साल 2002 के गुजरात दंगों में निर्दोषों को फँसाने की साजिश रचने वाली तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका का गुजरात सरकार ने हाई कोर्ट में विरोध किया है। सरकार ने कोर्ट को बताया कि तीस्ता राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए एक नेता (अहमद पटेल) की ओर से टूल की तरह काम कर रही थीं। अगर उन्हें जमानत मिलती है तो वह अपने खिलाफ मिलने वाले सबूतों को नष्ट कर सकती हैं।
BIG BREAKING: Prosecution in the 2002 Gujarat riots case tells Gujarat HC that Congress leader Ahmed Patel had paid ₹30 lakhs to Teesta Setalvad, Sanjiv Bhatt & RB Sreekumar to hatch a ‘larger conspiracy’ behind the riots to pin the blame on the State Government at the time. pic.twitter.com/YhVAviS7tO
— Law Today (@LawTodayLive) June 14, 2023
गुजरात सरकार के वकील मितेश अमीन ने कोर्ट में कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ पर केस भी सबूतों से छेड़छाड़ करने और उसके आधार पर प्रोपेगेंडा चलाने का ही चल रहा है। उन्होंने दावा किया कि कॉन्ग्रेस नेता अहमद पटेल, जिनका देहांत साल 2020 में हुआ था, उन्होंने तीस्ता सीतलवाड़ को 30 लाख रुपए दिए थे।
यह रकम तीस्ता को गोधरा दंगों के बाद प्रोपेगेंडा चलाने के लिए दी गई थी ताकि तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य लोगों को फँसाया जा सके। सरकारी वकील ने कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ ने पुलिस अधिकारियों आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के साथ मिलकर गुजरात सरकार को अस्थिर करने की साजिश रची थी।
कोर्ट में तीस्ता की बेल याचिका का विरोध करते हुए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के दावे का हवाला भी दिया गया। जिसमें तीस्ता के खिलाफ सबूत मिलने की बात थी। इसमें कहा गया था कि कैसे तीस्ता ने एक राजनीतिक पार्टी के नेता से रुपयों की मदद लीं।
इसके अलावा इस दौरान रईस खान के बयान का भी जिक्र किया। जिन्होंने तीस्ता-अहमद पटेल के बीच हुई डील के बारे में सामने आकर जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि जब सीतलवाड़ की मुलाकात अहमद से हुई उसकी जानकारी उन्हें थी। तीस्ता को काम दिया गया था कि नरेंद्र मोदी व अन्य लोगों को गोधरा कांड में कैसे भी सजा मिले और वो जेल जाएँ।
बता दें कि, गुजरात दंगा मामले में निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए फर्जी सबूत गढ़ने के आरोप में तीस्ता सीतलवाड़ समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इस गिरफ्तारी के बाद गुजरात पुलिस के विशेष जाँच दल की ओर से कोर्ट में पेश किए गए एक हलफनामे में भी कहा गया था कि तीस्ता का उद्देश्य बड़े षड़यंत्र को अंजाम देते हुए गुजरात सरकार को गिराना या अस्थिर करना था।