राजस्थान में विधानसभा चुनावों की एक प्रवृति रही है और वो ये है कि 1993 के बाद यहाँ हुए हर चुनाव में सत्ताधारी दल को मुंह की खानी पड़ी है। 2018 के चुनावों में भी मतदाताओं ने ये ट्रेंड बरकरार रखा है और कांग्रेस को जनादेश दिया है। चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट के आंकड़ों के अनुसार कांग्रेस 99 सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाने की स्थिति में आ गई है। हलांकि राजस्थान में कुल 200 विधानसभा सीटें हैं लेकिन इनमे से 199 सीटों पर ही मतदान हुआ था जिसके कारण बहुमत का जादुई आंकडा 100 हो जाता है। रामगढ़ विधानभा क्षेत्र के एक उम्मीदवार की मृत्यु हो जाने के कारण वहां वोट नहीं डाले गए। भाजपा के खाते में 73 सीटें आई है वहीं 13 सीटों पर निर्दलीय विधायकों ने जीत दर्ज किया।
मायावती की पार्टी बसपा ने भी राजस्थान में छः सीटों पर जीत दर्ज कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। हलांकि कांग्रेस के पास बहुमत के लिए जरूरी सीटों के आंकड़े से एक सीट कम है लेकिन अन्य और निर्दलीयों की संख्या को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार तय है। जैसा कि माना जा रहा था या कई एग्जिट पोल में दिखाया जा रहा था, कांग्रेस के लिए राजस्थान का रण उतना आसान भी नहीं रहा और एंटी-इनकम्बेन्सी के बावजूद भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर रही- कम से कम नतीजों को देख कर तो यही साबित होता है।
वहीं अगर वोट शेयर की बात करें तो कांग्रेस और भाजपा के वोट शेयर में ज्यादा का अंतर नहीं रहा। कांग्रेस को कुल 39.3% मत प्राप्त हुए हैं वहीँ भाजपा के खाते में 38.8% मत आये। अगर दोनों पार्टियों को मिले मत प्रतिशत की तुलना करें तो सिर्फ 0.5% का अंतर है। निर्दलीय 9.5% वोट शेयर के साथ तीसरे स्थान पर रहे। अन्य के खाते में इतनी सीटों का जाना यह भी दिखाता है कि कांग्रेस और भाजपा के बागियों ने दोनों ही पार्टियों का नुकसान किया है।
कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निर्दलीयों को सरकार में शामिल होने का न्योता दिया है। वहीं दूसरी तरफ सचिन पायलट ने भी कहा कि कांग्रेस समान विचारधारा वाले उम्मीदवारों के संपर्क में हैं। बता दें कि ये दोनों ही कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हैं।
कुल मिलाकर देखें तो राजस्थान ने 25 सालों के हर चुनाव में सरकार बदलने के अपने ट्रेंड को इस चुनाव में भी बरकरार रखा और फलस्वरूप वसुन्धरा राजे की सरकार को बहार का रास्ता देखना पड़ा। राजस्थान में 7 दिसम्बर को विधानसभा चुनाव हुए थे जिसमे करीब 74% मतदाताओं ने हिस्सा लिया था।