Wednesday, September 18, 2024
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दिल्ली के जिस कार्यक्रम में लगे ‘कश्मीर माँगे आजादी’ के नारे, उसके मंच पर गिलानी के साथ थे दिल्ली की नई CM के माता-पिता: स्वाति मालीवाल ने आतिशी पर फोड़ा एक और बम

आम आदमी पार्टी (AAP) ने आतिशी को 17 सितंबर 2024 को विधायक दल का नेता चुना। वे अरविंद केजरीवाल की जगह लेंगी। दिल्ली शराब घोटाले में जमानत पर बाहर आए केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा (Arvind Kejriwal Resignation) दे दिया है। इसके बाद से ही दिल्ली की नई सीएम (Delhi CM) बनने जा रहीं आतिशी (Atishi Marlena) विवादों में हैं।

आप की ही राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) ने आतिशी के माता-पिता पर एसएआर गिलानी (Syed Abdul Rahman Geelani) से गहरे संबंध रखने के आरोप लगाए हैं। कहा है कि अफजल गुरु के समर्थन में दिल्ली के प्रेस क्लब में हुए कार्यक्रम के मंच पर आतिशी के माता-पिता भी मौजूद थे।

X पर किए गए पोस्ट में मालीवाल ने लिखा है, “आतिशी मर्लेना के माता-पिता के एसएआर गिलानी के साथ गहरे संबंध थे। गिलानी ने 2016 में अफजल गुरु की याद में दिल्ली के प्रेस क्लब में एक प्रोग्राम किया था। उस प्रोग्राम में आतिशी मर्लेना के माता-पिता स्टेज पर गिलानी के साथ थे। इस प्रोग्राम में नारे लगाए गए थे- एक अफजल मारोगे तो लाखों पैदा होंगे, कश्मीर माँगे आजादी। आतिशी मर्लेना के माता-पिता ने ‘अरेस्ट एंड टॉर्चर आफ सैयद गिलानी (Arrest and torture of Syed Geelani)’ नाम से लेख लिखे हैं। भगवान दिल्ली की रक्षा करें!”

गौरतलब है कि एसएआर गिलानी का 2019 में इंतकाल हो चुका है। वह दिल्ली यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर था। 2001 में भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले में उसका नाम आया था। उसे निचली अदालत ने फाँसी की सजा भी सुनाई थी। लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया था। स्वाति मालीवाल ने दिल्ली प्रेस क्लब के जिस कार्यक्रम का जिक्र किया है, उसका आयोजन साल 2016 में हुआ था। इसके बाद भी गिलानी पर देशद्रोह का केस दर्ज किया गया था।

गिलानी ने आतंकी अफजल गुरु का शव उसके परिवार को सौंपने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की थी। अफजल को संसद हमले में फाँसी हुई थी। आतिशी के माता-पिता विजय सिंह और तृप्ता वाही भी DU में प्रोफेसर हैं। इन दोनों ने भी अफजल गुरु को फाँसी से बचाने की लड़ाई लड़ी थी।

दिल्ली की अगली सीएम के तौर पर आतिशी का चुनाव होने के बाद भी स्वाति मालीवाल ने X पर एक पोस्ट में कहा था, “दिल्ली की मुख्यमंत्री एक ऐसी महिला को बनाया जा रहा है, जिनके परिवार ने आतंकवादी अफजल गुरु को फाँसी से बचाने की लंबी लड़ाई लड़ी। उनके माता-पिता ने आतंकी अफजल गुरु को बचाने के लिए माननीय राष्ट्रपति को दया याचिकाएँ लिखी। उनके हिसाब से अफजल गुरु निर्दोष था और उसको राजनीतिक साजिश के तहत फँसाया गया था। वैसे तो आतिशी मार्लेना सिर्फ ‘Dummy CM’ है, फिर भी ये मुद्दा देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। भगवान दिल्ली की रक्षा करें!”

अफजल गुरु को बचाने के लिए अपने माता-पिता की सक्रियता को आतिशी पूर्व में स्वीकार कर चुकी हैं। 2019 में अमर उजाला को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “माँ-बाप के किसी राजनैतिक कदम के बारे में मैं जिम्मेदार नहीं हूँ। उसकी जिम्मेदारी और जवाबदेही उनकी है और वे अपनी बात कहने के लिए पूरी तरह सक्षम भी हैं। मैं अपनी बात कह सकती हूँ कि मैं उस कदम के समर्थन में नहीं थी।”

आपको बता दें कि आतिशी पुरानी वामपंथन हैं। विदेशों में भी वे भारत की छवि धूमिल करने के प्रयासों में शामिल रहीं हैं। दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने में भी उनका योगदान माना जाता है। इतना ही नहीं प्रवर्तन निदेशालय ने कोर्ट को बताया था कि दिल्ली शराब घोटाले की पूछताछ में केजरीवाल ने आतिशी का भी नाम लिया था।

मंडी में मंदिर के ऊपर खड़ी कर दी अवैध मस्जिद: हिंदुओं का दावा, निर्माण के लिए मुस्लिमों ने पाँच गुना जमीन कब्जाई; शिमला की एक और मस्जिद को भी सील करने की माँग

हिमाचल प्रदेश में मस्जिदों के अवैध कब्जे का मामला थम नहीं रहा है। प्रशासन की जाँच में सामने आया है कि मंडी की पुरानी मस्जिद की जगह बनाई गई नई मस्जिद के लिए 4 गुना जमीन कब्जा कर ली गई। वहीं हिन्दू संगठनों ने इस मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने का दावा किया है। दूसरी तरफ शिमला की कसुम्पटी मस्जिद को लेकर भी विवाद गहरा गया है, हिन्दू संगठनों ने कहा है कि इस मस्जिद को सील कर दिया जाए क्योंकि यह पहले यहाँ थी ही नहीं।

जमीन पर कब्जा, मस्जिद के नीचे मंदिर

मंडी शहर की जेल रोड पर बनी मस्जिद को लेकर हाल ही में काफी विवाद हुआ था। हिन्दू संगठनों ने आरोप लगाया था कि यह मस्जिद जमीन पर कब्जा करके बनाई गई है। नगर निगम मंडी ने आदेश दिया था कि इस मस्जिद का अवैध हिस्सा तोड़ दिया जाए। अब प्रशासन के सर्वे में यह सामने आया है कि मस्जिद के लिए काफी जमीन कब्जाई गई थी।

