Friday, April 26, 2024
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राजस्थान में कॉन्ग्रेस की सहयोगी RLP की बगावत, बाड़मेर में मतदान से एक दिन पहले BJP प्रत्याशी कैलाश चौधरी को वोट देने की अपील

लोकसभा चुनाव 2024 में इस समय चर्चा बटोर रही राजस्थान की बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर कॉन्ग्रेस के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के स्थानीय नेताओं ने झटका दे दिया है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेताओं ने कॉन्ग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए गठबंधन को छोड़ दिया और बीजेपी प्रत्याशी को समर्थन का ऐलान कर दिया है। इस लोकसभा सीट पर शुक्रवार को ही मतदान है। ऐसे में मतदान से महज कुछ घंटों पहले ये बड़ा बदलाव हुआ है, जिससे कॉन्ग्रेस बैकफुट पर चली गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हनुमान बेनीवाल की पार्टी राजस्थान में कॉन्ग्रेस के साथ चुनाव लड़ रही है। वो नागौर लोकसभा सीट से इंडी गठबंधन के प्रत्याशी हैं, लेकिन बाड़मेर-जैसलमेल लोकसभा सीट पर उनकी पार्टी के बड़े धड़े ने गठबंधन के सहयोगी कॉन्ग्रेस का साथ देने से इनकार कर दिया और केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी को समर्थन का ऐलान कर दिया। आरएलपी नेता गजेंद्र चौधरी और उनके समर्थकों ने कैलाश चौधरी को समर्थन देने का ऐलान किया है।

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के पूर्व संयोजक गजेंद्र चौधरी ने कहा कि हमारी पार्टी का प्रदेश में कॉन्ग्रेस के साथ गठबंधन है, लेकिन बाड़मेर-जैसलमेर के स्थानीय नेताओं के विरोध को अनदेखा कर ये गठबंधन किया गया। चौधरी ने कहा कि कॉन्ग्रेस नेताओं ने हमारी पार्टी को तोड़ने का काम किया है और वहाँ हमारे कार्यकर्ताओं का कोई मान-सम्मान भी नहीं मिल रहा है, ऐसे में हमने स्वविवेक से बीजेपी के प्रत्याशी कैलाश चौधरी को समर्थन दिया है।

हनुमान बेनीवाल पर कॉन्ग्रेसियों ने किया था हमला

आरएलपी नेता गजेंद्र चौधरी ने कॉन्ग्रेस से नाराजगी की वजह बताते हुए कहा कि 4 साल पहले साल 2019 में हमारे अध्यक्ष (हनुमान बेनीवाल) और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी पर कॉन्ग्रेस के लोगों ने बायतु में जानलेवा हमला किया था। ऐसे में हमारे कार्यकर्ताओं में आक्रोश है और कॉन्ग्रेस के नेता अब भी इस गठबंधन को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि उनकी नीयत में खोट है। इसी वजह से बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर हमने कॉन्ग्रेस की जगह बीजेपी प्रत्याशी को समर्थन देने का फैसला किया है।

बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में आरएलपी बीजेपी के साथ थी। वहीं, कॉन्ग्रेस के उम्मीदवार उम्मेदाराम बेनीवाल पहले आरएलपी में थे, लेकिन टिकट बंटवारे से ठीक पहले वो कॉन्ग्रेस में शामिल हो गए और कॉन्ग्रेस से लोकसभा प्रत्याशी बन गए। आरएलपी के स्थानीय नेता इसे विश्वासघात बता रहे हैं।

लोकसभा चुनाव 2024: दूसरे चरण की 89 सीटों पर मतदान, 1198 उम्मीदवारों का फैसला करेंगे मतदाता, मैदान में 5 केंद्रीय मंत्री और 3 राजघरानों के वारिस

लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण के लिए शुक्रवार को मतदान कराया जाएगा। इस चरण में लोकसभा की 89 (88 + 1 मणिपुर) क्षेत्रों में मतदान होगा। इस चरण के मतदान में 5 केंद्रीय मंत्रियों की सियासत दाँव पर है, तो 3 राजघरानों के वारिस भी लोकतंत्र के इस पर्व में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। देश की कुल 89 लोकसभा सीटों पर शुक्रवार की शाम तक उम्मीदवारों के भविष्य का फैसला ईवीएम में कैद हो जाएगा। लोकसभा चुनाव के दूसरे दौर के लिए सर्वाधिक 20 सीटें केरल में हैं, जिसमें राहुल गाँधी की वायनाड सीट भी शामिल है।

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा के बेटे और पूर्व सीएम एचडी कुमार स्वामी, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, राजस्थान में पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत, केरल में पूर्व सीएम और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी के बेटे की किस्मत का फैसला भी ईवीएम में कैद हो जाएगा। इसके साथ ही 3 राजपरिवारों के वारिसों का फैसला भी ईवीएम में कैद होगा, उनके नाम हैं- झालावाड़-बारां से BJP उम्मीदवार दुष्यंत सिंह, जो धौलपुर राजपरिवार से हैं। इसके अलावा कर्नाटक के मैसूर से राजपरिवार के यदुवार कृष्ण दत्त वाडियार और बीजेपी की तरफ से ही त्रिपुरा राजपरिवार के कृति देव बर्मन।

मैदान में 5 केंद्रीय मंत्री

दूसरे चरण में 5 केंद्रीय मंत्री चुनाव मैदान में हैं, जिसमें केरल की अटिंगल सीट से वी. मुरलीधरन, केरल की तिरुवनंतपुरम सीट से राजीव चंद्रशेखर, राजस्थान की जोधपुर लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राजस्थान के बाड़मेर से केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी और बेंगलुरु उत्तर सीट से केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे चुनाव मैदान में हैं। इस चरण के मतदान में कुल 1198 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर है। बाहरी मणिपुर लोकसभा के भी चार उम्मीदवारों को जोड़ें तो कुल संख्या 1202 हो जाती है। चूँकि बाहरी मणिपुर लोकसभा सीट पर दो चरणों में मतदान कराया जा रहा है, जिसमें आधे इलाकों में पहले चरण में मदतान कराया जा चुका है।

