सियासत में कूदने से पहले ही प्रभुनाथ का आस्तीन दाग़दार हो चुका था। 1980 में मशरक के विधायक रामदेव सिंह की हत्या हुई थी और आरोप लगा था प्रभुनाथ सिंह पर।
कामदेव सिंह का परिवार को जब पता चला कि सूरजभान ने उनके किसी रिश्तेदार को जान से मारने की धमकी दी है तो सूरजभान को उसी के अंदाज में संदेश भिजवाया गया- “हमने हथियार चलाना बंद किया है, हथियार रखना नहीं। हमारी बंदूकों से अब भी लोहा ही निकलेगा।”
सुनील पांडेय का एक परिचय यह भी है कि वो पीएचडी हैं। अपने नाम के आगे डॉक्टर लगाते हैं। हैरानी वाली बात तो यह है कि इन्होंने पीएचडी भगवान महावीर की अहिंसा पर की है।
बिहार की राजनीति में सक्रिय ऐसे ही माफियाओं की फेहरिस्त में एक नाम राजन तिवारी का भी है। राजन तिवारी ऐसे बाहुबली हैं, जिनका दबदबा दो राज्यों यूपी और बिहार दोनों जगह रहा है।