प्रशासन ने जब इस अवैध मस्जिद का सर्वे किया तो सामने आया है कि यहाँ 231 वर्ग मीटर पर अवैध निर्माण हुआ है। सर्वे में सामने आया है कि इसी जगह पर बनी पुरानी मस्जिद का इलाका मात्र 45 वर्ग मीटर था। जब नई मस्जिद बनी तो लगभग 180 वर्ग मीटर और जमीन पर कब्जा कर लिया गया।

इसके अलावा भी PWD की जमीन पर कब्जा हुआ। मुस्लिम समुदाय ने इस पूरी जमीन पर कब्जा करके बिना नक्शा पास करवाए और बिना कोई अनुमति लिए ही दोमंजिला मस्जिद बना दी। नगर निगम को इस निर्माण के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई। कई नोटिस के बाद भी यह निर्माण जारी रखा गया।

जब इस अवैध निर्माण पर हिन्दू संगठनों और स्थानीय लोगों ने विरोध किया तो प्रशासन इसको लेकर जागा और मंडी नगर निगम ने इसकी जाँच की। इसके बाद नगर निगम आयुक्त ने फैसला सुनाया कि मस्जिद का निर्माण अवैध ढंग से हुआ है और इसे 30 दिनों के भीतर तोड़ दिया जाए।

मस्जिद के टूटने के अलावा इसके मूल निर्माण पर भी अब विवाद पैदा हुआ है। मंडी के स्थानीय निवासी अब मंडी के उपायुक्त से मिले हैं और दावा किया है कि इस मस्जिद के नीचे एक हिन्दू मंदिर के अवशेष हैं। उन्होंने माँग की है कि इस मस्जिद के नीचे पुरातत्व विभाग खुदाई करे तो मंदिर के अवशेष निकलेंगे।

गौरतलब है कि मंडी को छोटी काशी कहा जाता है और यहाँ बड़ी संख्या में मंदिर बने हुए हैं। ऐसे में मस्जिद के नीचे भी मंदिर का दावा किया गया है। स्थानीयों ने दावा किया है कि पुराने रिकॉर्ड खँगाले जाएँ तो यहाँ का सच सामने आएगा। इसको लेकर आवेदन भी दिया गया है।

स्थानीय लोगों ने बताया कि जहाँ पर पुरानी मस्जिद का दावा है, वहाँ पर असल में देवता शिव को समर्पित एक मंदिर था। उन्होंने कहा कि इस जगह पर कश्मीर से मुस्लिम ठहरते थे और इस पर बाद में सहारनपुर के लोगों ने कब्जा किया और अपनी मस्जिद बना दी।

कसुम्पटी मस्जिद पर भी विवाद

शिमला के संजौली में मस्जिद पर हुए विवाद के बाद कसुम्पटी इलाके में बनी मस्जिद को भी सील करने की माँग की गई है। स्थानीय पार्षद अर्चना शर्मा ने माँग की कि मस्जिद को सील किया जाए क्योंकि यहाँ कभी पहले मस्जिद नहीं थी। उन्होंने इस संबंध में वक्फ बोर्ड के दावे को गलत बताया। अर्चना शर्मा ने आरोप लगाया कि यहाँ मस्जिद का निर्माण अवैध है।

पार्षद अर्चना शर्मा ने कहा कि मस्जिद जिस जमीन पर बनी है, वह असल में केंद्र सरकार की है। उन्होंने कहा कि इस मस्जिद को कोर्ट से गिराने का आदेश हो चुका है लेकिन अब भी इसमें निर्माण जारी है। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि इस मस्जिद में आने वाले लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।

कसुम्पटी मस्जिद को लेकर यह भी आरोप लगाया गया है कि इसके आसपास के इलाके में भी बड़ी संख्या में मुस्लिम बस रहे हैं। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि यहाँ पहले मुस्लिम रिहायशी इलाकों में घर बना रहे हैं और उन्हें बाद में मस्जिद में तब्दील किया जा रहा है।

हिजबुल्लाह के हर पेजर में 3gm विस्फोटक, मोसाद ने सिग्नल हैक कर बैट्री किए गर्म, इजरायल ने सप्लाई चेन में किया घुसपैठ… धमाकों पर कई थ्योरी, क्या है सच?

मध्य पूर्व के देश लेबनान के भीतर मंगलवार (17 सितम्बर, 2024) को हजारों धमाके एक साथ हुए। यह धमाके संदेश भेजने-पाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पेजर में हुए। लेबनान और पड़ोसी देश सीरिया के भीतर हजारों पेजर एक साथ फट गए। इस कारण लगभग 3000 लोग घायल हुए हैं, 9 लोगों की मौत की भी सूचना है। घायल होने वाले अधिकांश लोग इस्लामी आतंकी संगठन हिजबुल्लाह से जुड़े हुए थे। पेजर में धमाके करने का आरोप हिजबुल्लाह ने इजरायल पर लगाया है।

यह अभी साफ़ नहीं हो सका है कि एक साथ इतने पेजरों में धमाके कैसे हुए। इसको लेकर अलग-अलग थ्योरी चलाई जा रही हैं। कहीं यह कहा जा रहा है कि पेजरों को एक सिग्नल भेज कर धमाका कर दिया गया तो कहीं कोई और तरीका इस संबंध में बताया गया। लेबनान के लोगों ने भी इस संबंध में इजरायल पर आरोप लगाए हैं।

बैटरी गरम करके किया धमाका?

लेबनान के भीतर हुए धमाकों में देखा गया कि पेजर इकट्ठे गरम हो कर फट गए। इनमें तेज धमाके हुए और इनको रखने वाले के साथ ही आसपास के लोग इसकी चपेट में आ गए। इस कारण बड़ी संख्या में लोग घायल हुए। सबसे पहले कहा गया कि इन हजारों पेजरों के बीच के सिग्नल को इजरायल ने हैक कर लिया और इसमें ऐसी फ्रीक्वेंसी के संदेश भेजे जिससे उनकी बैटरी गरम हो गई और उसमें विस्फोट हो गया। हालाँकि, इसके विरोध में तर्क दिया गया कि बैटरियों में गरम हो कर आग नहीं लगी और वह सीधे फट ही गए, ऐसा इस तरीके से नहीं हो सकता।

पेजरों में कर दी गड़बड़?

पेजरों में हुई गड़बड़ के पीछे एक और थ्योरी यह दी जा रही है कि इजरायल ने इन पेजरों की आपूर्ति के बीच में ही गड़बड़ कर दी। बताया गया कि 5000 पेजर ताइवान से मँगाए गए थे और इसी साल की शुरुआत में हिजबुल्लाह के पास पहुँचे थे। लेबनान से जुड़े लोगों ने मीडिया को बताया कि इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने इन पेजरों के भीतर एक ऐसा बोर्ड लगाया जिससे धमाका हुआ। इस बोर्ड को आसानी से पहचाना नहीं जा सकता और इसी कारण हिजबुल्लाह इस बारे में अनभिज्ञ रहा।

यह भी कहा जा रहा है कि इजरायल ने यह पेजर हिजबुल्लाह के पास पहुँचने से पहले ही इनमें यह गड़बड़ कर दी और जब यह हिजबुल्लाह के लोगों के पास पहुँचे तो उनमें धमाका कर दिया। लेबनान के लोगों ने बताया कि इन पेजर में पड़े बोर्ड को जब मोसाद ने एक कोड वाला मैसेज भेजा तो यह फट गए। हालाँकि, इन पेजरों में इनको बनाने वाली फैक्ट्री में छेड़छाड़ हुई या फिर रास्ते में कहीं पर इनमें बोर्ड डाले गए, इसको लेकर अभी कोई जानकारी नहीं है।

हिजबुल्लाह के लोगों के पास फटने वाले पेजरों के भीतर 3 ग्राम विस्फोटक रखने की बात भी सामने आई है। कहा गया है कि इतनी छोटी मात्रा में पेजरों के भीतर रखा गया विस्फोटक हिजबुल्लाह पहचान नहीं पाया और उसने इन्हें अपने लोगों के बीच बाँट दिया। इसके बाद जब इजरायल ने सही मौक़ा देखा तो इनके भीतर धमाका कर दिया। हालाँकि, अभी इस थ्योरी को लेकर कोई पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन इस धमाके का निशाना हिजबुल्लाह के लोग बने हैं, इसलिए पूरा शक इजरायल की तरफ है।

पेजर का इस्तेमाल क्यों करते हैं हिजबुल्लाह के लोग?

हिजबुल्लाह पर हुए इस पेजर हमले के बीच यह प्रश्न भी उठा कि आखिर यह हजारों करोड़ का मालिक यह आतंकी समूह दशकों पुरानी तकनीक पर क्यों निर्भर है। बताया गया कि हिजबुल्लाह ने कई सालों से अपने आतंकियों और बाकी लोगों के फोन उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा रखा है। ऐसा इसलिए क्योंकि इजरायल इन्हें हैक कर सकता है और बातचीत सुन कर बड़ा नुकसान पहुँचा सकता है। पेजर का इस्तेमाल इसकी तकनीक साधारण और आसानी से हैक ना हो पाने के कारण किया जाता है। इजरायल ने इसमें भी सेंध लगा दी।

कंपनी ने नकारे दावे, हिजबुल्लाह ने बोला- बदला लेंगे

ताइवान की जिस कंपनी से यह पेजर मँगाए जाने की बात कही जा रही है, उसने यह सभी दावे नकार दिए हैं। ताइवान की गोल्ड अपोलो कंपनी ने कहा है कि उसने हिजबुल्लाह के पास पहुँचने वाले पेजर नहीं बनाए थे। गोल्ड अपोलो ने बताया है कि यूरोप की एक कंपनी पेजर बनाती है और उसने गोल्ड अपोलो से ही लाइसेंस ले रखा है।

इसीलिए फटने वाले पेजरों पर गोल्ड अपोलो का स्टीकर लगा हुआ था और डिजाइन भी वही थी जो गोल्ड अपोलो के पेजरों पर थी। हिजबुल्लाह ने इस घटना के बाद कहा है कि वह बदला लेंगे और उसने इजरायल को ही इसका जिम्मेदार माना है।

2800+ घायल, कई मरे…. लेबनान में हिज्बुल्ला सदस्यों के पेजर में एक-एक कर हुए धमाके, ईरानी राजदूत भी लपेटे में आए

लेबनान में सीरियल ब्लास्ट की खबर है। इन सिलसिलेवार धमाकों में अब तक 8 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि लगभग 2800 लोग घायल हुए हैं। मृतकों और घायलों की तादाद में इजाफा हो सकता है। घायलों में आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के लड़ाके और कई स्वास्थ्यकर्मी शामिल हैं। धमाकों की चपेट में ईरान का राजदूत भी आ गया है। शुरुआती जानकारी में ये धमाके पेजर्स में होने की बात कही जा रही है। घटना मंगलवार (17 सितंबर 2024) की है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस घटना से लेबनान की राजधानी बेरूत सहित खासतौर से दक्षिणी क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। धमाके स्थानीय समय के अनुसार 3:45 पर शुरू हुए थे जो लगभग 1 घंटे तक जारी रहे। एक ही साथ देश के कई हिस्सों में हुए इन धमाकों से अफरातरफी मच गई। जब तक कोई कुछ समझ पाता तक तक लगभग 8 लोगों की मौत हो गई थी और 2800 लोग घायल हो चुके थे। घायलों में सबसे ज्यादा तादाद आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के लड़ाकों की है। इसके बाद दूसरे नंबर पर प्रभावितों में लेबनान के स्वास्थ्यकर्मी हैं।

घायलों में ईरान का राजदूत मोजीतबा अमानी भी शामिल है। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक ये धमाके पेजर्स के जरिए करवाए गए हैं। ये सभी पेजर्स एक के बाद एक फटने लगे। ईरानी राजदूत का पेजर घटना के समय उनके सुरक्षा गार्ड के पास था। इन धमाकों को हिजबुल्लाह के सुरक्षा तंत्र में अब तक की सबसे बड़ी चूक माना जा रहा है। हिजबुल्लाह ने बयान जारी करते हुए इस सीरियल ब्लास्ट के पीछे इजरायल का हाथ होने की आशंका जताई है।

इन धमाकों के वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इन वीडियो में कई घायलों को सड़क पर इधर-उधर पड़ा देखा जा सकता है। कुछ वीडियो में अस्पतालों में लोगों का जमावड़ा देखा जा सकता है। कई घायल कराहते दिख रहे हैं जिनके हाथों और पैरों सहित शरीर के कई हिस्सों में घाव दिख रहे हैं। सड़कों पर खून बिखरा हुआ है। मृतकों में पुरुषों के साथ महिलाएँ भी शामिल हैं। कई घायलों की हालत गंभीर है। बताया जा रहा है कि मृतकों और घायलों की तादाद में अभी इजाफा हो सकता है।

लेबनान के स्वास्थ्य मंत्री ने नागरिकों को सलाह दी है कि वे अपने पेजर को त्याग दें और अस्पतालों को भी सतर्क रहने की चेतावनी दी है। विस्फोट मुख्य रूप से बेतरित उपनगर दहियेह और लेबनान के मध्य और दक्षिणी क्षेत्रों में हुए। ईरानी मीडिया के अनुसार, लेबनान में ईरान के राजदूत भी इस हमले में घायल हो गए हैं। इस घटना पर इजरायली सेना ने कोई टिप्पणी नहीं की है। इजरायल और हिज़्बुल्लाह के बीच पिछले कुछ महीनों से आंतरिक संघर्ष चल रहा है, लेकिन इस बार के हमले पर आईडीएफ की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह हमला लेबनान में बढ़ती सुरक्षा चिंताओं और संघर्ष की स्थिति को दर्शाता है।

शादीशुदा हिन्दू महिला को ‘आयुष गुर्जर’ बन फँसाया, फिर किया बलात्कार और जबरन धर्म परिवर्तन करा बनाया ‘समा’, अबॉर्शन भी कराया: मुजफ्फरनगर में आदिल के खिलाफ FIR दर्ज

उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर जिले से लव जिहाद का मामला सामने आया है। यहाँ आदिल नाम के युवक ने खुद को आयुष गुर्जर बता कर शादीशुदा हिन्दू लड़की को अपने प्यार के जाल में फँसाया। आदिल ने पारिवारिक और आर्थिक मुसीबत झेल रही महिला से सहारा देने के नाम पर 3 साल तक रेप किया। इसी दौरान उसने अश्लील फोटो और वीडियो बना डाले जिसे दिखा कर ब्लैकमेलिंग भी की गई। पीड़िता को इस्लाम कबूल करवा कर फना नाम दे दिया गया। पुलिस ने सोमवार (16 सितंबर 2024) को FIR दर्ज कर के जाँच शुरू कर दी है। फरार चल रहे आदिल की तलाश की जा रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मामला मुज़फ्फरनगर के थानाक्षेत्र बुढ़ाना का है। यहाँ 16 सितंबर को एक हिन्दू महिला ने को समाजिक संगठन के सदस्यों के साथ मिल कर थाने में तहरीर दी है। तहरीर में महिला ने बताया कि वो शादीशुदा है। पीड़िता की शादी हरियाणा के पानीपत में हुई थी। किसी बात को ले कर पति-पत्नी में नहीं बन पाई। पति की पिटाई से तंग आ कर पीड़िता दिल्ली चली आई थी। यहाँ पर साल 2021 में उनकी मुलाकात आदिल से हुई थी।

आदिल ने खुद को आयुष गुर्जर और पेशे से वकील बताया था। आयुष मूल रूप से मुज़फ्फरनगर के बुढ़ाना थानाक्षेत्र का रहने वाला है। पीड़िता और आदिल के बीच फोन नंबर बंट गए और इनकी आपस में बातचीत होने लगी। आयुष बने आदिल ने पीड़िता को कानूनी मदद देने की बात कहते हुए अपने झाँसे में ले लिया। उसने मेरठ के एक वकील से पीड़िता की मुलाकात करवाई। पीड़िता के पति पर इसी वकील के जरिए मुकदमा भी दर्ज करवा दिया गया।

धीरे-धीरे पीड़िता और आयुष में करीबी बढ़ने लगी। आरोप है कि इसी दौरान आदिल ने पीड़िता को एक ताबीज भी पहनाई थी। थोड़े दिनों बाद आदिल और पीड़िता एक साथ दिल्ली में रहने लगे। इस बीच बने शारीरिक संबंधों की फोटो और वीडियो भी आदिल ने बना डाली। वह पीड़िता के साथ कई हिन्दू धर्मस्थल पर घूमने भी गया। इनमें वैष्णो देवी और खाटू श्याम आदि स्थान भी शामिल हैं। वह वह माथ पर तिलक लगाता था, हाथ में कलावा बाँधे रहता था और पूजापाठ का भी दिखावा करता था।

इसी बीच पीड़िता गर्भवती हो गई तो आदिल ने धोखे से उनका एबॉर्शन भी करवा दिया। एक दिन पीड़िता को पता चला गया कि आयुष असल में मुस्लिम समुदाय का आदिल है। वह आदिल से झगड़ने लगी। आरोप है कि तब आदिल ने पीड़िता को उसके द्वारा बनाए गए अश्लील फोटो और वीडियो दिखाए और उन्हें वायरल करने की धमकी देने लगा। आदिल ने पीड़िता को मुँह बंद रखने के लिए कहा।

आरोप है कि तब आदिल ने पीड़िता को उसके द्वारा बनाए गए अश्लील फोटो और वीडियो दिखाए और उन्हें वायरल करने की धमकी देने लगा। आदिल ने पीड़िता को मुँह बंद रखने के लिए कहा। उसने पीड़िता को धमकी दे कर कहा कि अगर वो बदनामी से बचना चाहती है तो इस्लाम कबूल कर ले। मजबूरी में पीड़िता आदिल की हाँ में हाँ मिलाती चली गई। धर्मान्तरण के बाद पीड़िता को नया नाम फना दिया गया। आदिल पीड़िता को दिल्ली से अपने गाँव ले आया।

आरोप है कि यहाँ पीड़िता को पता चला कि आदिल पहले से ही शादीशुदा है। आदिल की बीवी फरीम भी पीड़िता को प्रताड़ित किया करती थी। यहाँ आदिल के परिवार के तमाम सदस्यों ने पीड़िता को रोज़े रखवाए और कलमा पढ़वाया। अपनी बातें न मानने पर पीड़िता को न सिर्फ मारा-पीटा जाता था बल्कि धमकियाँ भी मिलती थीं। आखिरकार आए दिन की प्रताड़ना से तंग हो कर पीड़िता जैसे-तैसे हिन्दू संगठनों से मिल पाई।

हिन्दू संगठन के सदस्यों ने पीड़िता के साथ 16 सितंबर 2024 को बुढ़ाना थाने पहुँच कर तहरीर दी। तहरीर में आरोपितों पर कड़ी कार्रवाई की माँग की गई है। पुलिस ने इस तहरीर पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के अलावा धर्मांतरण निरोधक कानून के तहत केस दर्ज कर लिया है। इस FIR में आयुष बने आदिल के साथ उसकी पहली बीवी और एक अन्य अज्ञात को भी नामजद किया गया है। केस दर्ज होने के बाद से आदिल फरार चल रहा है। उसकी तलाश में पुलिस दबिश दे रही है।

कोचिंग जा रही 15 साल की हिंदू किशोरी के साथ मोहम्मद आफताब ने किया रेप, लड़की के चीखने पर लोगों ने बचाया: पीट-पाट कर किया पुलिस के हवाले, दोस्त सगीर फरार

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के फतेहपुर कोतवाली क्षेत्र में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहाँ एक 15 वर्षीय हिंदू किशोरी के साथ दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने आरोपित मोहम्मद आफताब को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि उसका साथी सगीर फरार है। पुलिस मामले की जाँच कर रही है और फरार आरोपी की तलाश जारी है।

कोचिंग के रास्ते में घटी घटना

यह घटना सोमवार, 16 सितंबर 2024 को हुई जब पीड़िता, जो कक्षा 11 की छात्रा है, रोजाना की तरह कोचिंग के लिए घर से निकली थी। रास्ते में आरोपित आफताब उसे बहला-फुसलाकर अपने दोस्त सगीर के घर ले गया। यह घर सुनसान इलाके में था, जहाँ आफताब ने घर के बाहर ताला लगाकर किशोरी को अंदर बंद कर दिया। इसके बाद उसने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया।

चीख सुनकर लोगों ने बचाया

घटना के कुछ समय बाद, आस-पास के लोग उस घर के पास से गुजर रहे थे, तभी उन्हें अंदर से चीखने की आवाज सुनाई दी। लोगों ने तुरंत इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ताला तोड़ा और घर के अंदर घुसकर किशोरी को मुक्त कराया। मौके पर ही उन्होंने आरोपित आफताब को पकड़ लिया और पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुँचकर आफताब को हिरासत में लिया।

सगीर फरार, पुलिस की जाँच जारी

पुलिस के पहुँचने से पहले ही आफताब का साथी सगीर फरार हो गया। पुलिस ने घटनास्थल की जाँच की और पीड़िता के बयान के आधार पर कार्रवाई शुरू की। कोतवाली इंस्पेक्टर डीके सिंह ने बताया कि पीड़िता के पिता की शिकायत पर आरोपी आफताब के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।

परिवार के बयान और पुलिस कार्रवाई

पीड़िता के पिता ने बताया कि उनकी बेटी रोजाना की तरह कोचिंग जा रही थी, जब आरोपित आफताब ने उसे बहकाकर अपने दोस्त के घर ले जाकर बंद कर दिया। पुलिस ने बताया कि पीड़िता को मेडिकल जाँच के लिए भेज दिया गया है और उसकी हालत स्थिर है। इसके साथ ही फरार आरोपी सगीर की तलाश में पुलिस की टीम लगातार छापेमारी कर रही है।

इस घटना के बाद इलाके में काफी आक्रोश फैल गया है। स्थानीय लोग इस तरह की घटनाओं को लेकर चिंता जता रहे हैं और जल्द से जल्द न्याय की माँग कर रहे हैं। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि फरार आरोपित को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा और मामले की त्वरित जाँच की जाएगी।

कोचिंग सेंटर की आड़ में ईसाई धर्मान्तरण की साजिश, पिकनिक के बहाने बुलाते थे: बैतूल में महिला टीचर और पादरी समेत 3 को पुलिस ने पकड़ा

मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में कोचिंग के बहाने हिन्दू छात्र-छात्राओं को ईसाई बनाने की साजिश का भंडाफोड़ हुआ है। पुलिस ने यहाँ एक कोचिंग सेंटर से कई नाबालिग बच्चों को मुक्त करवाया है। इन बच्चों की संख्या 11 और उम्र 2 से 17 वर्ष के बीच बताई जा रही है। पीड़ितों में दलित समुदाय के छात्र भी शामिल हैं। हिन्दू संगठन की शिकायत पर सोमवार (16 सितंबर 2024) को 2 महिलाओं सहित कुल 3 आरोपितों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है। इन सभी को हिरासत में ले कर पूछताछ चल रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घटना बैतूल के हमलावरपुर क्षेत्र की है। यहाँ एक महिला कोचिंग सेंटर चलाती है जिसमें आसपास के कई नाबालिग छात्र-छात्राएँ पढ़ने आती हैं। सोमवार को यहाँ हिन्दू सेना के सदस्य पहुँच कर हंगामा करने लगे। इस संगठन के प्रदेश अध्यक्ष दीपक मालवीय ने बताया कि उन्हें कोचिंग की आड़ में नाबालिग बच्चों के ईसाई धर्म परिवर्तन की साजिश की सूचना मिली थी। बकौल दीपक कोचिंग सेंटर में नाबालिग बच्चे-बच्चियों का ब्रेनवॉश ईसाई मत अपनाने के लिए किया जाता है।

दावा किया जा रहा है कि कोचिंग सेंटर में कुछ ईसाई साहित्य व मज़हबी पुस्तकें भी मिली हैं। आरोप है कि छात्रों को ये किताबें पढ़ाई जाती हैं और उन्हें मज़हबी कार्यक्रमों में भी शामिल किया जाता है। इन बच्चों को ईसाई विधान से प्रार्थना भी कराए जाने की बात कही जा रही है। हंगामे की सूचना मिलते ही पुलिस तत्काल मौके पर पहुँची। कथित कोचिंग सेंटर में मौजूद कुल 11 छात्र-छात्राओं को पुलिस अपने साथ ले गई। ये सभी नाबालिग बताए जा रहे हैं।

हिन्दू सेना के सदस्यों ने इसे गंभीर अपराध माना है और धर्मान्तरण की साजिश बताते हुए पुलिस में शिकायती पत्र दिया है। शिकायत में कुल 3 लोगों को नामजद किया गया है जिसमें 2 महिलाएँ भी शामिल हैं। पुलिस ने इन सभी आरोपितों को हिरासत में ले लिया है जिनसे पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने सभी आरोपितों के खिलाफ मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम व SC/ST एक्ट की धाराओं में केस दर्ज किया है।

आरोपितों में एक पादरी भी बताया जा रहा है। हिरासत में ली गई महिला टीचर के पिता ने आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उनका दावा है कि घटना के दिन छुट्टी होने की वजह से उनकी बेटी बच्चों को पिकनिक ले जाने के लिए बुलवाया था।

मम्मी-पापा अफजल गुरु के लिए मरते हैं, जीजा वाले चैनल ने AAP के लिए पहुँचाए ₹17 करोड़: शराब घोटाले का खुलासा होते ही हो गया बंद, ‘मुख्यमंत्री’ आतिशी से कनेक्शन

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया है, उनकी जगह अब आतिशी मार्लेना को नया CM चुना गया है। आतिशी 2020 में कालकाजी से पहली बार विधायक चुनी गई थीं। हालाँकि, वो AAP में इसके गठन के समय से ही सक्रिय रही हैं। पंजाबी तोमर राजपूत परिवार से आने वाली आतिशी के नाम में मार्क्स और लेनिन से प्रभावित होकर ‘मार्लेना’ जोड़ा गया था। उन्होंने दिल्ली स्थित सेंट स्टीफेंस कॉलेज और लंदन स्थित ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है।

दिल्ली की राजनीति में अचानक हुए इस बदलाव के पीछे शराब घोटाला है। इसी शराब घोटाले के कारण मनीष सिसोदिया जेल गए और उनका उप-मुख्यमंत्री का पद भी गया। उनकी जगह ही आतिशी को मंत्री बनाया गया था। अब अरविंद केजरीवाल ने भी विधानसभा चुनाव से 5 महीने पहले इस्तीफा देकर सहानुभूति वोट की चाहत में अपनी राजनीति चाल चली है। आतिशी को इससे पहले शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, संस्कृति, पर्यटन और PWD जैसे बड़े विभाग दिए गए थे।

आतिशी के जीजा चलाते थे ‘India Ahead News’ चैनल

जब आतिशी को दिल्ली में मंत्री बनाया गया था, तब दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष कपिल मिश्रा ने ‘X’ पर एक पोस्ट के जरिए बताया था कि आतिशी की बहन रोजा बसंती की शादी पत्रकार भूपेंद्र चौबे से हुई है, जो ‘इंडिया अहेड न्यूज़’ में बड़े पद पर थे, चैनल का सारा काम वही देख रहे थे। बकौल कपिल मिश्रा, आतिशी के जीजा वाले इस चैनल को हवाला के माध्यम से शराब घोटाले का 17 करोड़ रुपया पहुँचाया गया। उन्होंने AAP के नेताओं द्वारा खुद को ‘कट्टर ईमानदार’ बताए जाने पर निशाना साधा था।

‘India Ahead News’ चैनल में कमर्शियल हेड के रूप में तैनात रहे अरविंद कुमार सिंह को CBI ने शराब घोटाले में गिरफ्तार भी किया था। जून 2021 से लेकर जनवरी 2022 तक हवाला के जरिए हुए पैसों के लेनदेन में उन्हें जाँच एजेंसी ने शामिल बताया था। अरविंद कुमार सिंह चैनल में प्रोडक्शन कंट्रोलर भी थे। गोवा में AAP का चुनाव प्रचार देख रही कंपनी ‘Chariot Media’ के खाते में 17 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए जाने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया था।

CBI ने आरोप लगाया था कि हवाला नेटवर्क के जरिए ये पैसे भेजे गए थे। 14 फरवरी, 2022 को गोवा में विधानसभा चुनाव हुए थे। दिल्ली के शराब घोटाले में हुआ ये था कि एक नई शराब नीति बना कर ‘साउथ लॉबी’ यानी, दक्षिण भारत की कुछ शराब कंपनियों को फायदा पहुँचाया गया और बदले में करोड़ों रुपए की घूस ली गई। इस मामले में AAP के करीबी दलाल विजय नायर और हैदराबाद के कारोबारी अभिषेक बोनीपल्ली के अलावा तेलंगाना के CM रहे KCR की बेटी कविता को भी गिरफ्तार किया गया था।

AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी इस मामले में जेल जा चुके हैं, जिनमें कारोबारी दिनेश अरोड़ा से 2 करोड़ रुपए घूस लेने का आरोप है। दिनेश अरोड़ा आरोपित से अब अप्रूवर बन चुका है। AAP को मिली घूस की रकम 100 करोड़ रुपए बताई गई थी। कविता के करीबी अरुण पिल्लई ने ‘साउथ लॉबी’ की तरफ से बैठकों में हिस्सा लिया था। वहीं Indospirit के मालिक समीर महेन्द्रू ने भी घूस में करोड़ों रुपए दिए थे। इस पूरे खेल में कोरोना के दौरान नुकसान दिल्ली की जनता का हुआ, अरविंद केजरीवाल अपने आवास ‘शीशमहल’ को सुख-सुविधाओं से लैस करने में व्यस्त रहे।

कर्मचारियों को वेतन नहीं, शराब घोटाला सामने आते चैनल बंद

ऐसे में ‘India Ahead News’ चैनल से AAP नेता आतिशी का कनेक्शन और फिर इसका हवाला के जरिए AAP के लिए काम कर रही कंपनी को करोड़ों रुपए देना केवल संयोग तो हो नहीं सकता है। बड़ी बात कि ये चैनल 2023 की शुरुआत तक ठप्प भी हो गया। ऊपर से कई कर्मचारियों को कई महीनों का वेतन नहीं दिया गया सो अलग। रिद्धिमा केडिया और आकांक्षा वर्मा सहित अन्य पत्रकारों ने इसका खुलासा किया गया। कई रिपोर्टरों और एंकरों को सैलरी नहीं दी गई।

तब इस कंपनी के एडिटर-इन-चीफ रहे भूपेंद्र चौबे ने कहा था कि चैनल के मालिक अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं कि सबको वेतन मिल जाए। वो ये भूल गए कि कर्मचारियों को ‘कोशिश’ नहीं, तय समय पर खाते में उनकी मेहनत के बदले पैसा चाहिए होता है। वैसे ये बात सुप्रीम कोर्ट में भी कई बार बताई जा चुकी है कि AAP ने शराब घोटाले से मिले पैसे गोवा चुनाव में खर्च किए। इसके सबूत के रूप में WhatsApp चैट्स भी पेश किए गए थे। पार्टी को इस चुनाव में महज 2 सीटें ही मिली थीं।

आतिशी मार्लेना अपने जीजा के चैनल के हवाला कारोबार में संलिप्त रहने से इनकार करती रही हैं। हालाँकि, वो इस बात का जवाब नहीं दे पाईं कि शराब घोटाले का खुलासा होते ही अचानक से ये चैनल बंद क्यों हो गया और कर्मचारियों का वेतन क्यों रुक गया? सिर्फ अरविंद कुमार सिंह ही नहीं, बल्कि IAN चैनल और इसकी पैरेंट कंपनी ‘आंध्र प्रभा’ से जुड़े 3 लोग जाँच एजेंसियों के निशाने पर थे। अक्टूबर 2022 में ‘इंडिया अहेड न्यूज़’ के मैनेजिंग डायरेक्टर मूठा गौतम से भी ED द्वारा पूछताछ हुई थी।