इन राज्यों में होगा मतदान

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 89 सीटों पर 26 अप्रैल को मतदान होना है, इनमें केरल की (20) सीटों, कर्नाटक (14), राजस्थान (13), महाराष्ट्र (8), उत्तर प्रदेश (8), मध्य प्रदेश (7), असम (5), बिहार (5) हैं, तो छत्तीसगढ़ (3), पश्चिम बंगाल (3), मणिपुर, त्रिपुरा और जम्मू-कश्मीर में 1-1 सीट पर भी मतदान कराया जाएगा। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इन 88 में से 52 सीटें भाजपा ने जीतीं थीं। वहीं कांग्रेस को 18 और शिवसेना और जदयू को चार-चार सीटों पर सफलता मिली थी। इसके अलावा 10 सीटें अन्य के खाते में गई थी।

उत्तर प्रदेश की 8 लोकसभा सीटों पर चुनाव

लोकसभा चुनाव में दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर शुक्रवार को मतदान होगा। अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा लोकसभा सीट के 1.67 करोड़ मतदाता 91 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे, जिसमें 10 महिला प्रत्याशी हैं। गौतम बुद्ध नगर व मथुरा सीट पर सर्वाधिक 15-15 और बुलंदशहर में सबसे कम छह प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं। पिछले चुनाव में इन आठ सीटों में से सात भाजपा और एक बसपा की झोली में गई थीं।

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव सात चरणों में हो रहे हैं। पहले चरण में 102 सीटों पर 19 अप्रैल को वोटिंग हुई थी। सातवें और अंतिम चरण में 1 जून को वोटिंग होनी है। लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को मतगणना के बाद आएँगे।

‘घर के काम पर होता है मूल्यांकन, न कि विदेश में कही गई बातों पर’: अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों के खिार पुलिस कार्रवाई पर भारत

भारत के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार (25 अप्रैल 2024) को संयुक्त राज्य अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों में फिलिस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शनों पर चल रही पुलिस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। मंत्रालय ने कहा कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जिम्मेदारी की भावना और सार्वजनिक सुरक्षा एवं व्यवस्था का संतुलन होना चाहिए।

मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “लोकतांत्रिक देशों को विशेष रूप से दूसरे लोकतांत्रिक देशों के लिए समझ को प्रदर्शित करना चाहिए, क्योंकि हम सभी का मूल्यांकन इस बात से किया जाता है कि हम घर पर क्या करते हैं, न कि हम विदेश में क्या कहते हैं।”

बता दें कि 17 अप्रैल को अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में फिलिस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शन हुआ। इसके बाद यह प्रदर्शन फिर न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, येल विश्वविद्यालय, इलिनोइस विश्वविद्यालय और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले और दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय तक फैल गया।

फ़िलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों ने इन विश्वविद्यालयों के अंदर ‘लिबरेटेड एन्कैंपमेंट ज़ोन‘ स्थापित किए हैं। इसके बाद अमेरिका की पुलिस ने इन प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की और कइयों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बुधवार (24 अप्रैल 2024) को दक्षिण कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से इजरायल विरोधी प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करना शुरू किया।

इस बीच टेक्सास यूनिवर्सिटी से दर्जनों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया। पुलिस को लाठी-डंडों के साथ दंगा भड़काने वाली मुद्रा में देखा गया और एक-एक करके गिरफ्तार करने से पहले उन्होंने प्रदर्शनकारियों के एक समूह को घेर लिया गया। उन्हें पकड़-पकड़कर पुलिस अपने साथ लेकर चली गई।

वहीं, सोमवार (22 अप्रैल 2024) को येल विश्वविद्यालय के एक शिविर से 40 से 48 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया। उसी सप्ताह में न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में 133 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया। मंगलवार (23 अप्रैल 2024) को मिनेसोटा विश्वविद्यालय से लगभग 9 फ़िलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया गया।

अमेरिका में फिलिस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शन और उसके बाद गिरफ्तारियों के अलावा, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने हाल ही में प्रकाशित अमेरिकी विदेश विभाग की विवादास्पद रिपोर्ट जिसका शीर्षक है ‘Country Reports on Human Rights Practices’ (मानवाधिकार पर देशों की रिपोर्ट) पर भी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

इस रिपोर्ट के सारांश में 3 मई से 15 नवंबर 2023 के बीच मणिपुर में हुई हिंसा का जिक्र किया गया है। इसके अलावा, रिपोर्ट में उमर खालिद, अतीक अहमद, सिद्दीकी कप्पन, खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर जैसे लोगों की चर्चा थी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण बताया और कहा कि मीडिया इसे महत्व ना दे।

(यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गई है। आप इस लिंक पर क्लिक करके विस्तार से पढ़ सकते हैं।)

हिंदुओं से घृणा और इस्लामी कट्टरपंथ से मोहब्बत: प्रिंसिपल परवीन शेख पर ऑपइंडिया की रिपोर्ट से जागा मशहूर सोमैया स्कूल, बोला- करेंगे कार्रवाई

मुंबई के मशहूर सोमैया स्कूल की इस्लामिक कट्टरपंथी प्रिंसिपल परवीन शेख पर ऑपइंडिया की रिपोर्ट के बाद स्कूल ट्रस्ट जाग उठा है। सोमैया स्कूल ट्रस्ट ने कहा है कि वो पूरे मामले में जल्द कदम उठाएगा। सोमैया ट्रस्ट ने ऑपइंडिया की रिपोर्ट के जवाब में कहा कि हमें परवीन शेख के इस पहलू के बारे में पता नहीं था, ये पूरी तरह से अस्वीकार्य है। सोमैया ट्रस्ट ने कहा है कि परवीन शेख के बारे में सामने आई जानकारियाँ चिंता पैदा करने वाली हैं, और वो इस मामले को देख रहे हैं।

