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Rahul Roushan
A well known expert on nothing. Opinions totally personal. RTs, sometimes even my own tweets, not endorsement. #Sarcasm. As unbiased as any popular journalist.
कला-साहित्य
अन्ना हजारे का आंदोलन कॉन्ग्रेस की मदद के लिए था… रास्ता भटक गया और केजरीवाल सारी मलाई चाप गए?
"एक सीमित तरीके में ही आंदोलन बनाए रखना था, नियत समय के बाद उसे समाप्त करना था।" - यह फोन रिकॉर्डिंग है। इसके साथ चीजों को जोड़िए और...
हास्य-व्यंग्य-कटाक्ष
ट्रंप समर्थक ने कहा- कश्मीर के लिए किया कैपिटल हिल पर हमला, JNU में बना हीरो
“यह कश्मीर के लिए था। यह पूँजीपतियों द्वारा गरीबों पर किए गए अत्याचार करने के लिए था। यह मोदी के लिए एक चेतावनी थी। यह ट्रम्प के लिए नहीं था।"
वीडियो
हिन्दुवाद, हिन्दुत्व और ट्विटर के ट्रैड | Rahul Roushan, Ashish Dhar talk Hindutva, Hinduism, trads beyond Twitter
ऑपइंडिया CEO राहुल रौशन और UpWord के संस्थापक आशीष धर के साथ हिन्दू, हिन्दुवाद, हिन्दुत्व जैसे मुद्दों पर बातचीत
मीडिया हलचल
फेसबुक इंडिया को ‘बीजेपी का वफादार’ बता WSJ ने पूरा किया लिबरल मीडिया का इंतकाम
WSJ का लेख दूसरों के लिए भी एक चेतावनी की तरह है। संदेश साफ है यदि आप उनके सामने सरेंडर नहीं करते तो वे आपकी प्रतिष्ठा और करियर को नष्ट कर देंगे।
मीडिया हलचल
ऑपइंडिया और इनके सम्पादकों के हालिया उत्पीड़न पर CEO राहुल रौशन का संदेश
हमले हमें परेशान नहीं करते हैं, वास्तव में, अगर वे हम पर हमला नहीं करते हैं, तो हमें ऐसा लगता है कि हम कुछ सही नहीं कर रहे हैं, कुछ दमदार काम नहीं है। इसलिए सबसे पहले, ऐसे नफरत करने वालों को धन्यवाद, वे हम पर हमला करते रहें।
राजनैतिक मुद्दे
‘Times Now’ के दिल्ली में AAP की जीत की भविष्यवाणी के बावजूद, इन वजहों से वो अभी भी चुनाव हार सकते हैं
'टाइम्स नाउ' द्वारा करवाए गए हालिया सर्वेक्षण ने भाजपा समर्थकों का मनोबल गिराने का काम किया है। टाइम्स नाउ ने दावा किया है कि यह सर्वे जनवरी 27, 2020 और फरवरी 01, 2019 के बीच किया गया था, यानी कि ऐसी अवधि के दौरान जबकि भाजपा को बढ़त बनाते हुए देखा गया।
सामाजिक मुद्दे
फैज़ अहमद फैज़: उनकी नज़्म और वामपंथियों का फर्जी नैरेटिव ‘हम देखेंगे’
सिर्फ मूर्तियों को नष्ट किए जाने की कल्पना मात्र और केवल अल्लाह का नाम ही इस दुनिया में रहना चाहिए, ये सोच मात्र ही इस कविता का विरोध करने के लिए काफी होना चाहिए ना? या फिर लिबरल्स को ये लगता है कि उनकी भावनाएँ दूसरों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण हैं?
राजनैतिक मुद्दे
2019 की इस मजहबी उन्मादी आग से 2024 में कितनी रोशन होगी भाजपा?
2024 बहुत दूर है। उस समय क्या होगा, यकीनी तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन, जितने जोर-शोर से CAA+NRC को मुस्लिम विरोधी बताया जाएगा, इस्लाम विरोधी भावनाएँ गहराती जाएँगी। वैसे भी इस उन्माद के सारे सूत्र भीड़ अपने हाथ ले ही चुका है।