Sunday, November 17, 2024
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7 साल में सगाई-12 में निकाह, 10 गोली मारी-चाकू से आँखें निकाली… कहानी दिल्ली में रह रहीं खात्रा हाशमी की, तालिबान ने बनाया ‘जिंदा लाश’

वो अपना पहला वेतन भी अपने आँखों से नहीं देख पाई थीं। मात्र 3 महीने की नौकरी के बाद उनके साथ ये वीभत्स्ता हुई थी। उनके शरीर में अब भी बुलेट के टुकड़ों की वजह से दर्द रहता है, जिसका इलाज भी चल रहा है।

अफगानिस्तान में तालिबान का राज आने के बाद महिलाओं की स्थिति खासी दयनीय हो गई है। तालिबान से पीड़ित रहीं एक महिला अधिकारी ने अपना दर्द बयाँ किया है। वो फ़िलहाल दिल्ली में रह रही हैं। पैसों के लालच में उसके अब्बू ने मात्र 7 साल की उम्र में बड़े उम्र के व्यक्ति के साथ उसकी शादी तय कर दी थी और 12 साला की उम्र में निकाह करा दिया था। अब्बू द्वारा न पढ़ाने-लिखाने के बावजूद वो अपनी मेहनत से अफगानिस्तान में पुलिस अधिकारी बनीं।

हालाँकि, अफगानिस्तान में एक महिला का इस तरह से तरक्की करना तालिबानियों को रास नहीं आया और वो फोन कॉल कर-कर के धमकियाँ देने लगे। 2020 के शुरुआत में पुलिस थाने से घर जाते समय उन पर गोलीबारी की गई। 9 गोलियाँ उनके शरीर पर लगीं। ये वो समय था, जब तालिबान मुल्क पर कब्जे की तरफ तेजी से बढ़ रहा था। उनके शरीर में 10 बार चाकू से वार किया गया। बेहोशी की हालत में उनकी दोनों आँखें निकाल ली गईं। महिला ने कहा कि अब वो ‘ज़िंदा लाश’ बन कर रह गई हैं।

उक्त महिला का नाम खात्रा हाशमी है, जो फ़िलहाल ‘नेशनल एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड (NAB)’ के लिए काम करती हैं। ‘दैनिक भास्कर’ से बात करते हुए उन्होंने बताया कि जब उनके साथ ये दरिंदगी हुई थी, तब वो गर्भवती थीं। जब उन्हें होश आया, तो वो पूरी तरह अंधी हो चुकी थीं। वो अपना पहला वेतन भी अपने आँखों से नहीं देख पाई थीं। मात्र 3 महीने की नौकरी के बाद उनके साथ ये वीभत्स्ता हुई थी। उनके शरीर में अब भी बुलेट के टुकड़ों की वजह से दर्द रहता है, जिसका इलाज भी चल रहा है।

उनकी 2 साल की बेटी भी है, जो उनके साथ ही रहती है। उनका कहना है कि महिलाओं-बच्चों की तालिबान से हिफाजत के लिए ही पुलिस फ़ोर्स जॉइन किया था, लेकिन हुआ कुछ और ही। उनका कहना है कि तालिबानी ये नहीं चाहते कि महिलाएँ नौकरी करें, वो चाहते हैं कि लड़कियाँ घर में कैद रहें। 3 नकाबपोश तालिबानियों ने उन पर हमला किया था। उनके पहले पति, दो बेटे और एक बेटी अफगानिस्तान में ही रहती है।

तालिबानी उनसे पूछने आते हैं कि उनकी अम्मी लौटी या नहीं। दिल्ली में खात्रा हासमी ने दूसरी शादी भी की है। पहले पति की उम्र 80 साल से अधिक हो गई है और वो उन्हें तलाक भी दे चुके हैं। फिर भी वो और बच्चे पैदा करना चाहते थे। उन्होंने बताया कि उन बच्चों से मिलने का उनका दिल करता है, लेकिन ये सम्भव नहीं हो पाता। खात्रा हाशमी को तालिबानी अब भी खोज रहे हैं। जब उन पर हमला हुआ था, तब उन्होंने अपनी साँसें रोक ली थीं और तालिबानी उन्हें मरा हुआ समझ कर चले गए थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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