सोमैया ट्रस्ट द्वारा संचालित सोमैया स्कूल मुंबई के घाटकोपर-ईस्ट इलाके में आने वाले विद्या विहार में स्थित है। परवीन शेख 12 साल से स्कूल से जुड़ी हुई हैं, जिनमें से 7 साल वो बतौर प्रिंसिपल काम कर चुकी हैं। अब इस मामले में सोमैया ट्रस्ट ने एक्स पर अपना पक्ष रखा है। सोमैया ट्रस्ट ने लिखा, “आज हमारे संज्ञान में लाए जाने तक हम इस मामले से अनजान थे। हम ऐसी भावनाओं (परवीन शेख की) से सहमत नहीं हैं। यह निश्चित रूप से चिंताजनक है। हम मामले की जाँच कर रहे हैं।”

सोमैया ट्रस्ट की तरफ से दिए गए जवाब पर लोगों ने कड़े एक्शन की माँग की है। बता दें कि ऑपइंडिया ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कैसे मुंबई के मशहूर स्कूल की प्रिंसिपल परवीन शेख इस्लामिक कट्टरपंथियों की पोस्ट को ‘लाइक’ करती हैं। कैसे उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी मोदी, यूपी के सीएम योगी के लिए अभद्र बातें कही हैं। यही नहीं, परवीन शेख के हिंदू-विरोधी विचारों को भी हमने एक्सपोज किया है।

परवीन शेख पर प्रकाशिक मूल रिपोर्ट को यहाँ पढ़ सकते हैं। : मुंबई के मशहूर सोमैया स्कूल की प्रिंसिपल परवीन शेख को हिंदुओं से नफरत, PM मोदी की तुलना कुत्ते से… पसंद है हमास और इस्लामी हत्यारे

‘हम बहुत अमीर, हमें गरीब देशों में नहीं खेलना’: वीरेंद्र सहवाग ने उड़ाया BBL का मजाक, ब्रिटिश टीवी चैनल से कहा, ‘हमारी कमेंट्री अफोर्ड नहीं कर पाओगे’

क्रिकेट की दुनिया के सबसे विस्फोटक ओपनरों में शुमार रहे वीरेंद्र सहवाग अपने मजाकिया अंदाज के लिए भी जाने जाते हैं। उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वो बेबाकी के साथ अपनी राय रख रहे हैं। क्लब प्रेरेरी फायर के पॉडकास्ट वीडियो में एडम गिलक्रिस्ट जैसे दिग्गज खिलाड़ी ने उनसे जब पूछा कि ‘क्या कभी भारतीय खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया की बिग बैग जैसी लीग में खेल पाएँगे?’ इस सवाल के जवाब में वीरेंद्र सहवाग ने ऐसी बात कह दी, जिससे ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड जैसे देशों का मजाक उड़ गया।

दरअसल, गिलक्रिस्ट के सवाल के जवाब में वीरेंद्र सहवाग ने कहा, “हमें जरूरत ही नहीं है बाहर खेलने की। हम अमीर लोग हैं। हम गरीब देशों में नहीं जाते।” सहवाग का इशारा दुनिया के सबसे अमीर और ताकतवर क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई की तरफ था, जो भारतीय क्रिकेटरों को न सिर्फ मोटी रकम देती है, बल्कि आईपीएल जैसी लीग में दुनिया के किसी भी लीग की तुलना में काफी पैसा भी कमाने का मौका देती है। यही वजह है कि दुनिया के टॉप क्रिकेट आईपीएल में खेलते दिखते हैं, जबकि कोई भी भारतीय क्रिकेटर दुनिया की किसी भी लीग में खेलता नहीं दिखता।

सहवाग ने पूरी बात बताते हुए कहा, “हमें विदेशी लीगों में खेलने की जरूरत ही नहीं है, हम अमीर लोग हैं, दूसरी लीग के लिए गरीब देशों में नहीं जाते। मुझे अब भी याद है जब मुझे भारतीय टीम से ड्रॉप कर दिया गया था, तब मैं आईपीएल खेल रहा था। उसी दौरान मुझे बीबीएल का ऑफर आया कि मैं बिग बैश में खेलूँ। मैंने पूछा पैसा कितना देंगे? उन्होंने कहा हंड्रेड थाउजैंड्स डॉलर (1 लाख डॉलर)। मैंने कहा ये पैसा तो मैं अपनी छुट्टियों में खर्च कर सकता हूँ, कल रात का बिल भी 1 लाख डॉलर से ज्यादा था।” हालाँकि इस दौरान वीरेंद्र सहवाग पूरी तरह से मजाकिया मूड में ही दिख रहे थे।

इस दौरान उन्होंने एक और वाकये का भी खुलासा किया और कहा कि एक बार उन्हें एक टीवी चैनल पैनल में शामिल होने के लिए कह रहे थे, लेकिन जब उन्होंने पैसों के बारे में बात की, तो उन्होंने इसके लिए मना कर दिया था।

वीरेंद्र सहवाग ने कहा, “एक बार स्काई स्पोर्ट्स ने मुझे बुलाकर कहा था कि हम चाहते हैं कि आप हमारे पैनल का हिस्सा बन जाइए। मैंने उनसे कहा कि आप मुझे अफोर्ड नहीं कर पाओगे। फिर उन्होंने मुझे कहा कि नहीं-नहीं ऐसा नहीं है। आप पैसा बताइए-कितना लेंगे। तो मैंने उनसे कहा एक दिन का 10000 पाउंड। इसके बाद उन्होंने मुझसे कहा कि हाँ आपने सही का था। हम आपको एफोर्ड नहीं कर पाएँगे।” ये पूरी बातचीत 13.11 मिनट से आप देख सकते हैं।

