Saturday, July 27, 2024
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‘तुम कोटा के हो ब#$द… कोटा में रहना है या नहीं तुम्हें?’: राजस्थान विधानसभा में कॉन्ग्रेस विधायक ने सभापति और अधिकारियों को दी गाली, BJP ने कार्रवाई की माँग की

राजस्थान कॉन्ग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने विधानसभा में बोलते हुए गालियों की बौछार कर दी। इतना ही नहीं, उन्होंने सदन में सभापति को भी धमकी दे दी। कॉन्ग्रेस विधायक ने सभापति से कहा कि ‘कोटा में रहना है कि नहीं।’ उन्होंने सरकारी कर्मचारियों को भी नहीं छोड़ा और उन्हें खूब गालियाँ दी। ये विधायक कोई और नहीं, बल्कि वरिष्ठ नेता शांति धारीवाल हैं।

बजट सत्र में प्रश्नकाल के दौरान कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और कोटा उत्तर से विधायक शांति कुमार धारीवाल ने स्पीकर से बात करते हुए असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल किया। आरोप है कि उन्होंने बोलते हुए बार-बार गालियों का इस्तेमाल किया। साथ ही सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों के लिए भी उन्होंने अपशब्दों का इस्तेमाल किया।

जिस वक्त यह वाकया हुआ, उस वक्त सभापति के आसन पर कोटा दक्षिण से विधायक संदीप शर्मा थे। उन्होंने कम समय की बता करते हुए शांति धारीवाल को अपनी बात खत्म करने के लिए कहा। इस पर धारीवाल ने 5 मिनट और माँगे, लेकिन सभापति ने असमर्थता जताई और कहा कि आज बोलने वाले 65 लोग हैं। इस पर धारीवाल ने कहा, “अरे कितने भी बोलने वाले हों, देर तक चला लेना।”

धारीवाल ने सभापति संदीप शर्मा से कहा, “तुम कोटा के हो ब#$द… कोटा में रहना है या नहीं तुम्हें?” इतना ही नहीं, नगरपालिका और प्राधिकरणों के अधिकारियों का जिक्र करते हुए भी शांति धारीवाल ने गाली दे डाला। इस दौरान शांति धारीवाल और सभापति संदीप शर्मा भी मुस्कुराते हुए बातें करते हुए नजर आए।

शांति धारीवाल का यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। लोग उनकी खूब आलोचना कर रहे हैं। वहीं, भाजपा ने भी कॉन्ग्रेस विधायक के बयान की कड़ी आलोचना की है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रत्युष कांत ने कहा, “कॉन्ग्रेस विधायक शांति धारीवाल ने विधानसभा में अपशब्द बोले हैं। ये हैं राजस्थान कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता शांति धारीवाल हैं।”

भाजपा नेता आगे कहा, “विधानसभा में धमकी दे रहे हैं कि आपको कोटा में रहना है या नहीं देख लेंगे। स्पीकर पद के लिए कॉन्ग्रेस का यह सम्मान है, जो कि एक संवैधानिक पद है। दिल्ली में इनके नेता संविधान की रक्षा का ढोंग करते है। कॉन्ग्रेस पार्टी क्या इन पर कोई कार्रवाई करेगी या जयराम रमेश सिर्फ़ बयान से किनारा करेंगे?”

बांग्लादेशियों को शरण देने वाले बयान पर CM ममता बनर्जी कायम, बोलीं- ‘7 बार सांसद रही हूँ, मुझे सिखाने की जरूरत नहीं’

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्लादेशी लोगों को शरण देने के मामले में जो टिप्पणी की, उसके बाद उनका जगह-जगह विरोध हुआ। अब इसी मामले में सीएम ममता बनर्जी ने जवाब दिया है। उन्होंने मामले की गंभीरता को समझने की बजाय कहा है कि वो 7 बार से सांसद हैं और उन्हें किसी से सीखने की जरूरत नहीं है।

सीएम ममता बनर्जी ने कहा, “मैं संघीय ढांचे को अच्छी तरह से जानती हूँ। मैं सात बार सांसद रही और दो बार केंद्रीय मंत्री रही हूँ। मैं विदेश मंत्रालय की नीति को किसी और से बेहतर जानती हूँ। उन्हें मुझे सबक नहीं सिखाना चाहिए बल्कि उन्हें सिस्टम से सीखना चाहिए।”

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले बांग्लादेश में हिंसक झड़पों के बाद ममता बनर्जी ने संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के तहत बांग्लादेश से आए लोगों को शरण देने की अपनी प्रतिबद्धता पर बात कही थी। उन्होंने ने तृणमूल कॉन्ग्रेस की ‘शहीद दिवस’ रैली में कहा था, ”अगर असहाय लोग बंगाल के दरवाजे पर दस्तक देंगे तो हम निश्चय रूप से आश्रय देंगे।

इसी टिप्पणी के बाद बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने ममता बनर्जी की टिप्पणियों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था कि उनकी टिप्पणी भ्रम पैदा कर सकती हैं और जनता गुमराह हो सकती है। वहीं भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा था, “विदेशी संबंधों से जुड़े मामले केंद्र सरकार का विशेषाधिकार है।

अग्निवीरों को पुलिस एवं अन्य सेवाओं की भर्ती में देंगे आरक्षण: CM योगी ने की घोषणा, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ सरकारों ने भी रिजर्वेशन का किया ऐलान

विपक्षी दलों द्वारा अग्निपथ योजना पर सवाल उठाने के बीच अग्निवीरों के लिए खुशखबरी आई है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकार ने सेना के अग्निवीरों को राज्य पुलिस की भर्ती में आरक्षण देने की घोषणा की है। कारगिल विजय के 25 साल पूरे होने पर तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इसकी घोषणा की है। हालाँकि, कितना आरक्षण दिया जाएगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है।

सबसे पहले घोषणा करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार (26 जुलाई 2024) को कहा कि अग्निवीर जब अपनी सेवा के बाद वापस आएँगे तो उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार पुलिस सेवा और PAC में प्राथमिकता के आधार पर समायोजित करेगी। उन्होंने कहा कि अग्निवीरों को उत्तर प्रदेश पुलिस में एक निश्चित आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

इसके बाद मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव और छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने भी राज्य पुलिस और फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती में छूट देने की बात कही। सीएम योगी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “सुधार, प्रगति और समृद्धि से जुड़ी हर चीज में बाधा डालना उनका काम है। विपक्ष ने इस मामले पर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की। मुझे लगता है कि हमें राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च मानते हुए सशस्त्र बल सुधार पर आगे बढ़ना चाहिए।”

बता दें कि दो साल पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी BSF, CRPF, ITBP, SSB और CISF में अग्निवीरों को 10% आरक्षण देने की घोषणा की थी। इनमें भर्ती के लिए उनके लिए आयु सीमा में भी छूट दी गई है। वहीं, हरियाणा सरकार अग्निवीरों को 10% आरक्षण देने का फैसला कर चुकी है। उत्तराखंड सरकार ने भी 21 जुलाई को अग्निवीरों को आरक्षण देने का ऐलान किया है।

अग्निपथ योजना की वर्तमान स्थिति और नियोजित अग्निवीरों की संख्या के बारे में भारतीय सेना के एडजुटेंट जनरल लेफ्टिनेंट जनरल चन्नीरा बंसी पोनप्पा ने 21 जुलाई को जानकारी दी। उन्होंने कहा कहा, “जून 2022 से यह योजना शुरू की गई है और फिर दिसंबर 2022-जनवरी 2023 में हमारे पास पहला बैच था जिसे भर्ती किया गया और नामांकित किया गया।

उन्होंने आगे बताया, “लगभग 1 लाख अग्निवीर सेना में भर्ती हुए हैं। इसमें लगभग 200 महिलाएँ भी शामिल हैं, लगभग 70,000 को पहले ही इकाइयों में भेजा जा चुका है और वे बटालियनों में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं… इसमें लगभग 100 महिला पुलिस भी शामिल हैं। इस वर्ष 2024-25 में लगभग 50,000 वैकेंसी जारी की गई है, जिनकी भर्ती प्रक्रिया जारी है।”

