यह यात्रा एक बेटे के मातृ सेवा संकल्प की यात्रा है। 2018 से चल रही इस यात्रा में बेटे ने माँ को लेकर हजारों किलोमीटर की दूरी नापी है। देश के कई मंदिर माँ-बेटे की इस यात्रा के पड़ाव रहे हैं। यह यात्रा है कर्नाटक के मैसूर के दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार (Dakshinamurthy Krishna Kumar) और उनकी माँ की।
44 वर्षीय कृष्ण कुमार सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहे हैं। लेकिन माँ की इच्छा पूरी करने के लिए मोटी कमाई वाली नौकरी छोड़ दी। नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने दिवंगत पिता से उपहार में मिला स्कूटर उठाया और माँ को देश के सभी मंदिरों का दर्शन कराने की यात्रा पर निकल पड़े। उनकी यह यात्रा जनवरी 2018 में शुरू हुई थी। इस दौरान उन्होंने स्कूटर से कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक कई मंदिरों के दर्शन किए।
वह अपनी माँ के साथ स्कूटर पर भूटान, म्यांमार और नेपाल भी जा चुके हैं। 2015 में उनके पिता का निधन हो गया था। अब वह इस स्कूटर को ही पिता का प्रतिरूप मानते हैं। सोशल मीडिया पर बीते कई सालों से उनके कई वीडियो वायरल हुए हैं, जिनमें वह अपनी माँ के साथ स्कूटर से यात्रा करते हुए नजर आए।
This is a Gap Year I wish I had! Dakshinmurthy Krishna Kumar from Mysore left his banking job and travelled with his mom on a
— Manoj Kumar (@manoj_naandi) October 23, 2019
scooter. A total of 48100 KMs. The reason? His mother had not stepped out of her town & he wished to show her India! #TuesdayMotivation pic.twitter.com/HlVJVcAXkH
अक्टूबर 2019 में भी उनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्हें अरुणाचल प्रदेश में देखा गया था। इसमें उन्होंने अपनी माँ को पूरे भारत के मंदिरों के दर्शन कराने का कारण बताया था। वीडियो में वह कहते हैं, “मेरा नाम डी कृष्ण कुमार है। मेरी माता जी का नाम चूड़ारत्ना है। हम कर्नाटक के मैसूर में रहते हैं। ये मातृ सेवा संकल्प यात्रा है। पहले हम 10 लोगों के संयुक्त परिवार में रहते थे। उस समय मेरी माँ सुबह से लेकर शाम तक पूरे घर का काम करती थीं। रसोई पकाना, कपड़े धोना, बर्तन साफ करना और जमीन पोछना। इन्हीं कामों में उनका समय बीत गया। वह कभी घर से बाहर नहीं निकलीं। चार साल पहले (2015) मेरे पिता का निधन हो गया। उस समय मैं मंगलोर में काम करता था।”
Meet D Krishna Kumar, a modern-day #ShravanKumar from Mysore, who recently took his mother on a pilgrimage on a 20-year-old Bajaj Chetak. This heartwarming story is a reminder to cherish our loved ones and fulfill their #wishes.#MotherSonBonding #Pilgrimage #FamilyTime pic.twitter.com/JxdoZw6Oha
— Srijan Pal Singh (@srijanpalsingh) April 11, 2023
अपनी बात को जारी रखते हुए वे आगे कहते हैं, “एक दिन बातों-बातों में मैंने माँ से मंदिरों के बारे में पूछा और कहा कि क्या आप यहाँ गई हैं? इस पर उन्होंने कहा कि मैं तो आज तक अपने घर के पास वाले मंदिर तक नहीं गई। यह सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ कि मुझे जन्म देने वाली माँ अभी तक घर के पास वाले मंदिर के दर्शन भी नहीं कर पाई हैं। उस समय मैंने दृढ़ संकल्प लिया और कसम खाई कि माँ मैं आपको घर के पास ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के मंदिरों के दर्शन करवाऊँगा। 16 जनवरी 2018 को मैंने मातृ सेवा संकल्प यात्रा शुरू की, वो भी अपने 20 साल पुराने स्कूटर से। इस स्कूटर को मेरे पिता जी ने मुझे उपहारस्वरूप दिया था। मुझे ऐसे लगता है कि जैसे स्कूटर के रूप में मेरे पिता जी हमारे साथ-साथ चल रहे हैं। मैं उनकी एक ही संतान हूँ। ऐसा लगता है कि जैसे हम तीनों साथ में तीर्थ यात्रा कर रहे हैं।”
एएनआई से बात करते हुए कुमार ने कहा, “मैंने अपनी माँ के साथ स्कूटर पर 67,412 किलोमीटर की दूरी तय की है। मेरे पिता की सरकारी नौकरी थी। 2015 में उनका निधन होने के बाद मैं अपनी माँ के साथ बेंगलुरु चला गया और एक कंप्यूटर इंजीनियर के रूप में काम किया। मैंने शादी नहीं करने और अपनी माँ के साथ रहने का फैसला किया है।” वहीं, अपने बेटे दक्षिणामूर्ति के बारे में बात करते हुए 73 साल की चूड़ारत्ना कहती हैं, “मेरे बेटे ने स्कूटर से मुझे पूरा देश घुमाया है। मेरा बेटा आज का श्रवण कुमार है। भगवान सबको ऐसा बेटा दे, जो अपने माता-पिता की सेवा करे। मैं इस यात्रा से बहुत खुश हूँ और मेरी तबीयत भी बिल्कुल ठीक है।”