Tuesday, December 10, 2024
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नो जेंटलमैन गेम: बुमराह का एक्शन/थ्रो बॉलिंग/चकिंग… अपने ही जाल में फँसा ऑस्ट्रेलिया, नहीं पढ़ पाया ‘बूम-बूम’ का दिमाग

बुमराह की हाइपरमोबिलिटी और कलाई के फ्लेक्स से उनकी गेंद आखिरी समय पर दिशा बदलती है, जिससे बल्लेबाज चकमा खा जाते हैं। वसीम अकरम और शोएब अख्तर जैसे दिग्गज गेंदबाजों ने बुमराह की क्रिकेट बुद्धिमत्ता को सराहा है।

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट मैच के साथ ही ऑस्ट्रेलियाई मीडिया और फैंस की ओर से जसप्रीत बुमराह पर चकिंग (गेंदबाजी में गलत तरीके से गेंद फेंकने) के आरोप लगाने का पुराना खेल फिर से शुरू हो गया। लेकिन बुमराह ने इन आरोपों को नजरअंदाज कर शानदार प्रदर्शन करते हुए पर्थ टेस्ट में भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई। ऑस्ट्रेलियाई की पहली पारी में बुमराह (5/30) के करिश्माई प्रदर्शन ने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को पस्त कर दिया। उन्होंने मैच में कुल 8 विकेट लिए।

ये कोई पहली बार नहीं था, जब ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट ने किसी विदेशी खिलाड़ी पर इस तरह के आरोप लगाए। इससे पहले मुथैया मुरलीधरन और राजेश चौहान जैसे दिग्गज गेंदबाजों को भी इसी रणनीति के तहत निशाना बनाया गया। यह खेल ‘जेंटलमैन’ कहे जाने वाले क्रिकेट में कितना काला है, इस पर बहस जरूरी है।

बुमराह पर ‘थ्रो’ के आरोप और सच्चाई

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट में जसप्रीत बुमराह ने एक बार फिर साबित किया कि उनका गेम सिर्फ उनकी अनोखी गेंदबाजी एक्शन का नहीं, बल्कि उनके शानदार दिमाग और क्रिकेटिंग समझ का परिणाम है। अपने पूरे करियर में इतनी बेहतरीन बॉलिंग करने के बावजूद बुमराह की गेंदबाजी के खिलाफ सोशल मीडिया पर ‘थ्रो फेंकने’ जैसे आरोप लगाए गए।

जसप्रीत बुमराह का गेंदबाजी एक्शन और तेज गेंदबाजी का विज्ञान

जसप्रीत बुमराह का गेंदबाजी एक्शन अपनी अनोखी शैली के कारण हमेशा चर्चा में रहता है। उनका एक्शन हाइपरमोबिलिटी का नतीजा है, जिसमें उनकी कोहनी का झुकाव क्रिकेट के नियमों के तहत वैध रहता है। उनकी कोहनी 15 डिग्री से अधिक नहीं मुड़ती, और उनका एक्शन पूरी तरह से कानूनी माना जाता है। उनकी कलाई का फ्लेक्स और हाथ का कोण गेंद को अंतिम समय में दिशा देने की क्षमता पैदा करता है, जिससे बल्लेबाज को समझने में दिक्कत होती है कि गेंद अंदर आएगी, बाहर जाएगी या सीधी जाएगी।

शोएब अख्तर जैसे तेज गेंदबाज, जो 150-160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकते थे, उनकी गति उनके शरीर की प्राकृतिक बनावट और टेक्नीक का नतीजा थी। अख्तर के मजबूत पैर, लचीला धड़, और गेंद फेंकने के समय की ऊर्जा ट्रांसफर तकनीक उनकी गति का मुख्य स्रोत थे। गेंदबाजी में रफ्तार पैदा करने के लिए ग्रिप, रन-अप और आर्म स्पीड का सही तालमेल जरूरी होता है।

बुमराह और अख्तर जैसे गेंदबाज यह गति अपनी नैसर्गिक काबिलियत और शरीर की संरचना के चलते हासिल करते हैं। यह प्रक्रिया अभ्यास और तकनीक के साथ और बेहतर होती जाती है। तेज गेंदबाजी पूरी तरह से प्राकृतिक है, और यह प्रत्येक गेंदबाज की शारीरिक क्षमताओं पर निर्भर करती है। बुमराह का एक्शन और अख्तर की गति इस बात का सबूत हैं कि तेज गेंदबाजी तकनीक और अनुकूल शरीर के मेल का परिणाम होती है।

हालाँकि बुमराह पर लग रहे आरोपों को क्रिकेट विशेषज्ञों ने खारिज कर दिया है। इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी और कोच इयान पोंट ने बुमराह की गेंदबाजी एक्शन को कानूनी करार देते हुए कहा, “उनकी कोहनी का कोण नियम के तहत है। यह बेंड नहीं होता, बल्कि यह हाइपर-मोबिलिटी का नतीजा है। बुमराह का एक्शन क्रिकेट के नियमों के भीतर पूरी तरह से वैध है।”

ऑस्ट्रेलिया की पुरानी चाल

ऑस्ट्रेलियाई मीडिया का यह रवैया नया नहीं है। इससे पहले मुथैया मुरलीधरन पर भी चकिंग के आरोप लगाए गए थे। मुरलीधरन ने 800 टेस्ट विकेट लेकर क्रिकेट इतिहास में अपनी छाप छोड़ी, लेकिन उनकी अनोखी गेंदबाजी को अक्सर शक की नजरों से देखा गया।

राजेश चौहान, जिनकी ऑफ स्पिन गेंदबाजी ने भारत को कई मैच जिताए, को भी इसी तरह के आरोपों का सामना करना पड़ा। यह साफ है कि ऑस्ट्रेलिया के लिए माइंड गेम और खिलाड़ियों को मानसिक रूप से कमजोर करने की कोशिश उनकी रणनीति का हिस्सा रही है।

बुमराह का ‘दिमाग’ उनकी असली ताकत

बुमराह की गेंदबाजी सिर्फ एक्शन पर निर्भर नहीं है। पर्थ में उनके प्रदर्शन ने यह साबित किया कि उनका दिमाग उनकी सबसे बड़ी ताकत है। उनकी गेंदबाजी में योजना, सटीकता, और विरोधी की कमजोरी का फायदा उठाने की कला नजर आई।

उदाहरण के लिए, दूसरे दिन का खेल शुरू होते समय ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने अपनी लेंथ पर ध्यान नहीं दिया, जबकि बुमराह ने पहले ही स्पेल से विकेट चटकाने की रणनीति बनाई। उन्होंने पिच की बाउंस को समझते हुए बैक-ऑफ-लेंथ गेंदें फेंकी और बल्लेबाजों को रन बनाने का कोई मौका नहीं दिया। ऑस्ट्रेलिया के मार्नस लाबुशेन जैसे दिग्गज, जो अपने रक्षात्मक खेल के लिए मशहूर हैं, बुमराह की चालाकी का शिकार हो गए। उन्होंने एक इनस्विंगर को छोड़ दिया, जो सीधे उनके पैड पर जा लगा। यह विकेट ऑस्ट्रेलिया के मीडिया और फैन्स के लिए और भी कड़वी गोली साबित हुई।

क्रिकेट में माइंड गेम और बेईमानी की कहानी ऑस्ट्रेलिया से जुड़ी रही है। चाहे वह स्लेजिंग हो, विपक्षी खिलाड़ियों की बेजा आलोचना, या फिर बॉल टैंपरिंग का मामला, ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट का ‘नो जेंटलमैन’ चेहरा बार-बार सामने आया है। स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर का बॉल टैंपरिंग कांड दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों के लिए बड़ा झटका था। इसके बाद भी ऑस्ट्रेलिया ने विरोधियों के खिलाफ ‘मनोरंजन से ज्यादा विवाद’ की रणनीति अपनाई है।

जसप्रीत बुमराह ने इन आरोपों का कोई जवाब नहीं दिया। उनके लिए उनका प्रदर्शन ही जवाब था। यह रवैया उन्हें आधुनिक क्रिकेट का आदर्श बनाता है। बुमराह ने दिखाया कि असली खिलाड़ी वह है, जो मैदान पर अपने खेल से जवाब दे। उनकी रणनीति, खासकर पर्थ में, यह बताने के लिए काफी है कि वह सिर्फ एक गेंदबाज नहीं, बल्कि क्रिकेट के असली ‘मैथमैटिशियन’ हैं।

उनकी गेंदबाजी में छुपा विज्ञान उनके विरोधियों को चौंका देता है। महज 41 मैचों में 181 टेस्ट विकेटों के साथ बुमराह का शानदार औसत 20.06 है, जो इंग्लैंड के दिग्गज दाएँ हाथ के तेज गेंदबाज सिडनी बार्न्स के 16.43 औसत के अलावा (कम से कम 150 विकेट) किसी भी गेंदबाज से बेहतर है। पर्थ टेस्ट में ‘मैन ऑफ द मैच’ अवॉर्ड हासिल करते हुए टीम इंडिया को जिताना, उनकी काबिलियत का एक नमूना भर है।

क्रिकेट का असली चेहरा बदलने की जरूरत

ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों के रवैये से यह साफ है कि क्रिकेट को ‘जेंटलमैन’ गेम बनाए रखने की जरूरत है। खिलाड़ियों पर झूठे आरोप लगाना, मीडिया के जरिए मानसिक दबाव बनाना, और मैदान पर स्लेजिंग का सहारा लेना खेल की आत्मा को ठेस पहुंचाता है। जसप्रीत बुमराह और मुथैया मुरलीधरन जैसे खिलाड़ियों का प्रदर्शन दिखाता है कि असली क्रिकेट खेलना क्या होता है। इन दिग्गजों ने साबित किया है कि बेईमानी से नहीं, बल्कि खेल की शुद्धता से ही महानता हासिल की जाती है।

जसप्रीत बुमराह ने पर्थ टेस्ट में अपनी गेंदबाजी से ऑस्ट्रेलिया को न केवल हराया, बल्कि उनकी माइंड गेम रणनीतियों को भी विफल कर दिया। यह जीत सिर्फ एक मैच नहीं थी, यह भारतीय क्रिकेट की मानसिक ताकत का प्रतीक थी। बुमराह ने साबित किया कि असली ‘जेंटलमैन’ वह है, जो अपने प्रदर्शन से जवाब देता है, न कि आरोपों और विवादों में उलझता है। क्रिकेट को इसके असली जेंटलमैन स्वरूप में लाने के लिए खिलाड़ियों को बुमराह जैसे आदर्शों से प्रेरणा लेनी चाहिए।

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श्रवण शुक्ल
श्रवण शुक्ल
Shravan Kumar Shukla (ePatrakaar) is a multimedia journalist with a strong affinity for digital media. With active involvement in journalism since 2010, Shravan Kumar Shukla has worked across various mediums including agencies, news channels, and print publications. Additionally, he also possesses knowledge of social media, which further enhances his ability to navigate the digital landscape. Ground reporting holds a special place in his heart, making it a preferred mode of work.

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