भारत सरकार ने 2022 में अग्रिवीर स्कीम की घोषणा की थी। इसमें 4 साल के लिए जवानों की भर्ती होगी। इस दौरान उनकी ट्रेनिंग और उच्च शिक्षा की भी व्यवस्था की जाएगी। इसमें से 25 प्रतिशत अग्निवीरों को सेना में स्थाई कमीशन दिया जाएगा, जबकि 75 अग्निवीरों को वापस देश की सिविल लाइफ में भेज दिया जाएगा। इन अग्निवीरों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाएगा।

जाँघ पर गुदे थे 22 दुश्मनों के नाम, लाश से खुला हत्या का राज: मुंबई के स्पा हत्याकांड में फिरोज-साकिब समेत 5 गिरफ्तार, ₹7000 की कैंची से किया गया मर्डर

मुंबई में बुधवार (24 जुलाई 2024) को वर्ली के एक स्पा सेंटर में हिस्ट्रीशीटर गुरु वाघमारे उर्फ चुलबुल की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। छानबीन के दौरान पुलिस ने अब तक इस मामले में 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये गिरफ्तारी मृतक के पोस्टमार्टम के दौरान शरीर पर गुदे टैटू और अन्य सबूतों के कारण हुई।

सामने आई तस्वीरों के मुताबिक मृतक ने अपनी जांघ पर अपने दुश्मनों के 22 नामों को गुदवाया हुआ था। इसी में एक नाम स्पा मालिक संतोष शेरेकर का भी था। पुलिस ने संतोष के साथ साथ इस केस में दो हमलावर और दो अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है।

बता दें कि वर्ली में बुधवार को सॉफ्ट टच स्पा में वाघमारे की हत्या हुई थी। पुलिस का कहना है कि स्पा मालिक शेरेकर ने कथित तौर पर वाघमारे की हत्या के लिए फिरोज अंसारी को 6 लाख रुपए सुपारी दी थी, क्योंकि वह वाघमारे की जबरन वसूली की धमकियों से तंग आ गया था।

छानबीन में पुलिस को पता चला कि अंसारी भी नालासोपारा में एक स्पा भी चलाता था, उसका स्पा पिछले साल छापेमारी के बाद बंद हो गया था। कहा जाता है कि वाघमेरे ने ही उसके स्पा की शिकायत की थी, जिसके बाद उसके स्पा पर ताला लगा। बाद में ऐसी शिकायतों को लेकर शेरेकर से संपर्क किया था, तब शेरेकर ने कथित तौर पर उससे वाघमारे की हत्या करने को कहा।

इसके बाद अंसारी ने दिल्ली के रहने वाले साकिब अंसारी से संपर्क किया और तीन महीने पहले उसकी हत्या की साजिश रची। इतने समय में साकिब और फिरोज वाघमेरे की दिनचर्या पर नजर रखे हुए थे। इन्हें सायन में एक शराब बार के बाहर लगे सीसीटीवी फुटेज में भी देखा गया था। दोनों बाद में वाघरे का स्कूटर का पीछा करते हुए शेरेकर के स्पा पहुँचे। जहाँ हत्या को अंजाम दिया गया।

पुलिस ने बताया कि हत्यारों में से एक ने शराब बार की दुकान के पास से गुटखा खरीदे थे। यूपीआई रिकॉर्ड से पता चला कि उसका नाम फिरोज अंसारी था। पुलिस ने फिरोज के नंबर की जाँच कराई तो शेरकर से कनेक्शन का पता चला। पूछताछ में सामने आया कि बुधवार को जब साकिब-फिरोज स्पा में घुसे और फिर उन्होंने 7000 की कैंची से हत्या को अंजाम दिया। हमलावरों ने वाघमेरे को ब्लेड से भी मारा। उन्होंने उसका गला काटा और उसे पेट में भी घुसाया। अब इसी हत्या केस में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने फिर अंसारी को नालासोपारा से गिरफ्तार किया है। वहीं साकिब अंसारी को राजस्थान के कोटा से पकड़ा है।

कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार ने बदला ‘रामनगर’ जिले का नाम, अब कहलाएगा ‘बेंगलुरु दक्षिण’: भाजपा और जेडीएस ने किया विरोध, कुमारस्वामी बोले- आमरण अनशन करूँगा

