Sunday, September 8, 2024
Homeविविध विषयअन्य1.74 लाख ESIC में जबकि 86000 EPFO से जुड़े: जुलाई 2019 (सिर्फ 1 महीने)...

1.74 लाख ESIC में जबकि 86000 EPFO से जुड़े: जुलाई 2019 (सिर्फ 1 महीने) में रोजगार का आँकड़ा

ईएसआईसी के आँकड़ों के अलावा जुलाई 2019 में ईपीएफओ के साथ 11.61 लाख नौकरीपेशा लोग रजिस्टर्ड थे। जबकि जून में यही आँकड़ा 10.75 लाख लोगों का था। मतलब कुल 86,000 नौकरीपेशा लोगों ने...

देश में रोजगार नहीं है, आर्थिक मंदी से अर्थव्यवस्था का बुरा हाल है… प्रोपेगेंडा के इन सब बातों के बीच एक आँकड़ा आया है। और ऐसा कहा गया है कि आँकड़े झूठ नहीं बोलते! तो आँकड़ा यह है कि देश में जुलाई महीने में कुल 1,74,831 नई नौकरियों के मौके पैदा हुए। कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के ताजा आँकड़ों में यह जानकारी दी गई है। ईएसआईसी ने ये प्रेस रिलीज 20 सितंबर 2019 को जारी किया है।

ईएसआईसी के आँकड़ों के अनुसार, जून 2019 में कुल 12,49,394 लोग रजिस्टर्ड थे। जबकि जुलाई 2019 में यह आँकड़ा बढ़कर 14,24,225 हो गया। यानी जून की अपेक्षा जुलाई में 1,74,831 नई नौकरियों के अवसर पैदा हुए।

वहीं अगर अप्रैल 2018 से जुलाई 2019 तक की बात करें, तो कुल 1.49 करोड़ लोगों ने ईएसआईसी के साथ खुद को रजिस्टर किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर 2017 से मार्च 2018 के दौरान ईएसआईसी से 83.34 लाख नए सब्सक्राइबर्स जुड़े थे।

कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा जारी किए गए आँकड़े

ईएसआईसी के आँकड़ों के अलावा जुलाई 2019 में ईपीएफओ के साथ 11.61 लाख नौकरीपेशा लोग रजिस्टर्ड थे। जबकि जून में यही आँकड़ा 10.75 लाख लोगों का था। मतलब कुल 86,000 नौकरीपेशा लोगों ने सिर्फ जुलाई में खुद को ईपीएफओ के साथ रजिस्टर किया।

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में करोड़ों कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया था। सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए कर्मचारी राज्य बीमा निगम स्कीम में अंशदान की दर को 6.5% से घटाकर 4% कर दिया था। इसमें नियोक्ता का अंशदान 4.75 फीसदी से घटाकर 3.25 कर दिया गया था। वहीं कर्मचारियों के योगदान को 1.75 फीसदी से घटाकर 0.75 फीसदी कर दिया गया था। केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी थी।

कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) पर जारी आँकड़ों की पूरी लिस्टआप यहाँ पर पढ़ सकते हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

शेख हसीना का घर अब बनेगा ‘जुलाई क्रांति’ का स्मारक: उपद्रव के संग्रहण में क्या ब्रा-ब्लाउज लहराने वाली तस्वीरें भी लगेंगी?

यूनुस की अगुवाई में 5 सितंबर 2024 को सलाहकार परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसे "जुलाई क्रांति स्मारक संग्रहालय" के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -