Saturday, April 20, 2024
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पीएम मोदी की शासन शैली का ‘गुजरात मॉडल’: कोरोना संकट और 2022 के चुनाव पर CM विजय रुपाणी से खास बातचीत

"कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान गुजरात देश का एकमात्र ऐसा राज्य था, जिसने कम्प्लीट लॉकडाउन नहीं किया था। हमने उद्योगों को खुला रखा और दफ्तर कम क्षमताओं के साथ काम करते रहे।"

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी हर सोमवार और मंगलवार को लगभग पूरी दोपहर और शाम तक लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं के बारे में समझते हैं, ताकि उन्हें बेहतर तरीके से सेवाएँ दी जा सकें। उनकी ये जनसभाएँ समाज के विभिन्न वर्गों के साथ उनकी मासिक बातचीत ‘मोकला माने (खुलकर बात)’ का विस्तार हैं। लोगों के साथ नियमित तौर पर रुपाणी का यह ‘जन संवाद’ उन्हें इस बात का विश्वास दिलाता है कि अगले साल (2022) होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान गुजरात के लोग एक बार फिर से भाजपा को ही चुनेंगे।

हालाँकि, प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव होने में अभी एक साल का वक्त है। लेकिन, इसको लेकर उत्सुकता उस वक्त जगी, जब आम आदमी पार्टी (AAP) ने पार्टी की गुजरात इकाई में कुछ नए लोगों को शामिल किया। इसके बाद अरविंद केजरीवाल जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने दावा किया कि गुजरात ‘राजनीति में बदलाव’ के लिए तैयार हैं। इससे पहले इसी साल फरवरी 2021 में आम आदमी पार्टी ने सूरत के निकाय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था, जिससे पार्टी को दिल्ली के बाहर अपनी छाप छोड़ने की उम्मीद दिखी थी।

हालाँकि, मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का मानना ​​है कि AAP के पास गुजरात के लिए कोई विजन नहीं है। इसलिए वो यहाँ दावेदार नहीं हैं। इसके अलावा पार्टी ( AAP) के पास गुजरातियों को देने के लिए कोई सार्थक विकल्प भी नहीं है।

मंगलवार को अपनी पब्लिक मीटिंग से पहले ऑपइंडिया को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में सीएम ने कहा, “गुजरात एक राजनीतिक रूप से जागरूक प्रदेश है। भ्रष्टाचार के खिलाफ नवनिर्माण आंदोलन यहीं से शुरू हुआ था। देश के स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत भी गाँधीजी और सरदार पटेल ने गुजरात से ही की थी। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुड गवर्नेंस के आंदोलन की शुरुआत भी गुजरात से ही की थी। गुजरात अब तक दो दलीय राज्य ही रहा है। यहाँ जनता ने कॉन्ग्रेस या बीजेपी दोनों में से एक को ही चुना है। राज्य की जनता बीते 25 सालों से भाजपा को चुन रही है। वहीं कॉन्ग्रेस तो लगभग पूरे भारत से ही खत्म हो गई है।”

गुजरात के मुख्यमंत्री ने इस बात को बताया कि आखिर वो आम आदमी पार्टी को प्रदेश में दावेदार क्यों नहीं मानते हैं? उन्होंने कहा कि राज्य में पार्टी (AAP) के पास न तो कोई नेता है और न ही कोई कार्यकर्ता। आज जो भी उसमें शामिल हो रहे हैं वो या तो दूसरे राजनीतिक दलों के असंतुष्ट लोग हैं या फिर उन लोगों ने उनका स्वागत ही नहीं किया था। गुजरात में फ्रीबीज (मुफ्तखोरी) की राजनीति काम नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस ने भी लोगों को कर्जमाफी जैसी मुफ्त सुविधाएँ देने की कोशिश की थी, लेकिन फिर भी वह नहीं जीत पाई।

रुपाणी ने कहा कि वर्ष 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान कॉन्ग्रेस ने अपनी जाति की राजनीति खूब चली थी। बावजूद इसके गुजरात के लोगों ने उन्हें वोट नहीं दिया। उन्होंने कहा कि 2017 में प्रदेश में करीबी मुकाबला होने के बाद भी वर्ष 2019 में राज्य ने सभी 26 लोकसभा की सीटें भाजपा को दिया।