बता दें कि 10 हजार ब्रिटिश पाउंड की रकम भारतीय रुपये में 10 लाख से ज्यादा की रकम होती है, जो वीरेंद्र सहवाग एक दिन के लिए माँग रहे थे।

बांग्लादेश की तरक्की देखकर हमें शर्म आती है: पाकिस्तानी PM शहबाज शरीफ बोले- हमें बचपन में बताया गया था कि ये हम पर बोझ है

कंगाली के कगार पर खड़े पाकिस्तान को अब खुद पर शर्म आने लगी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि कभी देश पर बोझ माने जाने वाले पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) ने औद्योगिक विकास में जबरदस्त प्रगति की है। उन्होंने कहा कि जब वे काफी छोटे थे, तब उन्हें बताया गया था कि पूर्वी पाकिस्तान देश के कंधों पर बोझ है। अब बांग्लादेश को देखकर पाकिस्तान को शर्म आती है।

दरअसल, शहबाज शरीफ ने यह बात देश के व्यापारियों के साथ एक मुलाकात में कही। लगभग एक घंटे तक चली बैठक के दौरान उन्होंने कहा, “मैं काफी छोटा था, जब हमें बताया गया कि यह (बांग्लादेश) हमारे कंधों पर बोझ है। आज आप सभी जानते हैं कि वह ‘बोझ’ कहाँ पहुँच गया है। जब हम उनकी ओर देखते हैं तो हमें शर्म आती है।”

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में आयोजित इस बैठक के दौरान पाकिस्तान के व्यापारियों ने भारत के साथ फिर से व्यापार शुरू करने की वकालत की और पीएम शरीफ से इसकी पहल करने की अपील की। पाकिस्तान के बड़े व्यापारिक समूह आरिफ हबीब ग्रुप के मुखिया आरिफ हबीब ने भारत से रिश्ते सुधारने की माँग की।

उन्होंने कहा, “आपने सत्ता में आने के बाद कुछ लोगों से हाथ मिलाया, जिससे पाकिस्तान को फायदा हुआ। अब हम चाहते है कि कुछ और लोगों से हाथ मिलाएँ। पहले भारत से हाथ मिलाएँ, ताकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को फायदा मिले। फिर अदियाला जेल में बंद इमरान से हाथ मिलाएँ, ताकि देश में राजनीतिक स्थिरता आए। इससे पाकिस्तान में बिजनेस का माहौल बनेगा।”

हालाँकि, भारत के साथ व्यापार शुरू करने और इमरान खान से हाथ मिलाने के सवाल पर शहबाज शरीफ ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। हालाँकि, उन्होंने यह जरूर कहा है कि सभी सुझावों नोट कर लिया गया है और वो उन सुझावों पर अमल करेंगे। उन्होंने कहा कि जब तक वर्तमान में चल रहे मुद्दों को सुलझा नहीं लिया जाता, वो व्यापारियों से बातचीत करते रहेंगे।

बताते चलें कि भारत और पाकिस्तान के बीच साल 2019 में हुए पुलवामा हमले के बाद से व्यापार बंद है। भारत ने पाकिस्तान को दिया गया ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा भी हटा दिया था। इस दर्जे वाले देश को व्यापार में छूट मिलती है। भारत ने पाकिस्तानी चीजों पर 200 फीसदी कस्टम ड्यूटी भी बढ़ा दी थी। इससे पाकिस्तानी व्यापारियों को कई सालों से नुकसान हो रहा है।

वहीं, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के विरोध में पाकिस्तान ने भारत के साथ जमीन के जरिए होने वाले व्यापार को भी बंद कर दिया था। हालाँकि, समुद्री मार्गों से दोनों देशों के बीच अभी भी कुछ व्यापार हो रहा है। फरवरी 2024 में भारत सरकार ने कहा था कि पाकिस्तान के साथ थोड़ा व्यापार अब भी जारी है। ये व्यापार हवाई और समुद्री रास्तों से किया जा रहा है। 

भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले व्यापार में 91 प्रतिशत की गिरावट के बाद वहाँ के हालात खराब हैं। इसके कारण पाकिस्तान के कपड़ा और चीनी उद्योग पर भारी मार पड़ी है। पाकिस्तान कपड़े और दवा उद्योग के कच्चे माल के लिए भारत पर निर्भर था। व्यापारिक प्रतिबंधों से उसे भारी नुकसान हुआ है और देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है।

कॉन्ग्रेस ही लेकर आई थी कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण, BJP ने खत्म किया तो दोबारा ले आए: जानिए वो इतिहास, जिसे देवगौड़ा सरकार की आड़ में छिपा रहे चमचे

कर्नाटक में मुस्लिम रिजर्वेशन पर घिरी कॉन्ग्रेस पार्टी का प्रचार तंत्र उनके बचाव में सोशल मीडिया पर एक्टिव है। कहा जा रहा है कि ये सारे मुस्लिमों को आरक्षण में रखने का काम कॉन्ग्रेस ने नहीं किया है बल्कि ये तो देवगौड़ा की सरकार ने किया है, जिन्होंने भाजपा के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई थी। कुल मिलाकर इस पूरे मसले को ऐसा दिखाने की कोशिश हो रही कि इसमें कॉन्ग्रेस कोई तुष्टिकरण नहीं कर रही, जबकि हकीकत यह है कि कॉन्ग्रेस की करनी छिपाने के लिए देवगौड़ा सरकार का नाम आगे लाया जा रहा है और ये रिजर्वेशन जैसे आज कॉन्ग्रेस मुस्लिमों को दे रही है वैसे ही पहले कॉन्ग्रेस ने ही दिया था।