इसी चैनल के एक अन्य अधिकारी अर्जुन पांडेय का नाम भी शराब घोटाले की FIR में शामिल है। अर्जुन पांडेय न्यूज़ चैनल के सेल्स एवं मार्केटिंग विभाग का प्रमुख था। आरोप है कि उसने 4 करोड़ रुपए विजय नायर की तरफ से समीर महेन्द्रू से लिए। तब भूपेंद्र चौबे ने कहा था कि अर्जुन पांडेय सिर्फ कंसल्टेंट था और इस्तीफा दे चुका है। ‘आंध्र प्रभा’ के बारे में बता दें कि इसकी स्थापना ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के संस्थापक रामनाथ गोयनका ने ही की थी। काकीनाडा के 4 बार विधायक रहे मूठा गोपालकृष्ण अब इसके मालिक हैं।

2019 में भूपेंद्र चौबे खुल कर AAP के संबंध में सोशल मीडिया पर पोस्ट्स करते थे। उस समय उनकी साली आतिशी को ईस्ट दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया गया था। हालाँकि, वो तीसरे नंबर पर रही थीं। भूपेंद्र चौबे की पत्नी रोजा बसंती, आतिशी मार्लेना की बड़ी बहन हैं। उसी चुनाव में उम्मीदवार बनने के बाद आतिशी ने अपने नाम से ‘मार्लेना’ सरनेम हटा लिया था। उनके पिता का नाम विजय सिंह और माँ का नाम तृप्ता वाही है। दोनों DU में प्रोफेसर हैं।

इन दोनों ने दिल्ली स्थित संसद भवन पर हमला करने वाले आतंकी अफजल गुरु का भी बचाव किया था और उसकी फाँसी का विरोध भी किया था। आतिशी AAP की पॉलिटिकल एक्शन कमिटी की सदस्य हैं, साथ ही मनीष सिसोदिया के उप-मुख्यमंत्रित्व काल में उनकी सलाहकार रहीं। AAP दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था में अमूल-चूल परिवर्तन का दावा करती है और इसका श्रेय भी आतिशी को देती है। आतिशी के समर्थन में भूपेंद्र चौबे ने रिट्वीटस भी किए थे और उन्हें चुनने की सलाह दी थी।

AAP के सामने गायब हो जाती है भूपेंद्र चौबे की पत्रकारिता

आतिशी के खिलाफ जब पर्चे बाँटे गए थे (आरोप लगा कि ये AAP ने ही विरोधियों को फँसाने के लिए कराया है), तब भूपेंद्र चौबे ने अपनी एक साइड चुन ली थी और अपनी साली का बचाव किया था। तब गौतम गंभीर, जो ईस्ट दिल्ली से जीत कर सांसद बने, उन्होंने कहा था कि अगर ये साबित हो गया कि ये पर्चे उन्होंने बँटवाए हैं तो वो अपनी उम्मीदवारी वापस ले लेंगे। भूपेंद्र चौबे पहले एक संतुलित पत्रकार माने जाते थे, लेकिन इस काण्ड के बाद से लोगों का उन पर से भरोसा जाता रहा।

आतिशी का बचाव करते रहे हैं जीजा भूपेंद्र चौबे

वैसे भूपेंद्र चौबे पहले भी पीएम मोदी के विरोध में लिखते रहे हैं। फरवरी 2015 में उन्होंने लिखा था कि दिल्ली कोई गुजरात नहीं है, इसीलिए नरेंद्र मोदी को निरंकुश राजनीति छोड़नी होगी, अगर वो मीडिया को ‘बाजारू’ बताएँगे तो ज़्यादा आगे नहीं जाएँगे। अभी मोदी कहाँ हैं, ये किसी को बताने की ज़रूरत नहीं है। वहीं जब मार्च 2014 में अरविंद केजरीवाल ने मीडिया पर हमला बोला था तब उन्होंने इतना कड़ा रुख नहीं अपनाया था। कारण – साली आतिशी AAP का हिस्सा हैं।

‘हिंदू विवाह को अनुबंध की तरह समाप्त नहीं किया जा सकता’: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पारिवारिक अदालत के फैसले को किया खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की कि हिंदू विवाह को एक अनुबंध की तरह भंग या समाप्त नहीं किया जा सकता। यह टिप्पणी जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने की, जिन्होंने एक महिला द्वारा दायर अपील को स्वीकार करते हुए पारिवारिक अदालत के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें महिला के पति की याचिका पर उनका विवाह भंग कर दिया गया था।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, हाई कोर्ट ने कहा, “हिंदू विवाह को एक अनुबंध की तरह समाप्त या भंग नहीं किया जा सकता। हिंदू विवाह एक धार्मिक संस्कार पर आधारित होता है और इसे केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में ही कानूनी रूप से समाप्त किया जा सकता है। अगर किसी पति या पत्नी पर निःसंतान होने का आरोप लगता है, तो उस आरोप को केवल सबूतों के आधार पर ही साबित किया जा सकता है।”

यह मामला एक दंपति से जुड़ा है जिनका विवाह 2006 में हुआ था। पति, जो भारतीय सेना में कर्मचारी हैं, ने 2007 में पत्नी पर उन्हें छोड़ने का आरोप लगाते हुए 2008 में तलाक के लिए याचिका दायर की। पति ने यह भी दावा किया कि उनकी पत्नी निःसंतान (बाँझ) हैं, जिसके आधार पर उन्होंने तलाक की माँग की।

इस मामले में शुरुआत में, 2008 में पत्नी ने अपने पहले लिखित बयान में तलाक के लिए सहमति दी थी। हालाँकि, बाद में 2010 में पत्नी ने दूसरा लिखित बयान दायर कर तलाक का विरोध किया और पति के बांझपन के आरोप को गलत साबित करने के लिए दस्तावेज पेश किए। उन्होंने यह भी बताया कि 2008 में, जब तलाक की याचिका दायर की गई थी, तब वह पहले ही एक बच्चे को जन्म दे चुकी थीं और 2010 में दूसरा बच्चा भी हुआ था।

2011 में, पति ने पत्नी द्वारा दूसरा लिखित बयान दायर करने पर आपत्ति जताई। पारिवारिक अदालत ने पति की आपत्ति को स्वीकार किया और पत्नी के दूसरे लिखित बयान को नजरअंदाज कर दिया। उसी दिन, अदालत ने मामले की सुनवाई की और पति की तलाक की याचिका को मंजूरी दे दी। पत्नी ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पारिवारिक अदालत के फैसले को खारिज कर दिया, यह पाया कि पारिवारिक अदालत ने मामले की समग्रता से समीक्षा नहीं की थी। हाईकोर्ट ने कहा कि हालाँकि एक दूसरा लिखित बयान दायर करने पर कुछ सीमाएँ हैं, लेकिन निचली अदालत को बदले हुए हालातों को देखते हुए अतिरिक्त बयान मांगने से कोई नहीं रोकता।