राज्य की राजनीति से जुड़े ऑपइंडिया के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री रुपाणी ने कहा कि वर्तमान में उनका फोकस राज्य के शासन पर है न कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अभी-अभी कोरोना वायरस के दूसरी लहर को नियंत्रित किया गया है और प्रशासन इस बात को सुनिश्चित करने में लगा हुआ है कि अगर प्रदेश में कोविड की तीसरी लहर आती है तो हमें किसी तरह की चुनौती का सामना नहीं करना पड़े।

चुनौतियों और उससे निपटने के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “यह बहुत बड़ी चुनौती थी। हमारे पास आपूर्ति से 5-6 गुना अधिक माँग थी। लेकिन, हम सबने मिलकर इससे निपटने की कोशिश की। हमारे पास बहुत ही डायनमिक डैशबोर्ड है, जिसके जरिए हमें पूरे गुजरात के सभी विभागों से रियल टाइम डेटा मिलता है। कोरोना काल के दौरान राजकोट, वडोदरा, अहमदाबाद और सूरत के हालात का जायजा लेने के लिए मैंने वहाँ के डॉक्टरों और लोगों से रियल टाइम में बात की। 30 अप्रैल 2021 को दूसरी लहर के दौरान सबसे 14,600 नए संक्रमित मिले थे। बीते दिन 100 से भी कम नए संक्रमित मिले थे। लेकिन, अगर तीसरी लहर का प्रकोप होता है तो हम प्रतिदिन 25,000 नए संक्रमितों के लिए तैयार हैं। मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री से लेकर ब्यूरोक्रेट तक इसमें शामिल थे, क्योंकि इससे निपटना सामूहिक जिम्मेदारी थी।”

मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर अगर आती है तो राज्य इसके लिए पूरी तरह से तैयार है। हालाँकि, उद्देश्य यह सुनिश्चित करने का है राज्य में तीसरी लहर आए ही न। प्रदेश के 6 बड़े शहरों अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट, जामनगर और गाँधीनगर में बड़े पैमाने पर लोगों का वैक्सीनेशन किया जा रहा है। राज्य सरकार यहाँ पर नजर बनाए हुए है। सीएम ने विश्वास जताया कि टीकाकरण की यही तेजी रही तो जुलाई 2021 के अंत तक सरकार इन प्रमुख जिलों के साथ-साथ जूनागढ़ और भावनगर के 70% से अधिक लोगों का टीकाकरण कर लेगी।

कोरोना की दूसरी लहर से सबक लेते हुए राज्य सरकार ने ऑक्सीजन बेड समेत दूसरे चिकित्सा आपूर्तियों की क्षमता को बढ़ाया है। उन्होंने कहा, “15 मार्च को हमारे पास 41,000 ऑक्सीजन बेड थे। एक महीने के भीतर हमने ऑक्सीजन बेड्स की क्षमताओं को बढ़ाकर 57,000 कर दिया। कोरोना की पहली लहर के दौरान ऑक्सीजन की आवश्यकता अधिकतम 300 मीट्रिक टन थी। लेकिन इस बार यह बढ़कर 1180 मीट्रिक टन हो गई है। तीसरी लहर को देखते हुए हम 1800 मीट्रिक टन ऑक्सीजन के लिए तैयार हैं। हम पूरे गुजरात में 300 ऑक्सीजन प्लाँट्स लगाने जा रहे हैं। इसमें से 150 स्थापित भी हो चुके हैं। एक सेंट्रलाइज्ड इन्फॉर्मेशन डैशबोर्ड की स्थापना की योजना है, जिसके जरिए लोग राज्य के विभिन्न शहरों के अस्पतालों में बेड्स की उपलब्धता के बारे में आसानी से जान सकेंगे।

64 वर्षीय भाजपा नेता विजय रुपाणी का मुख्यमंत्री के तौर पर इस साल अगस्त 2021 में 5 साल का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। रुपाणी ने ऑपइंडिया को बताया कि वो न केवल इस बात को सुनिश्चित करने में लगे हैं कि राज्य में कोरोना की तीसरी लहर न आए, बल्कि कोविड की पहली दो लहरों के कारण राज्य का विकास कार्य भी पटरी से न उतरने पाए।

