Sunday, December 22, 2024
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1000 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव परिणाम तय करने वाला अल्पसंख्यक कैसे? संविधान में सभी समान, फिर विदेशी संप्रदाय के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय क्यों?

क्या उस समुदाय को अल्पसंख्यक कह सकते हैं जो भारत के लगभग लगभग 200 लोकसभा और 1000 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव परिणाम तय करता हो?

महाराष्ट्र के छोटे से गाँव से लेकर लंदन तक, वीर सावरकर ने कैसे खड़ी की क्रांतिदूतों की विशाल सेना: पुनः राष्ट्रवाद की अलख जगाती...

'मित्रमेला' वीर सावरकर के द्वारा बनाया गया संगठन था, जो कि विभिन्न सांस्कृतिक, सामाजिक व देशभक्ति से संबंधित आयोजन करता था। कई क्रांतिदूत इससे जुड़े।

अफवाह फैलाते राजनीतिक दल, गुमराह करती विदेशी कंपनियाँ: फिर भी भारत ने पार किया 200 करोड़ कोरोना टीकाकरण का आँकड़ा

इस सफलता तक पहुँचने में हमारे लाखों कोरोना वॉरियर्स का सम्पूर्ण समर्पण शामिल है। उन्होंने देशवासियों की सुरक्षा हेतु अपना बलिदान तक दे दिया।

मजहब के नाम पर जज्बाती, हिंदुओं के अराध्यों का अपमान: यह खतरनाक खेल, इस हिंसक भीड़ को हिंदुओं का आक्रोश ही झुलसाएगा

इस प्रकार के उग्र-हिंसक प्रदर्शन भी आतंक का ही एक रूप हैं जो समाज और शासन-प्रशासन पर अनुचित दबाव डालकर अपनी बात मनवाने का प्रयत्न करते हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसे दबाव स्वीकार नहीं किए जा सकते, किए भी नहीं जाने चाहिए।

‘अहिंसा से मिली आज़ादी’ वालों को जवाब है काशी के क्रांतिवीरों की गाथा, वो दौर जब मातृभूमि को समर्पित हुआ करते थे पत्रकार

कलम की ताकत व हौसला तो देखें कि 'स्वराज्य पत्र' को निरंतर संपादित व प्रकाशित करने के लिए कितने ही कलम क्रांतिवीर बलिदान हो जाते हैं।

स्वतंत्रता सेनानियों के गुप्त प्रवास की एक गाथा, कैसे जुटाए अर्थ और अस्त्र : क्यों पढ़नी चाहिए ‘क्रांतिदूत’ की झाँसी फाइल्स

काकोरी कांड के बाद जिस तरह अंग्रेजी पुलिस क्रांतिकारियों की तलाश में कुत्तों की तरह घूम रही है। ऐसे में इनका सुरक्षित और गुप्त रहना ज़रूरी था।

‘कॉन्ग्रेस को 3 सीटें नहीं मिलेंगी’ कह कर तीसरा पुशअप नहीं किया, हुआ भी यही: कई चुनावों में ऐसे सही साबित हुए प्रदीप भंडारी...

दिल्ली विधानसभा चुनाव में सभी एजेंसियाँ कॉन्ग्रेस को 10% का वोट शेयर दिखाया, लेकिन 'जन की बात' ने कॉन्ग्रेस को 5% वोट बताया। ये सही साबित हुआ।

इस्लामी कट्टरपंथ पर पर्दा डालने का रिवाज पुराना, इसलिए ‘द कश्मीर फाइल्स’ से जले-भुने हैं लिबरल: जिंदा रहने के लिए ‘शठे-शाठ्यं समाचरेत’ की नीति...

‘हम भारत के लोग’ हर गलत को गलत और सही को सही कहना प्रारंभ करें, तब ही हमारा भविष्य निरापद और सुरक्षित हो सकता है। यही ‘द कश्मीर फाइल्स’ के सृजन और प्रदर्शन का प्रयोजन भी है और संदेश भी।