Wednesday, November 27, 2024
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श्रवण शुक्ल

Shravan Kumar Shukla (ePatrakaar) is a multimedia journalist with a strong affinity for digital media. With active involvement in journalism since 2010, Shravan Kumar Shukla has worked across various mediums including agencies, news channels, and print publications. Additionally, he also possesses knowledge of social media, which further enhances his ability to navigate the digital landscape. Ground reporting holds a special place in his heart, making it a preferred mode of work.

जासूसी, विद्रोह की आशंका, कमजोर अर्थव्यवस्था… घर के झमेलों से चीन में ही कैद हुए शी जिनपिंग: न G20 के लिए भारत आएँगे, न...

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को सत्ता से बाहर होने का डर है, इसलिए चीन ने अपने नागरिकों को जासूसी का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है। विदेशियों पर निगरानी।

दुनिया के कई देशों में लागू में है ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’, जानिए भारत में इसे लागू करने के रास्ते में क्या हैं मुश्किलें

एक साथ चुनाव कराने या न कराने का निर्णय एक राजनीतिक निर्णय है। सरकार को पक्ष और विपक्ष के साथ सावधानी से आगे बढ़ने की जरूरत होगी।

वैश्विक आर्थिक व्यवस्था की धुरी बन रहा भारत, पीएम मोदी की अगुवाई में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मिल रही मजबूती: G20 अध्यक्षता को लेकर जानें...

शिखर सम्मेलन के दौरान, भारत दुनिया के प्रमुख व्यवसायों और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। इससे रोजगार के अवसर भी बनेंगे।

हिंदू गौरव दिवस: भाजपा के राजनीतिक ‘कल्याण’ का ही नहीं एजेंडा, हिंदुओं की सामूहिकता को नया उभार देने का संकल्प भी

कल्याण सिंह की पुण्यतिथि को हिंदू गौरव दिवस के तौर पर मनाना राजनीतिक एजेंडे से कहीं अधिक हिंदुओं की सामूहिकता को नया उभार देने का संकल्प है।

सत्ता थी तो गुलाम नबी आजाद भी थे तुष्टिकरण के ही ठेकेदार, आज बता रहे कश्मीर में कभी सब हिंदू ही थे: अब्दुल्ला-मुफ्ती की...

सत्ता में रहते हुए गुलाम नबी आजाद ने भी तुष्टिकरण के उस एजेंडे को पूरी तरह लागू किया जिसकी कॉन्ग्रेस जनक रही है। उनकी 'उपलब्धियाँ' भी मुस्लिमों के राजनीतिक ठेकेदार जैसी ही हैं।

2047 तक विकसित राष्ट्र बन चुका होगा भारत: PM मोदी ने लाल किले से दिया सन्देश – अभी बाकी है उनकी पारी, ये राष्ट्र...

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 1947 से पहले की पीढ़ी को राष्ट्र के लिए बलिदान देने का मौका मिला था, हमारी पीढ़ी को राष्ट्र के निर्माण में लगने और जीने का मौका मिला है।