इस प्रकार के उग्र-हिंसक प्रदर्शन भी आतंक का ही एक रूप हैं जो समाज और शासन-प्रशासन पर अनुचित दबाव डालकर अपनी बात मनवाने का प्रयत्न करते हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसे दबाव स्वीकार नहीं किए जा सकते, किए भी नहीं जाने चाहिए।
‘हम भारत के लोग’ हर गलत को गलत और सही को सही कहना प्रारंभ करें, तब ही हमारा भविष्य निरापद और सुरक्षित हो सकता है। यही ‘द कश्मीर फाइल्स’ के सृजन और प्रदर्शन का प्रयोजन भी है और संदेश भी।