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार रामनगर जिले का नाम बदलकर बेंगलुरु दक्षिण जिला करने जा रही है। कर्नाटक सरकार की कैबिनेट ने शुक्रवार (26 जुलाई 2024) को जिले का नाम बदलने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसके पहले कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने इस संबंध में घोषणा की थी।

कैबिनेट की बैठक के तुरंत बाद कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि रामनगर के लोगों और वहाँ के निर्वाचित प्रतिनिधियों की माँग पर विचार करते हुए इसे मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा, “ब्रांड बेंगलुरु को ध्यान में रखते हुए कैबिनेट ने रामनगर के विधायकों द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।”

हालाँकि, मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह केवल नाम परिवर्तन है और बाकी तालुकाएँ वैसे ही रहेंगी। उन्होंने स्पष्ट किया, “राजस्व विभाग इसे अधिसूचित करने की प्रक्रिया शुरू करेगा और केवल जिले का नाम बदलेगा।” वर्तमान में रामनगर जिले में पाँच ब्लॉक- रामनगर, मगदी, कनकपुरा, चन्नपटना और हरोहल्ली हैं। ये सभी अब बेंगलुरु दक्षिण जिले का हिस्सा होंगे।

इससे पहले कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने 9 जुलाई 2024 को रामनगर जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को सौंपा था। शिवकुमार ने कहा था कि जिले के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने रामनगर का नाम बदलने का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा था कि रामनगर, चन्नपटना, मगदी, कनकपुरा, हारोहल्ली तालुकों के भविष्य और विकास को ध्यान में नेताओं ने यह प्रस्ताव दिया है।

कैबिनेट के फैसलेे पर खुशी जाहिर करते हुए शिवकुमार ने कहा, “हम सभी मूल रूप से बेंगलुरु जिले के हैं। इसमें बेंगलुरु शहर, डोड्डाबल्लापुर, देवनहल्ली, होसकोटे, कनकपुरा, रामनगर, चन्नपटना, मगदी शामिल हैं। प्रशासनिक रूप से यह पहले बेंगलुरु शहर, बेंगलुरु ग्रामीण और रामनगर में विभाजित था। अब यह बेंगलुरु शहर, बेंगलुरु ग्रामीण और बेंगलुरु दक्षिण हो जाएगा।”

उन्होंने कहा, “बेंगलुरु दक्षिण जिला बनाने से मैसूर तक रामनगर, चन्नपटना और मगदी का विकास होगा। उद्योगों की स्थापना को आमंत्रित किया जाएगा और संपत्ति के मूल्य को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। बेंगलुरु की सीमा एक तरफ आंध्र प्रदेश और दूसरी तरफ तमिलनाडु से लगती है। इस प्रकार यह हिस्सा बेंगलुरु के विकास और विस्तार के लिए छोड़ा गया है।”

सरकार के इस फैसले का भाजपा और जेडीएस ने विरोध किया है। इनका कहना है कि रामनगर में रियल एस्टेट को बढ़ाने की मंशा से नाम बदला गया है। इस तरह के कदम से विकास नहीं होगा। केंद्रीय मंत्री और जेडीएस कुमारस्वामी ने रामनगर का नाम बदलने को लेकर डीके शिवकुमार की आलोचना की और आमरण अनशन करने की चेतावनी दी है।

केंद्रीय मंत्री डीके कुमारस्वामी ने कहा, “रामनगर से मेरा कोई कारोबारी रिश्ता नहीं, बल्कि भावनात्मक रिश्ता है। अगर रामनगर जिले का नाम बदला जाता है तो मैं अपनी जान जोखिम में डालने और खराब स्वास्थ्य के बावजूद आमरण अनशन पर बैठने के लिए तैयार हूँ। आखिरी क्षण तक मैं उस जिले के गौरव की रक्षा के लिए लडूँगा।”

एल्गार परिषद के 5 आरोपितों को बॉम्बे हाई कोर्ट ने नहीं दी डिफॉल्ट बेल: भीमा कोरेगाँव मामले में UAPA के तहत 2018 में हुए थे गिरफ्तार, एडवोकेट से लेकर प्रोफेसर तक शामिल