बात 1994 की है जब वीरप्पा मोईली की सरकार ने एक आदेश के बाद सारे मुस्लिमों को अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में डालकर आरक्षण दिया था। ये फैसला उन्होंने रेड्डी कमीशन की दी गई सिफारिश पर लिया था। इसमें 6 फीसद आरक्षण कैटेगरी 2बी के लोगों के लिए था जिन्हें ‘अधिक पिछड़ा’ कहा गया था।

इस 6% में भी 4% रिजर्वेशन मुस्लिमों को दिया गया था और 2% बौद्ध और अनुसूचित जाति के लोगों को, जो ईसाई धर्म में कन्वर्ट हो गए थे। इस आदेश को 24 अक्टूबर 1994 के बाद लागू होना था। हालाँकि इस बीच इस आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट चुनौती दी गई और कर्नाटक सरकार के इस फैसले पर रोक लग गई।

इसके बाद साल 1995 में देवगौड़ा की सरकार आई और मुस्लिमों के लिए ओबीसी कोटा दोबारा से आया जिसे बाद में भारतीय जनता पार्टी की बोम्मई सरकार के आने के बाद हटाया गया और मुस्लिमों को दिए जाने वाला आरक्षण 4 फीसद वोक्कालिगा और लिंगायत में 2-2% बँट गया।

कर्नाटक की बोम्मई सरकार का पूरे राज्य में खूब विरोध हुआ। ये बात इतनी बढ़ी कि जब चुनाव नजदीक आए तो कॉन्ग्रेस ने सत्ता में आने के लिए इस मुद्दे को भुनाया। राज्य के कॉन्ग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने वादा किया कि अगर उनकी सरकार आई तो वो मुस्लिमों का 4 फीसद आरक्षण उन्हें लौटा देंगे। इतना ही नहीं, कॉन्ग्रेस नेता ने भाजपा के फैसले को असंवैधानिक तक कहा था और कहा था कि आरक्षण संपत्ति की तरह नहीं बाँट सकते, इस पर मुस्लिमों का अधिकार है।

साल 2023 में कॉन्ग्रेस ने इस आरक्षण को देने की बात अपने मेनिफेस्टो में भी कही थी। इसके बाद चुनावों में कॉन्ग्रेस की जीत हुई और सत्ता में आने के एक साल भी पूरे नहीं हुए कि इन्होंने मुस्लिमों से किए अपने वादे को पूरा करने के लिए सारे मुस्लिमों को ओबीसी कैटेगरी में आरक्षण दिलाने का काम शुरू कर दिया। लिस्ट जब पिछड़े वर्ग आयोग के पास भेजी गई तो ये मामला उठा और लोगों को कॉन्ग्रेस की हरकत का पता चला। अब आयोग इस मामले में सरकार के दिए तर्कों से संतुष्ट नहीं है इसलिए आने वाले समय में इस संबंध में मुख्य सचिव को तलब करेंगे।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ ही दिन पहले बताया था कि कैसे यूपीए सरकार के समय कॉन्ग्रेस नेता मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री पद पर होते हुए कहते थे कि इस देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुस्लिमों है… पीएम के इस बयान के कुछ ही समय बाद ये मामला खुल गया था कि कर्नाटक में कॉन्ग्रेस ने सारे मुस्लिमों को ओबीसी लिस्ट में रखकर आरक्षण देने का निर्णय लिया है। इसके बाद हर जगह कॉन्ग्रेस पर सवाल उठने लगे थे और उन्होंने देवगौड़ा सरकार पर ठीकरा फोड़कर ये दिखाना चाहा था कि उन्होंने इस आरक्षण की शुरू नहीं की और भाजपा उन्हें बदनाम करना चाहती है जबकि सच यही है कि कॉन्ग्रेस ने ही इस आरक्षण को मुस्लिमों को दिया था।

गर्लफ्रेंड का बर्गर खा गया दोस्त तो भड़क गया SSP का बेटा दानियाल नजीर, सुरक्षाकर्मी से रायफल छीन दाग दीं गोलियाँ, जज के बेटे की मौत

पड़ोसी देश पाकिस्तान के कराची शहर से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहाँ एक युवक ने अपने करीबी दोस्त की गोली मारकर हत्या कर दी है। उसने अपने दोस्त की इसलिए हत्या कर दी, क्योंकि उसने अपनी गर्लफ्रेंड के लिए जिंजर बर्गर ऑर्डर किया था। उस बर्गर को उसके दोस्त खा गया।

रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित की पहचान 17 वर्षीय अली केरियो के रूप में हुई है। अली कराची दक्षिण जिला सत्र न्यायाधीश जावेद केरियो का बेटा है। वहीं, आरोपित शूटर दानियाल नज़ीर मीरबहार वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) नज़ीर अहमद मीरबहार का बेटा है।

घटना 8 फरवरी 2024 की है। 8 फरवरी को दानियाल ने अपनी प्रेमिका शाज़िया को कराची के डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटी (डीएचए) स्थित अपने घर पर आमंत्रित किया था। इस दौरान 17 वर्षीय उसका दोस्त अली केरियो और उसका भाई अहमर केरियो भी मौजूद थे।

उस दिन आरोपित दानियाल ने अपने और अपनी गर्लफ्रेंड शाजिया के लिए दो जिंजर बर्गर का ऑर्डर दिया। बर्गर आया तो अली ने एक बर्गर का आधा हिस्सा खा लिया। इससे दानियाल भड़क गया। उसने अपने सुरक्षा गार्ड की असॉल्ट राइफल छीन ली और उससे अली पर गोलियाँ चला दीं।

अली को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। जाँच अधिकारी ने जाँच में पुलिस अधिकारी के बेटे को शामिल करते हुए इसकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सौंप दी है। मामले की कानूनी कार्रवाई की जा रही है। आरोपित दानियाल फिलहाल जेल में है।

मुंबई के मशहूर सोमैया स्कूल की प्रिंसिपल परवीन शेख को हिंदुओं से नफरत, PM मोदी की तुलना कुत्ते से… पसंद है हमास और इस्लामी हत्यारे

