Tuesday, November 19, 2024
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सेना के 40 जवानों के हत्यारे की भाषा कॉन्ग्रेसी मंत्री और पार्टी अध्यक्ष के बेटे की: गौमूत्र-गोबर पर कॉमेंट, हिंदुत्व पर निशाना

प्रियांक खड़गे ने गौमूत्र का मजाक उड़ाया और लिखा, “आपने बीजेपी/आरएसएस फंड से कितनी गौशालाओं के निर्माण में मदद की? क्या आप सहकर्मियों के सुझाव के अनुसार प्रतिदिन गौमूत्र पीते हैं और कभी-कभी गाय का गोबर खाते हैं?”

कॉन्ग्रेस नेता हिंदुओं का मजाक उड़ाने के लिए कुख्यात रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे का हिंदूफोबिक चेहरा एक बार फिर सामने आ गया। ट्विटर पर हो रही बहस के बीच अखबार/वेबसाइट पर विचार लिखने वाले लेखक चक्रवर्ती सुलीबेले का अपमान करने के लिए प्रियांक खड़गे ने ‘गौमूत्र’ का मजाक उड़ाकर विवाद खड़ा कर दिया।

दरअसल, कर्नाटक में उडुपी के एक कॉलेज के बाथरूम में कैमरा लगाए जाने को लेकर विवाद मचा हुआ है। इस मामले में सीएम सिद्धरमैया से सवाल करने के बाद शकुंतला एसएस नामक भाजपा कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया गया था। इसको लेकर चक्रवर्ती सुलीबेले ने प्रियांक खड़गे को प्रैंक खड़गे बताते हुए निशाना साधा था। सुलीबेले ने लिखा था,

“प्रैंक खड़गे और उनकी टीम कर्नाटक में बहुत अधिक एक्टिव है। सीएम के खिलाफ बोलोगे तो जेल जाओगे। अब उन्होंने कॉन्ग्रेस नेताओं के ‘मजाकिया’ बयान के खिलाफ पोस्ट करने के चलते भाजपा कार्यकर्ता शकुंतला एचएस को गिरफ्तार कर लिया है। अगर यह हिटलर सरकार नहीं है तो क्या है?”

सुलीबेले ने प्रियांक खड़गे का नाम नहीं लिखा था। लेकिन इशारा तो उनकी ही तरफ था। इसलिए सुलीबेले के इस ट्वीट से प्रियांक भड़क गए। फिर क्या था, सुलीबेले के इस ट्वीट का बदला लेने के लिए उन्होंने ‘गौमूत्र’ का मजाक उड़ा दिया। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ”कर्नाटक के युवाओं के साथ आपके द्वारा बहुत प्रैंक (मजाक) किया गया है। अब प्रैंक भूल जाइए और स्पष्ट बोलने वाला बनिए।”

प्रियांक ने आगे लिखा, “आपके जो फैंस गुमराह को चुके हैं, उनके लिए इन सवालों का जवाब दीजिए: आप अपने झूठ के साथ और कितने परेश मेस्ता का दावा करेंगे? सीबीआई रिपोर्ट पर इतनी चुप्पी क्यों है? आप कभी भी केसरी शॉल पहनकर विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे क्यों नहीं रहते और सिर्फ युवाओं को ही क्यों नेतृत्व करने देते हैं?”

खड़गे ने आगे पूछा, “आप खुद को यूट्यूबर और मोटिवेटर के रूप में आगे क्यों नहीं बढ़ा रहे हैं? आप चुनाव में कब खड़े होंगे, जीतेंगे और कर्नाटक के युवाओं को बचाएँगे? गरीब पिछड़े और दलित युवाओं का उपयोग करने के बजाय आप भाजपा नेताओं के बच्चों को धर्म की रक्षा के लिए अपने साथ आने के लिए कब मोटिवेट करेंगे? आपने भाजपा सरकार की “पुण्य कोटि दत्तु योजना” में कितनी गायों (गौमाताओं) को गोद लिया है?”

कॉन्ग्रेसी होने का प्रमाण देते हुए हिंदूफोबिक प्रियांक ने गौमूत्र का मजाक उड़ाया और लिखा, “आपने बीजेपी/आरएसएस फंड से कितनी गौशालाओं के निर्माण में मदद की है? क्या आप सहकर्मियों के सुझाव के अनुसार प्रतिदिन गौमूत्र पीते हैं और कभी-कभी गाय का गोबर खाते हैं?”

प्रियांक खड़गे ने धमकी देते हुए आगे लिखा, “वैसे आप 100% सही हैं, प्रैंक, फ्रैंक खड़गे या कोई और खड़गे और प्रत्येक कन्नड़ हमारे राज्य और संविधान की अखंडता और भविष्य की रक्षा के लिए खड़ा होगा। आप झूठ और गलत सूचना फैलाकर समाज को नुकसान पहुँचाते हैं, सरकार किताब के जरिए इससे निपटेगी।”

गौमूत्र का मजाक, आतंकी की भाषा

बता दें कि ‘गौमूत्र’ के नाम पर हिंदुओं से दिखाई गई घृणा कोई नई नहीं है। इस हिंदूफोबिक टिप्पणी का इस्तेमाल साल 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले के आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार ने किया था। जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी डार ने एक वीडियो रिलीज किया था। वीडियो में उसने कहा था कि वह मूर्ति पूजा करने वाले (हिंदुओं) और गाय का पेशाब पीने वाले लोगों को अल्लाह के नाम पर मारना चाहता है। इसके बाद से वामपंथी, कॉन्ग्रेसी और कट्टर इस्लामी लोगों ने हिंदुओं का मजाक उड़ाने और उनका अपमान करने के लिए ‘गौमूत्र’ का उपयोग किया है।

‘गौरक्षकों को लात मारकर जेल में डालो’: प्रियांक खड़गे

इससे पहले प्रियांक खड़गे ने गौरक्षकों और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को जेल में डालने की बात कही थी। प्रियांक खड़गे ने बजरंग दल का नाम लिए बिना कहा था, “जो लोग शॉल ओढ़कर कानून अपने हाथ में लेते हैं और कहते हैं कि वे इन दलों से हैं, उन्हें लात मारकर सलाखों के पीछे डाल दीजिए। अगर कोई स्वघोषित नेता है और सांप्रदायिक मुद्दों के नाम पर जहर उगलता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। मैं अनावश्यक सांप्रदायिक दंगे नहीं चाहता।”

प्रियांक खड़गे ने आगे कहा था, “जानवरों को लाने और ले जाने को लेकर कानून बहुत स्पष्ट है। अगर किसी के पास पर्याप्त दस्तावेज हैं तो उसे परेशान नहीं किया जाए। चाहे फिर वह ग्रामीण क्षेत्रों में हो या शहर की सीमा के भीतर हो।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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