हाईकोर्ट ने यह भी पाया कि जब पारिवारिक अदालत ने तलाक की याचिका को मंजूरी दी, तब तक पति-पत्नी के बीच आपसी सहमति से तलाक का आधार समाप्त हो चुका था। हालाँकि पत्नी ने 2008 में तलाक के लिए सहमति दी थी, लेकिन बाद में 2010 में उसने अपना बयान बदल लिया था और तलाक का विरोध किया था। यह बात पत्नी की 2011 में दी गई मौखिक गवाही से भी स्पष्ट थी। हाईकोर्ट के अनुसार, निचली अदालत को यह जाँच करनी चाहिए थी कि क्या पत्नी ने अपनी राय बदली थी।

हाई कोर्ट की टिप्पणी

हाईकोर्ट ने अपने 6 सितंबर 2024 के फैसले में स्पष्ट किया कि हिंदू विवाह को एक अनुबंध की तरह समाप्त नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा, “यह विस्तार की आवश्यकता नहीं है कि हिंदू विवाह को अनुबंध की तरह समाप्त या भंग नहीं किया जा सकता। कानूनन, हिंदू विवाह केवल सीमित परिस्थितियों में भंग हो सकता है, और वह भी साक्ष्यों के आधार पर।”

अदालत ने यह भी कहा कि अगर कोई पति या पत्नी निःसंतान होने का आरोप लगाता है तो यह आरोप केवल साक्ष्य के आधार पर ही साबित किया जा सकता है। अदालत ने पारिवारिक अदालत के निर्णय को इस आधार पर खारिज कर दिया कि निचली अदालत ने मामले की पूर्ण समीक्षा नहीं की थी और केवल पहले लिखित बयान और 2008 की सहमति पर भरोसा किया था।

हाई कोर्ट में मौजूद नहीं था पति

हाईकोर्ट ने कहा कि वह पति-पत्नी के बीच समझौते के लिए इच्छुक था, लेकिन यह संभव नहीं हो सका क्योंकि पति अदालत में उपस्थित नहीं था। इसके बावजूद, अदालत ने पत्नी की अपील को मंजूरी दी और तलाक के फैसले को खारिज कर दिया। अदालत ने मामला पुनः विचार के लिए निचली अदालत को भेज दिया और निर्देश दिया कि अगर कोई समझौता नहीं हो पाता, तो पत्नी को दूसरा लिखित बयान दायर करने की अनुमति दी जाए, और पति को उस बयान का जवाब देने का अधिकार भी दिया जाए।

इस मामले में, पत्नी की ओर से वकील उमा नाथ पांडेय और विनोद सिन्हा ने पैरवी की, जबकि पति की ओर से एएन पांडेय, डीआर कुशवाहा, मनीष सी तिवारी और राजेश कुमार दुबे ने अदालत में पक्ष रखा।

इस फैसले ने हिंदू विवाह की पवित्रता और उसे अनुबंध की तरह समाप्त न किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। हाईकोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि तलाक का कोई भी निर्णय उचित साक्ष्यों और समग्र दृष्टिकोण के आधार पर ही लिया जाना चाहिए। साथ ही, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल एक बार दी गई सहमति के आधार पर तलाक नहीं दिया जा सकता, खासकर जब वह सहमति बाद में वापस ले ली गई हो।

अदालत का यह फैसला न केवल इस मामले के लिए बल्कि ऐसे कई मामलों के लिए महत्वपूर्ण मिसाल के रूप में काम करेगा, जहाँ विवाह को अनुबंध की तरह समाप्त करने का प्रयास किया जाता है।

‘आसमान नहीं गिर जाएगा’: सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में बुलडोजर कार्रवाइयों पर लगाई रोक, कहा – एक भी जगह हुआ अवैध ध्वस्तीकरण तो ये आदेश का उल्लंघन

उत्तर प्रदेश में माफियाओं और अपराधियों को नेस्तनाबूत करने के लिए उनकी अवैध संपत्तियों को बुलडोजर से ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू हुई। बाद में अन्य अपराधियों के खिलाफ भी इसका इस्तेमाल किया जाने लगा, जिनकी संपत्ति अवैध अतिक्रमण कर के बनाई पाई जाती थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि देश भर में बिना उसके आदेश के ध्वस्तीकरण की कोई भी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। अगली सुनवाई तक ये आदेश जारी रहेगा।

हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान ये भी स्पष्ट किया कि सार्वजनिक सड़कों, फूटपाथ, रेलवे लाइनों और तालाब जैसे अन्य सार्वजनिक स्थलों के अतिक्रमण को लेकर बुलडोजर चलाया जा सकता है, ये आदेश की जद से बाहर होगा। जस्टिस BR गवई और जस्टिस KV विश्वनाथन ने ये आदेश दिया। दायर याचिकाओं में दावा किया गया था कि राज्य सरकारें अपराधियों को दंड देने के लिए उनकी संपत्तियों पर बुलडोजर चला रही हैं। अब इस मामले की सुनवाई 1 अक्टूबर को होगी।

हालाँकि, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय के इस फ़ैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि नियामक संस्थाओं के हाथ इस तरह से नहीं बाँधे जा सकते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट के जजों ने कहा, “अगर ध्वस्तीकरण की कार्रवाइयों को 2 सप्ताह के लिए रोक दिया जाए तो आसमान नहीं गिर जाएगा। अपने हाथों को रोकिए। 15 दिन में क्या हो जाएगा?” जब SG ने कहा कि वो पूरे भारत में सभी वैधानिक संस्थाओं के हाथ नहीं रोक सकते, तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद-142 में निहित अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल कर के उसने ये फैसला दिया है।

जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि अगर अवैध ध्वस्तीकरण की एक भी घटना होती है तो वो भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा। अधिवक्ता चंदर उदय सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछली बार आदेश दिए जाने के बावजूद बुलडोजर वाली कार्रवाइयाँ जारी हैं। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वो ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के लिए दिशानिर्देश जारी करेगा। SG ने कहा कि ये फर्जी नैरेटिव बनाया जा रहा है कि केवल एक खास समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।