इजरायल और हमास के बीच की लड़ाई सिर्फ मिडिल-ईस्ट तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर भारत में भी दिखता है। हमास के समर्थक इस्लामिक कट्टरपंथियों में आतंकवाद के प्रति सहानुभूति साफ तौर पर नजर आती है। बहुत सारे कट्टरपंथी इजरायल के निरपराध नागरिकों की हत्याओं का ये कह कर बचाव कर रहे हैं हमास ने ये नृशंष हत्याएं आत्मरक्षा में उठाया।

अक्टूबर 2023 में हमास और फिलिस्तीनी लड़ाकों ने इजरायल की सीमा पार कर भीषण हमला किया था, जिसमें 1300 आम नागरिकों की हत्या कर दी गई तो 100 से ज्यादा लोगों को अगवा कर लिया गया। हमलावर आतंकियों ने महिलाओं का रेप किया, पुरुषों का सिर कलम किया और गर्भवती महिलाओं का पेट फाड़ डाला। इन घटनाओं का समर्थन करने वाले लोगों के बारे में ऑपइंडिया को एक ऐसी हमास समर्थक महिला की सूचना मिली, जिसके हाथों में हजारों बच्चों के भविष्य को बनाने की जिम्मेदारी है। वो महिला सोशल मीडिया पर न सिर्फ हमास समर्थक, बल्कि एंटी हिंदू पोस्ट को भी लाइक करती है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना कुत्ते से करती है।

मिलिए उसी महिला से, जिसका नाम परवीन शेख है। परवीन शेख मुंबई के मशहूर स्कूल द सोमैया स्कूल की प्रिंसिपल हैं। ये स्कूल मुंबई के घाटकोपर-ईस्ट इलाके में आने वाले विद्या विहार में स्थित है। परवीन शेख 12 साल से स्कूल से जुड़ी हुई हैं, जिनमें से 7 साल वो बतौर प्रिंसिपल काम कर चुकी हैं।

शेख के पास MSc की डिग्री है, तो MEd की भी। परवीन शेख 2 दशकों से शिक्षण के पेशे में है, इसकी जानकारी सोमैया स्कूल की वेबसाइट पर दर्ज है। परवीन शेख की अगुवाई में ये स्कूल कई सारे अवॉर्ड भी जीत चुका है।

सोमैया स्कूल की वेबसाइट का स्क्रीनशॉट

हजारों बच्चों के भविष्य को संवारने का जिम्मा जिस परवीन शेख पर है, उस पर ऐसे आरोपों की जानकारी मिलने के बाद ऑपइंडिया ने उसकी सोशल मीडिया प्रोफाइल की पड़ताल की।

परवीन शेख सोशल मीडिया पर लगातार सक्रिय नहीं दिखती, ऐसा उनके एक्स (पूर्व में ट्विटर) की गतिविधियों से पता चलता है। वो @ParveenShaikh1 नाम से एक्स पर हैं। चूँकि उनके संस्थान ने इसी हैंडल को टैग किया है, ऐसे में इस प्रोफाइल को हम असली मान कर चल रहे हैं। स्कूलुशंस पॉडकास्ट ने भी इसी हैंडल को टैग किया है। ठीक इसी तरह से सिम्हा TISS (टाटा इंस्टीट्यूट का हिस्सा) ने जून 2020 में परवीन शेख को इसी हैंडल को टैग किया है।

सोमैया स्कूल की प्रिंसिपल परवीन शेख के एक्स पर 250 फॉलोवर्स हैं, और 241 पोस्ट किए गए हैं। उनका एक्स हैंडल ज्यादा सक्रिय नहीं दिखता, अगर कुछ पोस्ट हैं भी तो वो स्कूल और परवीन शेख की उपलब्धियों के बारे में ही है। ऐसे में परवीन शेख की प्रोफाइल एक शिक्षाविद की ज्यादा दिखती है।

परवीन शेख के एक्स हैंडल की सामान्य पोस्ट

परवीन शेख की प्रोफाइल भले ही बाहर से एक शिक्षाविद की लग रही हो, लेकिन जैसे ही हम उनके ‘रिप्लाई’ और ‘लाइक’ की तरफ जाते हैं, तब जाकर परवीन शेख का असली चेहरा बेनकाब होता है।

परवीन शेख ने जो सबसे नया ट्वीट ‘लाइक’ किया है, वो है एक्स यूजर सुलेमान अहमद का, जिसमें यूएन में फिलिस्तीन के समर्थन में वोटिंग करने वाले देशों की लिस्ट है। ये उनका सबसे कम खतरनाक लगता है, क्योंकि फिलिस्तीन को समर्थन करना कोई अपराध नहीं है। हालाँकि इस ट्वीट को करने वाला सुलेमान अहमद खुद हिंदुओं और भारत के खिलाफ एक्स पर प्रोपेगेंडा चलाता रहता है।

परवीन शेख द्वारा लाइक किए गए ट्वीट का स्क्रीनशॉट

परवीन शेख ने 12 अप्रैल 2024 को एक अन्य ट्वीट को लाइक किया है, जिससे उनकी विचारधारा बेनकाब हो जाती है। शेख ने यहूदी विरोधी और फेक न्यूज पेडलर जैकसन हिंकल की पोस्ट लाइक की है, जिसमें वो हमास नेता इस्माइल हनियेह के बेटे और पोते की ‘मौत को शहादत’ बता रहा है। उन्हें इजरायल ने हमास आतंकी होने की वजह से मार दिया था और जैकसन के पोस्ट में दोनों को ‘शहीद’ बताया गया है। इससे पता चलता है कि उनका मानना है कि हमास को यहूदियों के खिलाफ अत्याचार करने के लिए अल्लाह ने आदेश दिया है।