सीएम ने कहा, “कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान गुजरात देश का एकमात्र ऐसा राज्य था, जिसने कम्प्लीट लॉकडाउन नहीं किया था। हमने उद्योगों को खुला रखा और दफ्तर कम क्षमताओं के साथ काम करते रहे।” कोविड के कारण सबसे अधिक प्रभावित उद्योगों में से एक पर्यटन को पुनर्जीवित करने पर उन्होंने कहा, “गुजरात को सोमनाथ, अंबाजी जैसे पवित्र स्थलों के साथ धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में जाना जाता है। हम बनासकाँठा सीमा पर ‘बॉर्डर टूरिज्म’ के रूप में नया पर्यटन क्षेत्र विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं।” गुजरात की कुल 3,323 किलोमीटर की सीमा में से लगभग 506 किलोमीटर की सीमा पाकिस्तान से लगती है।

सौराष्ट्र क्षेत्र गुजरात के कुल क्षेत्रफल का लगभग एक तिहाई है। इस क्षेत्र के विकास के बारे में बात करते हुए सीएम ने कहा कि वहाँ एम्स जैसे अस्पताल, हवाई अड्डे और 6 लेन राजमार्गों का निर्माण किया जा रहा है, जो इस क्षेत्र को राजकोट के रास्ते अहमदाबाद से जोड़ते हैं। प्रदेश के सीएम रूपाणी खुद भी राजकोट से हैं और यह राजकोट II निर्वाचन क्षेत्र था, जहाँ फरवरी 2020 में पीएम मोदी ने पहली चुनावी जीत दर्ज की थी।

मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने विकास के लक्ष्यों और एजेंडे को पूरा करने में जरूरी मार्गदर्शन और समर्थन देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने याद किया कि इस साल मई 2021 में जब चक्रवाती तूफान तौकते ने गुजरात में तबाही मचाई तो इससे निपटने में पीएम मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सबसे ऊपर थे। भाजपा नेता ने कहा, “पीएम मोदी अगले दिन ही गुजरात आए थे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संपर्क में थे, एनडीआरएफ भेजे, गृहमंत्री अमित शाह भी लगातार हमसे संपर्क में थे। इसके अलावा केंद्र ने 1,000 करोड़ रुपए की राहत पैकेज की भी घोषणा की।”

उन्होंने राज्य में ‘संस्था निर्माण’ की संस्कृति का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया, जिन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शासन में उनकी मदद करने के लिए इन्हें स्थापित किया था। जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तकनीकों का इस्तेमाल करते थे, उसी तरह से राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री भी प्रभावी ढंग से तकनीक का इस्तेमाल करते हैं।

‘सीएम डैशबोर्ड’ तकनीक का ऐसा ही प्रभावी उपयोग है, जो कि मुख्यमंत्री के कार्यालय को रियल टाइम में हालात पर नजर रखने और विभिन्न सरकारी योजनाओं और प्रस्तावों को प्राप्त करने में मदद करता है। कोरोना संकट के दौरान इस डैशबोर्ड का इस्तेमाल प्रभावी ढंग से किया गया था।

यह पूछे जाने पर कि उन्हें दूसरे मुख्यमंत्रियों की तरह राष्ट्रीय मीडिया में बार-बार या ‘प्रभावी रूप से’ क्यों नहीं देखा जाता है? इस पर गुजरात के सीएम ने कहा कि वह अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने में विश्वास करते हैं और भले ही वह राष्ट्रीय मीडिया में दिखाई न दें। वह आसानी से सुलभ व्यक्ति हैं जो लोगों की प्रतिक्रियाओं को महत्व देते हैं। यही कारण है कि वह सप्ताह में दो दिन लोगों से मिलने और उनकी बात सुनने में बिताते हैं।

(यह साक्षात्कार ऑपइंडिया के सीईओ राहुल रौशन और अंग्रेजी वेबसाइट Opindia की संपादक निरवा मेहता ने किया था)

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Rahul Roushan
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