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार (26 जुलाई 2024) को भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, रोना विल्सन, सुधीर धावले और शोमा सेन को जमानत देने से इनकार कर दिया। खुद को दलित एक्टिविस्ट कहने वाले इन सभी पाँचों आरोपितों को एल्गार परिषद के मामले में जून 2018 में गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया था।

बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एएस गडकरी और न्यायमूर्ति श्याम सी चांडक की खंडपीठ ने इन आरोपितों को याचिका पर सुनवाई की और उन्हें जमानत देने से इनकार दिया। आरोपितों ने विशेष अदालत के साल 2022 के उस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें डिफॉल्ट बेल देने से इनकार कर दिया गया था। इसके बाद वे 28 जून 2022 को हाई कोर्ट पहुँचे थे।

महेश राउत को पिछले साल बॉम्बे हाई कोर्ट ने नियमित जमानत दी थी। हालाँकि, राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के लिए समय माँगे जाने के बाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश पर एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी थी। इसके बाद एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की। सर्वोच्च न्यायालय ने नियमित जमानत पर रोक लगा दी।

वहीं, नागपुर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर शोमा सेन को 5 अप्रैल 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने नियमित जमानत दी थी। वहीं, नागपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सुधीर धवले, रिसर्चर रोना विल्सन और एडवोकेट सुरेंद्र गाडलिंग तथा महेश राउत अभी भी हिरासत में हैं। इससे पहले दिसंबर 2021 में न्यायमूर्ति संभाजी शिंदे की अगुवाई वाली हाईकोर्ट की बेंच ने गडलिंग को डिफ़ॉल्ट ज़मानत देने से मना कर दिया था।

बेंच ने इस मामले में सह-आरोपित सुधा भारद्वाज को डिफ़ॉल्ट ज़मानत दे दी थी, जबकि गडलिंग सहित 8 को ज़मानत देने से इनकार कर दिया था। मौजूदा कार्यवाही में गडलिंग ने राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) अधिनियम के तहत मामलों की सुनवाई के लिए नामित एक विशेष अदालत के 28 जून 2022 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसने उनकी डिफ़ॉल्ट ज़मानत याचिका को खारिज कर दिया था।

अपने आवेदन में गडलिंग ने कहा कि पुलिस ने पुणे की विशेष अदालत से चार्जशीट दाखिल करने के लिए और समय माँगा है। नागपुर में प्रैक्टिस करने वाले वकील ने अपनी याचिका में आगे बताया कि चार्जशीट दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय माँगने वाली अर्जी सितंबर 2018 में दायर की गई थी और एनआईए को इसके लिए 90 दिन और मिले थे।

याचिका में कहा गया है कि पहली चार्जशीट 90 दिनों की अवधि का उल्लंघन करते हुए नवंबर 2018 में दायर की गई थी। इसके अलावा, फरवरी 2019 में एक अतिरिक्त चार्जशीट दायर की गई थी। चार्जशीट दाखिल करने के लिए दिए गए समय का विस्तार गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों का उल्लंघन था।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) देवांग व्यास के नेतृत्व में अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिका का विरोध किया। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि तत्काल याचिका में दिए गए अधिकांश आधारों पर विचार करने के बाद न्यायमूर्ति शिंदे की पीठ ने दिसंबर 2021 में इसे खारिज कर दिया था और गडलिंग को जमानत देने से इनकार कर दिया था।

भगवान की पवित्र भूमि से खिलवाड़ नहीं करेंगे बर्दाश्त: तेलंगाना में चिलकूर बालाजी मंदिर के पास बन रहा था अवैध मस्जिद, बजरंग दल के विरोध के बाद निर्माण रुका

तेलंगाना के चिलकुर बालाजी मंदिर के पास एक जमीन को वक्फ जमीन बताकर वहाँ मस्जिद बनाया जा रहा है। अब बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने इसी का विरोध करते हुए कॉन्ग्रेस प्रशासन को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि मंदिर की पवित्रता के साथ कोई भी खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने निर्माण हो रहे मस्जिद को गिराने की माँग की है।

