जिस डॉक्टर के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने यह दावा किया उसने भी उसकी रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब इस मीडिया संस्थान ने किसी खबर को बेवजह मजहबी रंग देने का प्रयास किया हो।
मैग्जीन ने दावा किया था कि ICMR टास्क फोर्स को मोदी सरकार ने किनारे कर दिया है। टास्क फोर्स के अध्यक्ष विनोद पॉल ने ऑपइंडिया को बताया कि मीडिया की ऐसी हरकतों से, महामारी के इस दौर में, एक राष्ट्रीय स्तर की लड़ाई में हानि ही होती है।
विनोद कापड़ी ने जहाँ पॉलीथीन पहने एक डॉक्टर की फोटो शेयर की और दावा किया कि कोरोना से लड़ने के लिए डॉक्टरों को सिर में ये पहनना पड़ा रहा है। वहीं आगरा के डीएम ने दावा किया कि जिस डॉक्टर को देखकर वो चिंता कर रहे हैं, वो वास्तविकता में बालरोग डॉक्टर हैं। जो आइसोलेशन वार्ड में नहीं जाते।
“मंजू देवी ने अपने 5 बच्चों को भूखमरी के कारण गंगा नदी में नहीं डुबाया है।" इससे पहले भदोही पुलिस ने मंजू के घर में बने खाने का फोटो पोस्ट करते हुए लिखा था कि मंजू के घर में खाना बना है। फोटो से स्पष्ट है कि भूखमरी के कारण बच्चों को नदी में नहीं डुबाया गया है।
"यह झूठ है। कृपया ऐसे न्यूज पोस्ट न करें, जो इस संकट के समय में लोगों में दहशत पैदा करे। हमें एकत्रित होकर लड़ने की जरूरत है और इस महामारी से अवगत कर लोगों को मदद करनी चाहिए… घबराने की जरूरत नहीं है।"
तथ्य यह है कि नवाब द्वारा दान देना तो दूर, गोरखनाथ मंदिर को दो बार मुस्लिम आक्रान्ताओं द्वारा नष्ट किया गया था। सबसे पहले इसे अलाउद्दीन खिलजी ने 14वीं सदी में नष्ट किया था। जिससे यह साबित होता है कि यह मंदिर 18वीं शताब्दी से भी पहले का है। इसके बाद फिर 18वीं सदी में भी...
अब आप समझ जाइए कि जब 'ऑल्टन्यूज़' के कर्ताधर्ता ऐसे काम करते हैं तो उनका प्रोपेगेंडा पोर्टल कैसे चलाया जाता होगा। बैनर पर आमजनों और पशु-पक्षियों को खाना खिलाने की बात स्पष्ट लिखी हुई है फिर भी...