परवीन शेख द्वारा पसंद किया गया ट्वीट

परवीन शेख ने एक्स पर हमास द्वारा इजरायल के खिलाफ जारी ‘प्रतिरोध’ से जुड़े बयानों को बार-बार लाइक किया है। बता दें कि हमास और उसके समर्थक 7 अक्टूबर 2023 को निरीह यहूदियों की हत्या को ‘प्रतिरोध’ बताकर प्रचारित करते हैं।

एक अन्य ट्वीट देखिए, जिसे परवीन शेख ने लाइक किया है।

इस पोस्ट में एनिमेटेड तस्वीर है, जिसमें काले कपड़ों में नकाबपोश व्यक्ति असाल्ट राइफल पकड़े हुए है। इसके कैप्शन में ‘अल्लाह से दुआ’ की प्रार्थना की गई है। जब हम इस ट्वीट के मूल पर जाते हैं, जिसके जवाब में ये पोस्ट किया गया है, तब हम पाते हैं वो ओरिजनल पोस्च, जिसमें हमास आतंकी -हमजा हिशाम अमीर की तारीफ की गई है। अमीर ने इजरायलियों पर आरपीजी से हमले किए थे, और उस समय वो आम नागरिकों के कपड़े में था। उसकी तारीफ न सिर्फ हमास ने की, बल्कि पूरी दुनिया के इस्लामिक कट्टरपंथियों ने उसकी शान में कसीदे गढ़े।

एक अन्य ट्वीट, जिसे शेख ने लाइक किया है, उसमें पोस्ट पकड़े एक व्यक्ति खड़ा है और उस पोस्ट पर लिखा है, ‘प्रतिरोध आतंकवाद नहीं है।’ ये पोस्ट हमास आतंकियों द्वारा 7 अक्टूबर को किए गए हमले को ‘आतंकवाद’ की जगह ‘प्रतिरोध’ बताकर सही साबित करने का प्रयास है।

परवीन शेख द्वारा लाइक किया गया पोस्ट

हमास के 7 अक्टूबर के हमले को ‘प्रतिरोध’ बताने वाली पोस्ट से आगे परवीन शेख ने हमास द्वारा जारी किए गए उस स्टेटमेंट यानी बयान को भी लाइक किया है, जिसमें हमास ने अपने ‘फाइटर्स’ द्वारा 7 अक्टूबर के ‘युद्ध’ में महिलाओं का रेप नहीं किया।

हमास का स्टेटमेंट, जिसे परवीन सेख ने लाइक किया है।

परवीन शेख ने एक अन्य ट्वीट जो पसंद किया है, उसमें दावा किया गया है कि हमास बुरा नहीं है।

परवीन शेख हमास के प्रति किस हद तक सहानुभूति रखती है, इसका पता इसी बात से लग जाता है कि 7 अक्टूबर को हमास द्वारा इजरायली नागरिकों के नरसंहार के दूसरे ही दिन उसने फिलिस्तीन के समर्थन वाली पोस्ट को लाइक किया है।

हमास ही नहीं, परवीन शेख भारत के इस्लामी कट्टरपंथियों की भी समर्थक

परवीन शेख ने 2021 में दिल्ली के हिंदू-विरोधी दंगों के आरोपित शरजील उसामी के ट्वीट को भी लाइक किया है, जिसमें समस्त हिंदुओं को ‘कट्टरपंथी’ कहा गया है।

अप्रैल 2022 में परवीन शेख ने ऐसे ट्वीट को लाइक किया है, जिसमें हिंदुओं को राम नवमी के मौके पर हुई हिंसा का जिम्मेदार ठहराया गया है और मुस्लिमों को ‘पीड़ित’ बताया गया है। जबकि हकीकत ये है कि 2022 की रामनवमी के दौरान हिंदुओं पर हमले हुए। खुद ऑपइंडिया ने 5 राज्यों में हुए ऐसे कई हमलों की रिपोर्ट प्रकाशित की थी।

परवीन शेख ने दिल्ली के हिंदू-विरोधी दंगों के मुख्य साजिशकर्ता उमर खालिज के समर्थन वाली पोस्ट को भी लाइक किया है।

परवीन शेख जाकिर नईक की भी फैन है।

हिंदू विरोधी ट्वीट्स भी लाइक करती है परवीन शेख

परवीन शेख ने ऐसा वीडियो भी लाइक किया है, जिसमें एक बच्चा ये बताता रहा है कि कैसे मंदिर जाने से केवल दुख और गरीबी आती है।

ये वीडियो यहाँ देखा जा सकता है।

ऑपइंडिया को परवीन का ऐसा ट्वीट भी मिला है, जिसमें वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना कुत्ते से करती दिख रही हैं।

परवीन शेख के ट्वीट का स्क्रीनशॉट

यही नहीं, फरवरी 2022 में परवीन शेख पीएम मोदी को ‘रोल प्ले’ करने वाला करार दे रही हैं, साथ ही वो पीएम मोदी को फिल्म इंडस्ट्री भी ज्वॉइन करने की सलाह दे रही हैं।

यही नहीं, सोमैया स्कूल की प्रिंसिपल परवीन शेख पीएम मोदी को ‘फ्रॉड’, ‘शैतान’ और ‘नरसंहार’ को बढ़ावा देने वाला भी बताती दिख रही हैं।

अप्रैल 2021 के ट्वीट में परवीन शेख ने यूपी के सीएम को ‘आधुनिक जमाने का फिराउन’ कहा, जिसका इस्लामिक किताबों में शाब्दिक अर्थ ‘शैतान’ है।

यही नहीं, परवीन शेख सरकारी स्कूलों में हिजाब पहनने की भी समर्थक है, जबकि हिसाब धार्मिक रूप से इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं है।

जून 2022 परवीन शेख ने केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को ‘अपना जमीर शैतान को बेचने’ वाला कहा। जबकि वो कतर की सरकार से कह रहे थे कि वो (कतर) भारत के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप न करे।

