एक ट्वीट में प्रियंका ने कहा, “हिंदी सिनेमा में इसी आस्था के लोगों ने सफलता के कई कीर्तिमान गढ़े हैं, क्या उन्हें धर्म के बारे में पता नहीं है? कुछ ने जायरा के फैसले की विनोद खन्ना के उस फैसले के साथ बराबरी की है। जब विनोद खन्ना ने कहा था कि उनका धर्म उनके करियर के चुनाव करने के दौरान आड़े आ रहा है?”
यह एक विडंबना है कि ज़ायरा का यह निर्णय सिल्वर स्क्रीन पर उनके द्वारा जिए गए किरदारों के व्यक्तित्व से एकदम उलट है। ज़ायरा ने अपने संक्षिप्त करियर में सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ कर आगे बढ़ने वाली महिलाओं का किरदार निभाया है। सीक्रेट सुपरस्टार तो मुस्लिम पिता की दकियानूसी सोच के ही खिलाफ एक लड़की के ग्लैमर जगत में प्रवेश करने और सफलता पाने की ही कहानी थी।
कानपुर में ब्राह्मण समाज के सैकड़ों लोगों ने इस फिल्म का जबरदस्त विरोध किया। इस दौरान लोगों ने फिल्म और आयुष्मान के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सिनेमाघरों में लगे पोस्टरों को फाड़ दिया।
"सुनैना रोशन जिससे प्यार करती हैं, वो रुहैल अमीन पहले से ही शादी-शुदा है और उसके बच्चे भी हैं। सुनैना ने अपने विवाह को लेकर पहले ही भयंकर गलतियाँ की हैं। उनके माता-पिता यह नहीं चाहते कि वो अपने जीवनसाथी के तौर पर ग़लत निर्णय लेकर कोई और ग़लती करें।"
बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट: अगर 'कबीर सिंह' की 5 दिनों की कमाई पर नज़र डालें तो लगता है कि 200 करोड़ रुपए का नेट कलेक्शन इसकी पहुँच से दूर नहीं है। फ़िल्म को कथित इलीट वर्ग द्वारा नकारे जाने पर भी दर्शकों का भरपूर प्यार मिल रहा है।
"यार तुझे पता है जब पीरियड्स होते हैं तब उसे कितना दर्द होता है। गर्म पानी का बैग रखना होता है उसकी थाई पर वगैरह वगैरह, समझ रहा है तू मेरी बात?" बॉलीवुड में संभवतः पहली मेनस्ट्रीम फिल्म, जिसके सीन में प्रेमिका के पीरियड्स की तकलीफ और दर्द पर बात की गई लेकिन फिल्म हो गई स्त्री-विरोधी! वाह!!
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने भी कप्तान सरफराज अहमद को जमकर लताड़ लगाईं है। PCB का कहना है कि सरफराज अहमद टीम को सही दिशा में नेतृत्व और खिलाड़ियों को प्रेरित करने में नाकाम रहे हैं। ऐसे में अगर पाकिस्तान की टीम दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के खिलाफ होने वाले आगामी मैचों में भी हारती है तो सरफराज अहमद को कप्तान के पद से निकला जाना निश्चित है।
अगर टीम इंडिया मैदान में भगवा रंग की जर्सी पहनकर उतरती है, तो भगवा शब्द सुनते ही किलकारियाँ मारने वाला देश का एक बड़ा वर्ग खुद को कोड़े मारते हुए देखा जा सकता है। संसद से लेकर क्रिकेट वर्ल्डकप तक भगवाकरण होता देखना कुछ लोगों को जरूर दुःख दे सकता है।