चिलकुर बालाजी देवस्थानम के अर्चक सीएस रंगराजन ने कहा, “चिलकुर बालाजी मंदिर के आसपास की जमीन पवित्र है और बहुत लंबे समय से मौजूद है। जिस तरह तिरुपति बालाजी मंदिर के आसपास की जमीन पूजनीय है, उसी तरह चिलकुर बालाजी मंदिर के आसपास का इलाका भी उतना ही पवित्र है और भगवान इसके असली मालिक हैं क्योंकि भगवान वेंकटेश्वर ने खुद को उन्हें सिलकुर में प्रकट किया है। यह अन्य धर्मों के पूजा स्थलों के लिए जगह नहीं है।”

उन्होंने आगे कहा कि मंदिर की पवित्रता को सुनिश्चित करना पुलिस, राजस्व और अन्य विभागों की जिम्मेदारी है। वह बोले, “मंदिर के दो किलोमीटर के भीतर एक नई मस्जिद बनाई जा रही है। वे भी हमारे भाई हैं और हम उनसे प्यार करते हैं और उनका सम्मान करते हैं, लेकिन सरकार और मस्जिद बनाने वालों से यह अनुरोध है कि भूमि की पवित्रता और स्वामित्व को बरकरार रखा जाए। यह प्रशासन और कलेक्टर कार्यालय से हमारी सम्मानजनक अपील है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यहाँ किसी अन्य धर्म के लिए कोई नया पूजा स्थल न बनाया जाए।”

बजरंग दल के राज्य संयोजक शिवरामुलु ने माँग की कि स्थानीय तहसीलदार जिन्होंने निजी भूमि को वक्फ भूमि बताने वाली रिपोर्ट बनाई, उन्हें तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले में मुस्लिम एमएलसी की बात सुनी गई, साइट पर बोरवेल खोदने का काम हुआ। उनके मुताबिक इन सबसे दौरान पुलिस मौके पर थी और निर्माण कार्य करते समय स्थानीय लोगों को आतंकित कर रही थी। इसी के बाद बजरंग दल ने चेतावनी दी कि हिंदू समुदाय अपने खिलाफ साजिश का जवाब देगा।

इस मामले में ताजा अपडेट के अनुसार हिंदू कार्यकर्ताओं और सीएस रंगराजन द्वारा विरोध प्रदर्शन के बाद, जिला कलेक्टर ने तुरंत इस मामले का संज्ञान लिया और मस्जिद के निर्माण को रोक दिया गया है। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी थी कि अगर निर्माण जारी रहा तो प्रदर्शन शुरू किया जाएगा।

‘संविधान हत्या दिवस’ मनाना संविधान का अपमान नहीं: दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज की समीर मलिक की याचिका, केंद्र के फैसले पर मुहर लगाई

दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार (26 जुलाई 2024) को ‘संविधान हत्या दिवस’ को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका (PIL) खारिज कर दी। याचिका में हर साल 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने की केंद्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। इसमें उन लोगों को श्रद्धांजलि देने की बात है जिन्होंने 1975 में आपातकाल के खिलाफ संघर्ष किया था।

इस याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने सुनवाई की। पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी 13 जुलाई की अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल की घोषणा के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह सिर्फ सत्ता एवं संवैधानिक प्रावधानों के दुरुपयोग और इसके बाद हुई ज्यादतियों के खिलाफ है।

इसके बाद अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा, “यह अधिसूचना संविधान का उल्लंघन या अनादर नहीं करती है।” दरअसल, यह जनहित याचिका समीर मलिक नाम के व्यक्ति ने दायर की थी। इस याचिका में तर्क दिया गया था कि आपातकाल संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत घोषित किया गया था। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि यह संविधान की हत्या की गई थी।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि सरकार की अधिसूचना अत्यधिक अपमानजनक है। हालाँकि, न्यायालय ने याचिकाकर्ता के तर्क को खारिज कर दिया। पीठ ने टिप्पणी की कि राजनेता हर समय लोकतंत्र की हत्या वाक्यांश का उपयोग करते हैं। न्यायालय ने कहा, “राजनेता हर समय लोकतंत्र की जननी वाक्यांश का उपयोग करते हैं। हम इसके लिए इच्छुक नहीं हैं। यह (PIL) इसके लायक नहीं है।”

