उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर पुलिस (नोएडा पुलिस) ने फर्जी कंपनियाँ बनाकर सरकार को 10,000 करोड़ रुपए का चुना लगा चुके एक गिरोह के 8 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरोह में महिलाएँ भी शामिल हैं। पूरा गिरोह लगभग पाँच सालों से फर्जीवाड़े का खेल खेल रहा था। इनके पास से 6 लाख 35 हजार लोगों के पैन कार्ड मिले हैं। इन लोगों ने 2,660 शेल कंपनियाँ बनाई हुई थीं, जिसके फर्जी बिल तैयार कर सरकार से जीएसटी रिफन्ड प्राप्त कर सरकार को करोड़ों का चुना लगा रहे थे।
पुलिस की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, 10 मई 2023 को नोएडा फिल्म सिटी (सेक्टर-16) में काम करने वाले एक पत्रकार ने सेक्टर-20 थाने में पैन कार्ड से फर्जीवाड़े की शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद जाँच शुरू हुई थी। पता चला कि शिकायतकर्ता के पैन कार्ड का इस्तेमाल कर 2 फर्जी कंपनियाँ चलाई जा रही थीं। एक कंपनी पंजाब के लुधियाना में और दूसरी महाराष्ट्र के सोलापुर में चलाई जा रही थीं।
पुलिस की जाँच जब आगे बढ़ी तो पूरे गिरोह का पता चला। जाँच के दौरान यह भी पता चला कि गिरोह के पास 6 लाख 35 हजार से भी अधिक लोगों के पैन नंबर उपलब्ध हैं। इस गिरोह में कई लोग प्रमुख थे। पहला था दीपक मुरजानी और उसकी पत्नी विनीता। दोनों दिल्ली के रहने वाले हैं।
दूसरा है यासीन शेख, जो मुंबई में वेबसाइट बनाने का काम करता था। इसके अलावा साहिबाबाद के आकाश सैनी, हाथरस के अतुल सेंगर, नोएडा की अवनी, दिल्ली के दीपक मुरजानी, दीपक की पत्नी विनीता, दिल्ली के ही विशाल और राजीव को दिल्ली के मधु विहार स्थित उनके कार्यालय से गिरफ्तार किया गया है।
ऐसे बनाते थे फर्जी कंपनी
फर्जी कंपनी बनाकर सरकार को चूना लगाने वाला गिरोह दिल्ली में मधु विहार, शहादरा और पीतमपुरा में ऑफिस संचालित कर रहा था। इसके अलावा भी इनके कई ऑफिस होने की बात कही जा रही है। गिरोह दो टीमों में काम करता था। पहली टीम के सदस्यों का काम कम जागरूक लोगों के पैन कार्ड और आधार कार्ड हासिल करना होता था।
पहले वे जस्ट डायल के माध्यम से डेटा कलेक्ट करते थे। फिर टीम के सदस्य ऐसे लोगों की तलाश करते थे, जिनके पैन कार्ड और आधार कार्ड का इस्तेमाल कर फर्जी कंपनी बनाई जा सके। इसके लिए वे लोग नशेड़ी लोगों को फँसाते थे। इसके बाद ये लोग रेन्ट एग्रीमेन्ट और बिजली का बिल बनाते थे। यहाँ तक कि उनके नाम पर नया सिम कार्ड भी लिया जाता था, ताकि ओटीपी दर्ज करने में परेशानी न हो।
आधार कार्ड, पैन कार्ड, रेन्ट एग्रीमेन्ट, इलेक्ट्रीसिटी बिल आदि का उपयोग कर जीएसटी नंबर सहित फर्जी फर्म (कंपनी) तैयार कर लिया जाता था। उसके बैंक अकाउंट से लेकर ठगी के लिए जरूरी सभी कागजात तैयार कर लिए जाते थे। यह सब काम गिरोह के लोगों के बीच बँटा हुआ था।
अब दूसरी टीम फर्जी कंपनी को पहली टीम से खरीद करती थी। कंपनियों को 80-90 हजार रुपए नकद में खरीदा जाता था। फिर फर्जी बिल का उपयोग कर जीएसटी रिफन्ड (आईटीसी इंपुट टैक्स क्रेडिट) के रुप में सरकार से करोड़ों रुपए प्राप्त कर लिए जाते थे। इस तरह हर कंपनी के लिए हर महीने 2-3 करोड़ रुपए का ई-बिल जेनरेट करते थे।
पुलिस से हुई पूछताछ में गिरोह के अन्य लोगों का भी पता चला है। पूछताछ और जाँच के आधार पर पुलिस आंछित गोयल, प्रदीप गोयल, अर्चित, मयूर उर्फ मणि नागपाल, चारू नागपाल, रोहित नागपाल, दीपक सिंघल व अन्य की तलाश कर रही है।