पीएम नरेंद्र मोदी मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रवादी पत्रकारों को अपशब्द कहने वाली परवीन शेख हमास के नरेटिव को भी आगे बढ़ाती रही हैं। परवीन शेख यहूदी विरोधी बातों को भी आगे बढ़ाती दिख रही हैं।

परवीन शेख के ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट

परवीन शेख एक तरफ सो हिंदू विरोधी ट्वीट्स को लाइक करती है, तो दूसरी तरफ कट्टरपंथी इस्लाम का विरोध करने वाले तकरीबन हर तर्क को कुतर्की के साथ खारिज करती है।

परवीन शेख के कुतर्क का स्क्रीनशॉट

परवीन शेख न सिर्फ हमास का खुलेआम समर्थन करती है, बल्कि भारतीय इस्लामिक कट्टरपंथियों का भी समर्थन करती है।

ये बात अभी साफ नहीं है कि सोमैया स्कूल ने कोई सोशल मीडिया पॉलिसी बनाई है या नहीं। शायद मैनेजमेंट भी अपने उन ‘शिक्षकों’ की सोशल मीडिया पर भी नजर नहीं रख पाता, जिन्हें उसने बच्चों को पढ़ाने के लिए नौकरी पर रखा है।

वैसे, परवीन शेख का बचाव करने वाला कोई ये कह सकता है कि ट्वीट ‘लाइक’ करने का मतलब उसका समर्थन करना नहीं होता। हालाँकि हम सब देख ही चुके हैं कि परवीन शेख खास विचारधारा से जुड़े ट्वीट्स सालों से लाइक कर रही हैं। कई सारे ट्वीट्स पर उन्होंने जवाब भी दिए हैं, जो ये समझने के लिए काफी है कि वो उन सभी ट्वीट्स और उनकी विचारधाराओं को बढ़ा रही है, जिसे वो लाइक कर रही है। अगर वो ट्वीट्स को सिर्फ ‘सुरक्षित’ करने के लिए लाइक कर रही होती, तो सिर्फ हमास समर्थक, इस्लामिक कट्टरपंथ समर्थक और एंटी-हिंदू ट्वीट्स को ही लाइक नहीं कर रही होती।

बहरहाल, ऑपइंडिया ने इस मामले में परवीन शेख को मेल भेजकर उनका पक्ष भी लेने की कोशिश की है, लेकिन 24 घंटों से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अभी तक उनका कोई जवाब नहीं आया है। अगर उनका कोई जवाब आता है, तो हम अपनी स्टोरी को अपडेट करेंगे।

ये लेख मूल रूप से अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित किया है। मूल लेख पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

बिलाल हुसैन हिंदू नामों से लड़कियों को भेजता था अश्लील मैसेज और गंदी तस्वीरें, असम पुलिस ने दबोचा

असम की राजधानी गुवाहाटी में पुलिस ने मोहम्मद बिलाल हुसैन नाम के एक अपराधी को पकड़ा है। बिलाल एक लड़की और उसकी सहेलियों को साइबरस्टॉक कर रहा था। उसने इंटरनेट पर लड़की और उसके दोस्तों की मॉर्फ्ड और भद्दी तस्वीरें बनाकर साझा करके परेशान कर रहा था। बिलाल की हरकतों से तंग आकर लड़की ने इसकी शिकायत पुलिस में की थी।

गुवाहाटी पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम कई महीनों की जाँच के बाद आरोपित मोहम्मद बिलाल हुसैन को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के मुताबिक, घटना सितंबर 2023 में शुरू हुई। पीड़िता और उसके कॉलेज के कुछ दोस्तों के साथ अलग-अलग नामों से अवांछित कॉल और मैसेज आने लगे। इनमें अश्लील मैसेज होते थे।

बिलाल ने कभी नबजीत नाथ के नाम से और कभी नबजीत तालुकदार के नाम से इन लड़कियों को अश्लील मैसेज और मॉर्फ्ड तस्वीरें भेजनी शुरू कर दी। बिलाल अलग-अलग नामों ने इन लड़कियों को अश्लील मैसेज और तस्वीरें भेजता था। वह लड़कियों को धमकी भी देता था कि अगर उन्होंने इसके बारे में किसी को बताया तो गंभीर परिणाम होंगे।

क्राइम ब्रांच की जाँच में पता चला कि मोहम्मद बिलाल हुसैन ने अपना नाम बदलकर पीड़िताओं में से एक लड़की से ऑनलाइन दोस्ती कर ली थी। बातचीत करते हुए उसने लड़की का विश्वास जीत लिया था। इतना ही नहीं, कुछ समय के लिए उसके व्हाट्सएप अकाउंट भी वह चलाया करता था।

हालाँकि, जब पीड़िता और उसके दोस्तों को पता चला कि वह वास्तव में कोई और तो उन्होंने उससे बात करना बंद कर दिया। इससे बिलाल हुसैन गुस्सा हो गया और उसने इन लड़कियों की अश्लील तस्वीरें बनाकर उसे फैलाना शुरू कर दिया। पुलिस के अनुसार, “तकनीकी विश्लेषण और लोगों से मिली जानकारी के आधार हम आरोपित को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु तक ट्रैक किए।”

पुलिस ने खुलासा किया, “उसकी पहचान मोहम्मद बिलाल हुसैन के रूप में हुई, जो असम के धुला में रहता है और जानबूझकर अपनी असली पहचान छिपा रहा था।” इसके बाद क्राइम ब्रांच की टीम को पता चला कि बिलाल हुसैन अपने गृहनगर दर्रांग के धुला में है। इसके बाद पुलिस ने 24 अप्रैल 2024 को उसे गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस का कहना है कि आरोपित ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है। पुलिस ने लड़कियों के उत्पीड़न में इस्तेमाल किए गए उसके मोबाइल फोन और सिम कार्ड को जब्त कर लिया है। पुलिस ने बिलाल हुसैन को अदालत में पेश किया, जहाँ से उसे पाँच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।

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