पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा आम बात है। इसी तरह की एक घटना बैरकपुर थाना क्षेत्र के भाटपाड़ा में जून 25, 2019 को भी हुई थी, जब रिलायंस जूट मिल पर कुछ गुंडों ने बम फेंके थे।
हमने पाया कि युवाओं का मूलत: ये मानना है कि यहाँ पर शांति व्याप्त है। कहीं पर भी कोई हिंसा नहीं हो रही है और यदि कहीं हिंसा हो भी रही है तो उसमें भाजपा का हाथ है। वो अपनी राजनीति चमकाने के लिए हिंसा कर रहे हैं।
सिंघु बॉर्डर पर किसान क्यों हैं अभी भी? एक भी अरेस्ट क्यों नहीं? मीटिंग तो एक रूटीन प्रक्रिया है, लेकिन असामान्य परिस्थिति में रूटीन से बाहर क्यों नहीं है सरकार? टिकैत, योगेन्द्र यादव समेत वो चालीस किसान नेता क्यों नहीं हैं कस्टडी में? सरकार जवाबदेही तक क्यों नहीं तय कर पाई है?
शायद अब सुप्रीम कोर्ट को लगेगा कि औरों के भी संवैधानिक अधिकार हैं, लिब्रांडू मीडिया गिरोह इसे सफल आंदोलन करार देगा, जबकि पुलिस पर तलवारों से हमले हुए हैं!