हज़ारों हिन्दुओं को ज़िंदा जला देने और शरीर छेद कर टाँग देने वाला पुर्तगालियों का Goa Inquisition शायद ईसाईयत के इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक है। गोम्स साहब का इसके खिलाफ एक भी लफ्ज़ दर्ज नहीं है इतिहास में... और RSS को इनसे सीखने की जरुरत है!!!
1. हिंदू अपराध करे तो पूरा हिंदुस्तान 'लिंचिस्तान', Pak के मजहब वालों का पाप ढकने के लिए उन्हें 'एशियन' बताना 2. खुले में शौच के लिए हिन्दू धर्म शास्त्र ज़िम्मेदार 3. हिंदुओं पर स्टोरी के लिए मानव-माँस खाते अघोरियों को दिखाना - हिन्दूफ़ोबिया से ग्रसित अंतरराष्ट्रीय मीडिया को समझने के लिए ये तो बस कुछ उदाहरण हैं। इनके कारनामों की लिस्ट बहुत लंबी है।
इससे हास्यास्पद क्या हो सकता है कि वामपंथी, जिन्होंने एक ही मार्क्सवादी फॉर्मूले से रूस, चीन, पूर्वी जर्मनी, कम्बोडिया, क्यूबा, वेनेज़ुएला और न जाने कितने और मुल्कों में कत्लेआम मचाया है, वह अपने विरोधियों पर 'एक जैसा' होने का आरोप लगाएँ।
जनता वापिस कॉन्ग्रेस के 'माई-बाप समाजवाद' के युग में नहीं जाना चाहेगी, जहाँ राहुल गाँधी जनता को आर्थिक रूप से सरकार पर निर्भर रखना चाहते थे या जहाँ फ़ाइलें इतना धीमें चलें कि नेहरू द्वारा उद्घाटित सरदार सरोवर बाँध का लोकार्पण मोदी के हाथों हो।
यह चुप्पी केवल आज की नहीं है, केवल मंगरू के मामले में नहीं है। यह हर उस मामले में ओढ़ा गया सन्नाटा है, जब 'डरा हुआ शांतिप्रिय' कोई अपराध करता है, और भुक्तभोगी कोई हिन्दू होता है।
अब ये कातिलों से लेकर गबन के आरोपियों का बचाव केवल इस आधार पर करना चाहते हैं कि फलाना मोदी के खिलाफ बोला था, ‘एंटी-RSS’ था, तो अगर इसे जेल भेजा गया तो सरकार के खिलाफ बोलने वालों में ‘डर का माहौल’ बन जाएगा।
इस्लाम के समर्थकों और ईसाईयों को आत्म-विवेचन की जरूरत है- 'इनटॉलेरेंस' के लिए जिम्मेदार 'भगवाकरण' है, या हिन्दुओं को आक्रामकता अख्तियार करने के लिए मजबूर करने वाले उनके आचरण।