बताते चलें कि इसी तरह का एक मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी लंबित है। उत्तर प्रदेश के झाँसी के रहने वाले एक अधिवक्ता संतोष सिंह ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में PIL दाखिल करके केंद्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी है। याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास की पीठ ने केंद्र से जवाब माँगा है। इस पर अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी।

पिता सबसे क्रूर, सबसे निर्दयी… दुनिया के सबसे अमीर आदमी की ट्रांसजेंडर बेटी का पहला इंटरव्यू, बताया- एलन मस्क नहीं बनने दे रहे थे लड़की इसलिए उनसे नफरत है

दुनिया के सबसे अमीर उद्योगपति एलन मस्क ने पिछले दिनों ‘वोक माइंड वायरस’ पर अपनी बात रखी थी। इसमें उन्होंने अपनी ट्रांसजेंडर बेटी विवियन विलियम्स का जिक्र भी किया था। इस इंटरव्यू को मीडिया में हर जगह जगह मिली जिसके बाद 20 साल की विवियन विलियम्स मीडिया के सामने आईं और उन्होंने अपने पिता के इंटरव्यू पर प्रतिक्रिया दी।

अमेरिकी मीडिया NBC न्यूज से बात करते हुए 20 साल की विवियन जेन्ना विलियम्स ने अपने पिता को निर्दयी और क्रूर कहा। साथ ही बताया कि मस्क कभी मानते नहीं थे कि वो विवियन में लड़की वाले गुण हैं। उन्होंने बतायास “मस्क ने कहा था कि मैं एक लड़की नहीं हूँ। मैं उनके लिए मर चुकी हूँ। यह कहकर उन्होंने हद पार कर दी। अगर वे लाखों लोगों के सामने झूठ बोलेंगे तो मैं इसे बर्दाश्त नहीं करूँगी।”

विवियन का कहना है कि उन्होंने मस्क को कोई धोखा नहीं दिया। मस्क को मालूम था कि विवियन अपना जेंडर बदलवा रही हैं। विवियन के अनुसार इंटरव्यू में ये बात कहकर हद पार कर दी गई है ट्रीटमेंट के लिए मस्क को बरगलाया गया। अपने बचपन को याद करते हुए विवियन ने कहा, “मस्क कभी भी एक अच्छे पिता नहीं रहे। उन्होंने कभी हमारा साथ नहीं दिया। मुझे और मेरे भाई-बहनों को मां के पास छोड़ दिया था। वे जब भी मिलते थे तो हमसे बुरा व्यवहार करते थे। हमेशा चिल्लाते रहते थे। वे लापरवाह थे। उनका ध्यान सिर्फ खुद पर रहता था।”

विवियन ने इंटरव्यू में कहा कि वह बचपन से ही एक लड़की जैसा महसूस करती थीं। इस पर मस्क ने उन्हें कई बार प्रताड़ित भी किया था। मस्क उसे बार-बार लड़कों की तरह रहने का दबाव डालते थे। आगे विवियन ने कहा,  वे अपने पिता से कोई संपर्क नहीं रखना चाहती हैं। वे 20 साल की हैं और अपने फैसले खुद ले सकती हैं। 

उन्होंने कहा कि 2020 में जब वो 16 साल की थी जब वो अपना इलाज कराना चाहती थीं लेकिन माता-पिता दोनों की अनुमति इसके लिए जरूरी थी। माँ सपोर्टिव थीं, मगर मस्क कभी साथ देने को तैयार नहीं थे। महामारी के वक्त उन्हें मौका मिला कि वो मस्क की क्रूरता से पीछा छुड़ा लें। बाद में उन्होंने किया भी ऐसा ही।

मालूम हो कि 2022 में विवियन ने अपना जेंडर बदलवाया था। इसके बाद भी उन्होंने यही बयान दिया था कि वे अपने पिता एलन मस्क से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती हैं। विवियन ने अपने नाम से मस्क हटाकर माँ का सरनेम लगाया और कहा था कि वो अपनी माँ से प्यार करती हैं। पिता क्रूर और निर्दयी हैं।

