Tuesday, March 19, 2024
17 कुल लेख

Rahul Roushan

A well known expert on nothing. Opinions totally personal. RTs, sometimes even my own tweets, not endorsement. #Sarcasm. As unbiased as any popular journalist.

‘ट्रू इंडोलॉजी’ बनाम देवेंद्र फडणवीस: हिंदुत्व के मुद्दे पर क्यों आमने-सामने? हिंदू एकता पर RSS की सोच क्या?

'ट्रू इंडोलॉजी' का कहना है कि सावित्रीबाई फुले पर उनके 'ट्विटर थ्रेड' को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। अपने ऊपर लगे आरोपों को वो नकार चुके हैं।

क्या केजरीवाल की ‘राजनीति’ में डूब जाएगा सीमावर्ती पंजाब या शेष है कोई उम्मीद?

क्या पंजाब में आम आदमी पार्टी के आने के बाद खालिस्तानी अपने एजेंडे को राज्य में बढ़ावा दे पाएँगे, क्या वह केजरीवाल को नियंत्रित कर पाएँगे?

कृषि कानूनों की वापसी: BJP को उनकी ही वेबसाइट पर मौजूद ये पुस्तक पढ़नी चाहिए, जानिए क्यों

एक साल पहले जब किसान प्रदर्शनकारी दिल्ली के लिए निकले थे, तभी इस आंदोलन में खालिस्तानी तत्वों की उपस्थिति का स्पष्ट रूप से पता चल गया था।

‘RSS ट्रैक पर है या रास्ता भूल गया है?’: एक ऐसे संघी के विचार, जो कभी शाखा नहीं गया

मैं कई ऐसे RSS के सदस्यों को जानता हूँ जिन्होंने सिर्फ इसी कारण से आरएसएस को छोड़ दिया क्योंकि उन्हें लगता है कि आरएसएस बदलाव लाने के प्रति कुछ ज्यादा ही नरम है।

पीएम मोदी की शासन शैली का ‘गुजरात मॉडल’: कोरोना संकट और 2022 के चुनाव पर CM विजय रुपाणी से खास बातचीत

64 वर्षीय भाजपा नेता विजय रुपाणी का मुख्यमंत्री के तौर पर इस साल अगस्त 2021 में 5 साल का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। ऐसे में राज्य में कोरोना के खिलाफ लड़ाई सहित विभिन्न मुद्दों पर ऑपइंडिया की विशेष बातचीत।

राजनीति से नहीं ट्विटर के रार का सरोकार, यह ‘विदेशी मसीहा’ को लेकर लिबरल बेचैनी का है इजहार

बात पुराने पापों पर पर्दा डालने की हो या नए प्रोपेगेंडा की, देशी लिबरलों को अब विदेशी मदद की दरकार है, क्योंकि उनके घरेलू नायक बेपर्दा हो चुके हैं।

2024 के लोकसभा चुनाव की बात करना जल्दबाजी है फिर भी हमें बात करनी होगी: जानिए क्यों?

पूरा कॉन्ग्रेस-लेफ्ट इकोसिस्टम 2024 तक इस बदलाव की झूठी उम्मीदों को जिन्दा रखने की पूरी कोशिश करेगा। फासीवाद का रोना रोकर भी जो अवसर न मिल पाया, इस इकोसिस्टम को वह अवसर कोरोना वायरस में दिखाई दिया है।

एक संघी की मृत्यु होती है, फिर उसकी फैक्ट-चेकिंग की जाती है… भारतीय मीडिया इससे नीचे नहीं गिर सकती

‘फैक्ट-चेकिंग’ अब फेक न्यूज और प्रोपेगेंडा फैलाने का एक नया माध्यम। मीडिया किसी भी ‘संघी’ अथवा एक प्रखर ‘हिन्दू पहचान’ वाले व्यक्ति को...

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