Thursday, September 19, 2024
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अजीत झा

देसिल बयना सब जन मिट्ठा

‘मीरजाफर’ मिलते गए और चाओ-माओ बढ़ते गए: 1949 तक भारत से लगती भी नहीं थी चीन की सीमा

वह असंतोष न चीन के कम्युनिस्टों के हक में होगा और न भारत के वामपंथियों और उनके पोषक कॉन्ग्रेस के। इसलिए, नानजिंग के प्रेसिडेंशियल पैलेस और जनपथ की बेचैनियाँ आज एक सी दिख रहीं।

भाई का ‘जहर’ बिका नहीं, बहन नमक पर बनाने चली ‘लल्लू’: कॉन्ग्रेसी मुखपत्र में प्रियंका गाँधी का इमोशनल अत्याचार

राहुल गॉंधी ने जो 2013 में किया उसे प्रियंका गॉंधी 2020 में अजय सिंह लल्लू के नाम पर दोहराने की कोशिश में हैं। दिलचस्प यह है कि इस कोशिश में चायवाले का मजाक उड़ाने वाली कॉन्ग्रेस नमक बेचने की दुहाई दे रही है।

जिहाद उनका, नेटवर्क उनका, शिकार आप और नसीहतें भी आपको ही…

आप खतरे से घिरे हैं। फिर भी शुतुरमुर्ग की तरह जमीन में सिर गाड़े बैठे हैं। जरूरी है कि ​जमीन से सिर निकालिए, क्योंकि वक्त इंतजार नहीं करेगा।

माफ करना विष्णुदत्त विश्नोई! सिस्टम आपके लायक नहीं… हम पर्दे पर ही सिंघम डिजर्व करते हैं

क्या ईमानदार अधिकारियों की जान की कीमत यह देखकर तय की जाएगी कि सत्ता में कौन है? फिर आप पर्दे पर ही सिंघम डिजर्व करते हैं।

तब भंवरी बनी थी मुसीबत का फंदा, अब विष्णुदत्त विश्नोई सुसाइड केस में उलझी राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार

जिस अफसर की पोस्टिंग ही पब्लिक डिमांड पर होती रही हो उसकी आत्महत्या पर सवाल उठने लाजिमी हैं। इन सवालों की छाया सीधे गहलोत सरकार पर है।

कोरोना संकट के कारण जो लौटे हैं उनका पलायन रोकने में हम सक्षम हैं: बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार

"40 साल कॉन्ग्रेस, 15 साल लालू और एनडीए कार्यकाल की तुलना कर लीजिए सच्चाई सामने आ जाएगी। पता चल जाएगा बिहार कहाँ था और आज कहाँ खड़ा है।"

जिंदगी की जद्दोजहद में जोखिम को न्योता: बिहार-UP के बेबस प्रवासियों की कहानी

पलायन अवसर भी है और अभिशाप भी। लेकिन देश की हिंदी पट्टी के लिए यह मजबूरी ही दिखती है। आर्थिक सुरक्षा के लिए ही महानगरों में पहुॅंचने वाले लोगों को जब यह सुरक्षा खतरे में दिखी तो उन्होंने घर लौटने में भलाई समझी। लॉकडाउन बढ़ने और घर तक जाने के लिए बस की व्यवस्था की अफवाहों ने उन्हें सड़क पर उतार दिया।

दिल्ली चुनाव 2020: बीजेपी ने 20-20 मैच की तरह बदली हवा पर कितनी सीटों पर खिलेगा कमल?

2015 में करीब 67% मतदान हुआ था। इस बार भी ऐसा हुआ तो एक करोड़ के करीब वोट पड़ेंगे। दिल्ली में इस वक्त भाजपा के सदस्यों की संख्या 62 लाख के करीब है। इन सभी ने बीजेपी के लिए वोट डाले तो 11 फरवरी को करिश्मा तय है।