बता दें कि पिछले दिनों मस्क ने एक इंटरव्यू में बेटे के लिंग परिवर्तन को लेकर कहा था कि उन्हें पूरी तरह सूचित नहीं किया गया था कि ट्रीटमेंट के क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं। ‘लिंग की पुष्टि’ किए जाने की अवधारणा को उन्होंने एक ‘भयानक प्रथा’ करार दिया। उनका मानना है कि वो अपने बेटा खो चुके हैं, उनके बेटे को मार डाला जा चुका है। उन्होंने इसे ‘Woke Mind Virus’ का दुष्प्रभाव बताते हुए कहा कि वो इसे खत्म कर देंगे। इसी के बाद उनकी बेटी का यह इंटरव्यू सामने आया है।

केरल हाई कोर्ट ने रद्द किया नाबालिग से रेप का मामला… क्योंकि पीड़ित-आरोपित ने कर ली है शादी: कहा- परिवार को राजी-खुशी रहने दें

केरल हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ POCSO और रेप की गम्भीर धाराओं में दर्ज किए गए एक मामले को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आरोपित और पीड़िता अब समझौता करके शादी कर चुके हैं और खुशी-खुशी जी रहे हैं इसलिए इस मामले को रद्द कर दिया जाए।

केरल हाई कोर्ट ने नाबालिग का अपहरण और रेप के मामले के विरुद्ध दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह कार्रवाई की। कोर्ट के समक्ष आरोपित ने अपने विरुद्ध दर्ज FIR को रद्द करने की माँग की थी क्योंकि अब उसकी और पीड़िता की शादी हो चुकी है।

केरल हाई कोर्ट ने FIR रद्द करते हुए कहा, “रेप और POCSO के मामलों ने समझौता कानून को स्वीकार्य नहीं है। हालाँकि, इस मामले में, आरोपति ने नाबालिग पीड़िता के साथ संबंध बनाए और उसका यौन उत्पीड़न किया जिसके बाद वह गर्भवती हो गई। इसके बाद आरोपित ने पीड़िता से शादी कर ली है और अब वे दो बच्चों के साथ खुशी-खुशी रह रहे हैं। ऐसे मामलों में, समझौते के रास्ते में आने वाली बाधाओं को मानवता के नजरिए से देखते हुए हटा दिया जाना चाहिए। ताकि शांतिपूर्ण पारिवारिक जीवन सुनिश्चित हो सके।”

हाई कोर्ट ने कहा, “इस मामले में आपराधिक कार्यवाही जारी रखने की कोई आवश्यकता नहीं है जिससे उन्हें मुकदमेबाजी झेलनी पड़े और बच्चों के हित को नुकसान पहुँचे। ऐसे में इस मामले में FIR को निरस्त किया जा सकता है।” कोर्ट ने इससे पहले ऐसे मामलों में समझौते पर कड़ी टिप्पणियाँ की।

कोर्ट ने कहा, “रेप या रेप के प्रयास के मामले में, किसी भी परिस्थिति में समझौते के बारे में नहीं सोचा जा सकता है। ये एक महिला के शरीर के खिलाफ अपराध हैं जो उसका अपना मंदिर है। ये ऐसे अपराध हैं जो प्रतिष्ठा को कलंकित करते हैं। जब एक मानव शरीर अपवित्र होता है, तो ‘सबसे शुद्ध खजाना’ खो जाता है। ऐसे मामलों में समझौता नहीं हो सकता क्योंकि यह उसक सम्मान के खिलाफ होगा जो सबसे ज्यादा मायने रखता है। यह पवित्र है।”

यह मामला 2021 में हुए अपराध से जुड़ा है। इस मामले में आरोप था केरल के एर्नाकुलम में एक व्यक्ति एक 17 वर्षीय नाबालिग को अपने साथ भगा ले गया और बाद में उसके साथ यौन शोषण किया। इसके कारण नाबालिग गर्भवती हो गई। मामले में लड़की की माँ को भी आरोपित बनाया गया क्योंकि उसने इस घटना को पुलिस को नहीं बताया था।

इसके बाद आरोपित लड़के के विरुद्ध POCSO, रेप, अपहरण समेत कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया था। हालाँकि, कुछ समय बाद लड़की और आरोपित ने शादी कर ली और उनके दो बच्चे भी हैं। दोनों पक्षों ने समझौता कर लिया और इस आरोपित के विरुद्ध FIR को रद्द करने की माँग की गई। इसके बाद कोर्ट ने यह निर्णय सुनाया।