वैज्ञानिक परंपरा है कि स्पेस मिशन के टचडाउन पॉइंट को एक नाम दिया जाता रहा है। इसी क्रम में ‘चंद्रयान 3’ की चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (26 अगस्त, 2023) को न सिर्फ बेंगलुरु स्थित ISRO के मुख्यालय पहुँच कर वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाया, बल्कि लैंडिंग वाले पॉइंट का नामकरण भी किया। अब ये ‘शिवशक्ति पॉइंट’ के नाम से जाना जाएगा। हालाँकि, तृणमूल कॉन्ग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को इससे भी आपत्ति है कि जहाँ ‘विक्रम’ लैंडर उतरा उस जगह का नामकरण क्यों किया गया।
असली समस्या इस बात से है कि नामकरण में भारतीय संस्कृति की झलक क्यों है। असल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका कारण भी बता चुके हैं। जहाँ ‘शिव’ में मानवता के कल्याण का संकल्प समाहित है, वहीं ‘शक्ति’ से हमें उन संकल्पों को पूरा करने का सामर्थ्य मिलता है। जहाँ ‘चंद्रयान 2’ की क्रैश लैंडिंग हुई थी, उस जगह का नाम भी ‘तिरंगा पॉइंट’ रखा गया। इसे लेकर पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर से लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा कहने लगीं कि अब अडानी अब रियल एस्टेट सेक्टर में आ जाएँगे और चाँद में ‘अर्थ फेसिंग फ्लैट्स’ बनाएँगे।
उन्होंने कहा कि उन फ्लैट्स में मुस्लिमों को रहने की अनुमति नहीं मिलेगी और सिर्फ शाकाहारी भोजन ही परोसा जाएगा। पीएम मोदी ने ये नामकरण न तो अपने नाम पर किया है, न अपनी पार्टी के नाम पर, न अपनी पार्टी के नाम पर। कॉन्ग्रेस सरकार ने कभी ‘चंद्रयान 1’ की क्रैश लैंडिंग वाली जगह का नाम ‘जवाहर पॉइंट’ रखा था, नेहरू के नाम पर। इस पर महुआ मोइत्रा ने कभी आपत्ति नहीं जताई। सबसे बड़ी बात, अभी एक साल भी नहीं हुए जब पश्चिम बंगाल में कुछ ऐसा किया गया था जिसके बाद इन मुद्दों पर बोलने में महुआ मोइत्रा को शर्म आनी चाहिए।
Modiji has named parts of moon as Tiranga & Shiv Shakti.
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) August 27, 2023
Adani will now enter real estate sector, get exclusive rights without a tender to construct Earth facing flats on the moon.
No Muslims allowed. Pure veg residents only.
आइए, आपको याद दिलाते हैं। मई 2022 में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ही साहित्य का विशेष पुरस्कार दे दिया गया। मौका था रवीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती का। खास बात ये कि उस नए अवॉर्ड को उसी साल पहली बार लाया गया था। बताया गया कि ममता बनर्जी की पुस्तक ‘कबिता बितन’, जो 900 कविताओं का संग्रह है, उसके लिए उन्हें ये सम्मान दिया गया। ‘पश्चिमबंग बांग्ला एकेडमी’ द्वारा TMC सुप्रीमो को ये अवॉर्ड दिया गया था।
बांग्ला साहित्य दशकों से लोकप्रिय रहा है। बंकिमचंद्र चटर्जी से लेकर रवीन्द्रनाथ टैगोर तक, कई बड़े साहित्यकार यहाँ हुए। ‘देवदास’ और ‘पाथेर पांचाली’ जैसी पुस्तकें यहीं लिखी गईं। आज बांग्ला साहित्य को जब आगे बढ़ाने की ज़रूरत है, मुख्यमंत्री को ही अवॉर्ड दे दिया गया। सोचिए, पीएम मोदी ने तो ऐसा कुछ नहीं किया। उन्होंने देश की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए नामकरण किया। तब ममता बनर्जी को अवॉर्ड मिलने के विरोध में लेखिका रत्न रशीद ने अपना ‘अन्नदा शंकर स्मारक सम्मान’ लौटा दिया था और कहा था कि इससे गलत उदाहरण सेट हुआ।