालाँकि बाद में यह विरोध थम गया था। लेकिन विपक्षी दल अब तक इस योजना का विरोध करते आए हैं। चूँकि अब दिल्ली हाई कोर्ट ने इस योजना को देश हित में करार दिया है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि विपक्ष अब योजना का विरोध नहीं करेगा।