"मैं सिद्दरमैया का पालतू बनाया हुआ कोई तोता नहीं हूँ। उनके जैसे कई हैं, जो एचडी देवेगौड़ा के शासन में फल-फूले। मैं मुख्यमंत्री कॉन्ग्रेस आलाकमान के आशीर्वाद के चलते बना।"
हेलो... मेरा नाम सुरेश (अपना मुस्लिम नाम छुपाते हुए) है। मैं आपसे दोस्ती करना चाहता हूँ। पीड़िता के साथ एक ही बस में आने-जाने से बनी पहचान के कारण आसिफ से सुरेश बने रेप आरोपित ने एक दिन उसे किसी बहाने बुलाया, जहाँ एक गाड़ी में उसे जबरन बैठाया गया, नशे की गोलियाँ खिलाई गई और...
"अगर विवादित स्थल पर इतिहास में कोई मंदिर था तो वह कब गायब हो गया होगा, किसी को नहीं पता। यह ढाँचा 19वीं सदी तक भारत के किसी अन्य सामान्य मस्जिद की तरह ही था, विवाद के बाद यह चर्चित हो गया।"
मुस्लिम पक्षकार ने दावा किया कि जन्मस्थान अयोध्या में ही है लेकिन विवादित स्थल पर नहीं है, कहीं और है। इससे पहले मुस्लिम पक्षकार राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि पूरे अयोध्या को ही जन्मस्थान माना जाता है और इसके बारे में कोई सटीक स्थान का जिक्र नहीं है।
"ये एक पुरानी तस्वीर है। और एक कवि की कुछ पंक्तियों का यहाँ इस्तेमाल प्रोपगेंडा फैलाने के लिहाज से हुआ है। तस्वीर में दिख रहे अधिकारी उन नाबालिग बच्चों की कॉउंसलिंग कर रहे हैं, जो साल 2010 में पत्थरबाजी में शामिल थे।"
अपने माता-पिता के साथ इसी साल 14 मई को पाकिस्तान से आए तीन बच्चों के भविष्य पर मॅंडरा रहा संकट। दिल्ली के एक सरकारी स्कूल ने 5 जुलाई को उन्हें एडमिशन दिया। 8 जुलाई से क्लास अटेंड करने की इजाजत भी मिली। लेकिन, 14 सितंबर को स्कूल से यह कह कर निकाल दिया गया कि उनकी उम्र ज्यादा है।
थरूर ने नेहरू-इंदिरा की जो फोटो शेयर की वह न अमेरिका की थी और न 1954 की। फोटो मॉस्को की है जिसे 1955 में क्लिक किया गया था। नेहरू को महान और मोदी को नीचा दिखाने का थरूर का दाँव उलटा पड़ गया और उनसे लोगों के सवाल का जवाब देते नहीं बना।
मंदिरों की संपत्ति तो पहले ही सरकारी कब्जे में है। सबसे ज्यादा ज़मीनों वाले चर्च और वक्फ बोर्ड को तो सरकारी नियंत्रण से मुक्त रखा गया है, लेकिन सरकार मंदिरों की जमीनें समय-समय पर, किसी न किसी बहाने से बेचती रही है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अनुसार ईसाई लड़कियाँ 'लव जिहाद' का सबसे आसान शिकार बन रही हैं। केरल की हालिया घटनाओं का जिक्र करते हुए एनआईए से जाँच की मॉंग की गई है। केरल बिशप कैथोलिक कॉन्फ्रेंस की रिपोर्ट के अनुसार 4000 ईसाई लड़कियों को प्यार के जाल में फँसाया गया और जबरन इस्लाम कबूल करवाया गया।
फुल्का ने अपनी पुस्तक में रकाबगंज गुरुद्वारा पर हमले का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि भीड़ ने गुरुद्वारा को नुक़सान पहुँचाया और 2 सिखों को ज़िंदा जला डाला। हत्यारे 5 घंटे तक उत्पात मचाते रहे और आरोप है कि कमलनाथ पूरे 2 घंटे तक भीड़ के साथ रहे।