Saturday, June 21, 2025
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60% मुस्लिम, कॉन्ग्रेस के हुसैन परिवार का दबदबा… कुंदरकी जैसी ही है सामागुरी में BJP की जीत भी: असम-मेघालय में NDA का क्लीन स्वीप

असम की सामागुरी सीट पर बीजेपी की जीत खास चर्चा में रही, क्योंकि यह मुस्लिम बहुल क्षेत्र और कॉन्ग्रेस का गढ़ माना जाता था। बीजेपी के दिप्लु रंजन सरमा ने यहाँ 24,501 वोटों से जीत दर्ज की।

बीजेपी की अगुवाई वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) ने असम और मेघालय के उपचुनावों में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए सभी 6 सीटों पर जीत दर्ज की। असम में 5 सीटें बीजेपी, असम गण परिषद (अगप) और यूनाइटेड पीपल्स पार्टी-लिबरल (यूपीपी-लिबरल) ने जीतीं, जबकि मेघालय में एनडीए के घटक दल नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) ने एक सीट अपने नाम की।

असम की सामागुरी सीट पर बीजेपी को मिली जीत खास चर्चा का विषय रही। यह सीट मुस्लिम बहुल क्षेत्र में आती है, और इसे कॉन्ग्रेस का गढ़ माना जाता था। जैसे उत्तर प्रदेश के कुंदरकी में बीजेपी की अप्रत्याशित जीत ने सबको चौंकाया, वैसे ही सामागुरी में बीजेपी की सफलता ने राजनीतिक विश्लेषकों को हैरान किया।

दरअसल, सामागुरी सीट नागाँव जिले में आती है। यहाँ के सामागुरी, रुपाही और ढींग जैसे इलाकों में 60 से 92 प्रतिशत तक मुस्लिम वोटर हैं। साल 2011 के जनसंख्या के आँकड़े भी इसकी गवाही देते हैं। इस सीट पर 1981 से अब तक सिर्फ एक बार (1996) को छोड़कर मुस्लिमों को ही जीत मिली। रकीबुल हुसैन 2001, 2006, 2011, 2016 और 2021 में भी जीत हासिल कर चुके थे, इस साल के लोकसभा चुनाव में रकीबुल ने धुबरी सीट से जीत हासिल की, जिसकी वजह से यहाँ उप-चुनाव हुआ। कॉन्ग्रेस ने रकीबुल के बेटे और NSUI के सचिव-कोषाध्यक्ष तंजिल हुसैन को टिकट दिया था, लेकिन तंजिल को बुरी तरह से हार झेलनी पड़ी।

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सामागुरी में बीजेपी की जीत को असम की राजनीति में ‘मील का पत्थर’ करार दिया। बीजेपी के प्रत्याशी दिप्लु रंजन सरमा ने कॉन्ग्रेस के उम्मीदवार तंजील हुसैन को 24,501 वोटों से हराया। बीजेपी ने इस सीट से अल्पसंख्यक और परिवारवादी राजनीति का गुरूर तोड़ते हुए कॉन्ग्रेस के गढ़ को ध्वस्त कर दिया।

मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि शुरुआत में सामागुरी को ‘मुश्किल’ सीट माना गया था, लेकिन हाल के लोकसभा चुनावों में मुस्लिम बहुल करीमगंज सीट पर बीजेपी की जीत ने यह दिखा दिया कि अल्पसंख्यक समुदाय में भी पार्टी की पैठ बढ़ रही है। उन्होंने कहा, “करीमगंज में हमारी जीत ने यह साबित किया कि हर धर्म के वोट से चुनाव जीता जा सकता है। सामागुरी की जीत उसी कड़ी का हिस्सा है।”

सरमा ने कॉन्ग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ने ‘किसी का तुष्टिकरण नहीं, बल्कि न्याय सबके लिए’ की नीति अपनाई। उन्होंने बताया कि पार्टी ने जहाँ एक ओर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की, वहीं दूसरी ओर अल्पसंख्यक समुदाय की 25,000 लड़कियों को ‘निजुत मोइना’ योजना का लाभ भी दिया। उन्होंने इसे बीजेपी की ‘संतुलित’ नीति करार दिया।

सामागुरी की जीत के साथ-साथ असम में बीजेपी ने बेहाली और ढोलाई सीटें भी जीतीं। असम गण परिषद ने बोंगाईगाँव और यूपीपी-लिबरल ने सिदली सीट पर जीत दर्ज की। इन चुनावी नतीजों ने असम में बीजेपी और एनडीए की मजबूत स्थिति को और पुख्ता किया है।

सामागुरी और करीमगंज जैसी सीटों पर बीजेपी की जीत दिखाती है कि बीजेपी की रणनीति धीरे-धीरे अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में भी असर दिखा रही है। मुख्यमंत्री सरमा ने कहा, “असम की राजनीति अब इसी दिशा में आगे बढ़ेगी। यह साफ है कि आने वाले चुनावों में बीजेपी अपनी ‘न्याय सबके लिए’ नीति के दम पर और मजबूत स्थिति में उभरेगी।”

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श्रवण शुक्ल
श्रवण शुक्ल
I am Shravan Kumar Shukla, known as ePatrakaar, a multimedia journalist deeply passionate about digital media. Since 2010, I’ve been actively engaged in journalism, working across diverse platforms including agencies, news channels, and print publications. My understanding of social media strengthens my ability to thrive in the digital space. Above all, ground reporting is closest to my heart and remains my preferred way of working. explore ground reporting digital journalism trends more personal tone.

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