Monday, December 23, 2024
135 कुल लेख

मृणाल प्रेम स्वरूप श्रीवास्तव

जिसने हिंदुस्तान को ‘ईसाई राष्ट्र’ बनाने का ख्वाब देखा था, RSS को उससे सीखने की जरुरत नहीं Scroll

हज़ारों हिन्दुओं को ज़िंदा जला देने और शरीर छेद कर टाँग देने वाला पुर्तगालियों का Goa Inquisition शायद ईसाईयत के इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक है। गोम्स साहब का इसके खिलाफ एक भी लफ्ज़ दर्ज नहीं है इतिहास में... और RSS को इनसे सीखने की जरुरत है!!!

‘जय श्री राम’ कत्ल का नारा! हिन्दूफ़ोबिया से ग्रसित सिर्फ BBC नहीं, Western Media की लम्बी फेहरिस्त

1. हिंदू अपराध करे तो पूरा हिंदुस्तान 'लिंचिस्तान', Pak के मजहब वालों का पाप ढकने के लिए उन्हें 'एशियन' बताना 2. खुले में शौच के लिए हिन्दू धर्म शास्त्र ज़िम्मेदार 3. हिंदुओं पर स्टोरी के लिए मानव-माँस खाते अघोरियों को दिखाना - हिन्दूफ़ोबिया से ग्रसित अंतरराष्ट्रीय मीडिया को समझने के लिए ये तो बस कुछ उदाहरण हैं। इनके कारनामों की लिस्ट बहुत लंबी है।

असली दिक्कत ‘ध्वनि प्रदूषण’ नहीं, हिन्दू भक्त हैं: मंदिर ‘इकोसिस्टम’ ध्वस्त करने की साज़िश

'ज़िंदा कौमें पाँच साल इंतज़ार नहीं करतीं" अगर हिन्दू आत्मसात कर लें, अपना उद्धार खुद, और आज से ही, अपने जीते-जी करने की कमर कस लें तो बड़ी कृपा होगी।

नहीं महुआ मोइत्रा, दक्षिणपंथी लोग नहीं, वामपंथी ‘आसहोल्स’ हर जगह होते हैं एक जैसे

इससे हास्यास्पद क्या हो सकता है कि वामपंथी, जिन्होंने एक ही मार्क्सवादी फॉर्मूले से रूस, चीन, पूर्वी जर्मनी, कम्बोडिया, क्यूबा, वेनेज़ुएला और न जाने कितने और मुल्कों में कत्लेआम मचाया है, वह अपने विरोधियों पर 'एक जैसा' होने का आरोप लगाएँ।

सोनिया जी, दो-चार प्रचलित शब्दों का हौआ बना कर देश की जनता को डराने की कोशिश बेकार है

जनता वापिस कॉन्ग्रेस के 'माई-बाप समाजवाद' के युग में नहीं जाना चाहेगी, जहाँ राहुल गाँधी जनता को आर्थिक रूप से सरकार पर निर्भर रखना चाहते थे या जहाँ फ़ाइलें इतना धीमें चलें कि नेहरू द्वारा उद्घाटित सरदार सरोवर बाँध का लोकार्पण मोदी के हाथों हो।

हिन्दू मंगरू की लिंचिंग पत्रकारिता के समुदाय विशेष के लिए उतनी ‘सेक्सी’ नहीं है

यह चुप्पी केवल आज की नहीं है, केवल मंगरू के मामले में नहीं है। यह हर उस मामले में ओढ़ा गया सन्नाटा है, जब 'डरा हुआ शांतिप्रिय' कोई अपराध करता है, और भुक्तभोगी कोई हिन्दू होता है।

‘द वायर’ वालो, ‘मोदी-विरोधी’ होने से गबन और क़त्ल करने का लाइसेंस नहीं मिलता

अब ये कातिलों से लेकर गबन के आरोपियों का बचाव केवल इस आधार पर करना चाहते हैं कि फलाना मोदी के खिलाफ बोला था, ‘एंटी-RSS’ था, तो अगर इसे जेल भेजा गया तो सरकार के खिलाफ बोलने वालों में ‘डर का माहौल’ बन जाएगा।

बौद्ध, जैन, सिख, यहूदी, पारसी: इन्हें कभी ‘इनटॉलेरेंस’ की पीड़ा क्यों नहीं होती?

इस्लाम के समर्थकों और ईसाईयों को आत्म-विवेचन की जरूरत है- 'इनटॉलेरेंस' के लिए जिम्मेदार 'भगवाकरण' है, या हिन्दुओं को आक्रामकता अख्तियार करने के लिए मजबूर करने वाले उनके आचरण।