Sunday, September 1, 2024
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ज़ायरा वसीम पर सेलेब्रिटी दो-फाड़, कोई बोले- ‘ड्रामेबाज़’, तो कोई ‘साहसी’

कनाडाई-पाकिस्तानी लेखक तारिक फतह ने पूछा कि 'इस्लाम की राह' पर ज़ायरा वसीम कितना आगे जाने वालीं हैं? बुरका और नकाब भी पहनना शुरू कर देंगी?

ज़ायरा वसीम के ‘सन्यास’ पर बॉलीवुड समेत सेलिब्रेटी, साहित्यकारों, नेताओं आदि का वर्ग पूरी तरह दो-फाड़ हो गया है। जहाँ अभिनेत्री रवीना समेत कुछ लोगों ने उनके बॉलीवुड के कथित नकारात्मक चित्रण की आलोचना की है, वहीं कुछ लोगों ने उनकी निजी ‘चॉइस’ बताते हुए उनका बचाव किया है।

‘दो फिल्म पुरानी लड़की के पुरातनपंथी विचार’

रवीना टंडन ने अप्रत्यक्ष रूप से ज़ायरा वसीम पर कटाक्ष करते हुए उन्हें ‘कृतघ्न’ कहा है। उनके अनुसार महज़ दो फिल्म पुरानी लड़की के कृतघ्न हो जाने से बॉलीवुड को कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसे लोगों को केवल शिष्टाचारपूर्वक निकल जाना चाहिए, और अपने पुरातनपंथी विचार खुद तक ही सीमित रखने चाहिए।

‘इसके बाद क्या? बुरका या नकाब?’

कनाडाई-पाकिस्तानी लेखक तारिक फतह ने पूछा कि ‘इस्लाम की राह’ पर ज़ायरा वसीम कितना आगे जाने वालीं हैं? बुरका और नकाब भी पहनना शुरू कर देंगी?

‘मूर्खतापूर्ण निर्णय… औरतों की ब्रेनवॉशिंग’

बांग्लादेशी मूल की लेखिका तस्लीमा नसरीन, जो इस्लाम के खिलाफ ‘लज्जा’ नामक किताब लिखने के बाद से फ़तवेबाजों के निशाने पर रहीं हैं, ने इसे ‘मूर्खतापूर्ण निर्णय’ करार दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि मज़हब के नाम पर औरतों की ब्रेनवॉशिंग कर उन्हें अनपढ़ से लेकर सेक्स गुलाम तक रखा जाता है।

‘टैलेंट न हो तो आमिर खान भी स्टार नहीं बना सकता’

ज़ायरा के खिलाफ बयान देने तो केआरके भी उतर आए। ज़ायरा की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि ज़ायरा के पास प्रतिभा नहीं है, और वह ड्रामेबाज़ हैं।

‘लिबरल’ वर्ग की हैरतअंगेज़ प्रतिक्रिया

खुद को ‘प्रगतिशील’ और अपने से भिन्न राय रखने वालों को एक लाइन से दकियानूसी संघी करार देने वाले लिबरल वर्ग की प्रतिक्रिया इस मामले में हैरतअंगेज़ है। जहाँ बहुत सी शख्सियतों ने मुँह बंद रखना ही सही प्रतिक्रिया समझी, वहीं कुछ अन्य तो उनके बॉलीवुड को इस्लाम से असंगत बताने के समर्थन में ही उतर आईं।

कॉन्ग्रेस की फ़िलहाल स्टार कैम्पेनर और 2014 में लोकसभा प्रत्याशी (और मुस्लिम) नगमा ने लिखा कि ज़ायरा वसीम ‘साहसी लड़की’ हैं, जिन्होंने (ऐसा कर) ‘रूढ़िवादी छवि को तोड़ कर दिखाया है’।

मिंट की स्तम्भकार और हारवर्ड की प्रतिष्ठित 2020 नीमैन फेलोशिप जीतने वाली अशवाक मसूदी ने तो मामले को मज़हब से उठाकर लैंगिक भेदभाव का मुद्दा बनाने की कोशिश कर डाली।

कॉन्ग्रेस ‘फैन’ ज़ैनाब सिकंदर ने इसे नुसरत जहां के सिन्दूर से जोड़ कर प्रतिक्रिया को इस्लाम के खिलाफ किसी साजिश के तौर पर पेश करने की कोशिश की।

मामले में समाजवादी पार्टी के लोक सभा सदस्य एसटी हसन भी कूद पड़े। उन्हें ‘अंग-प्रदर्शन’ और ‘सेक्स-अपील वाला’ कुछ भी दिखाए जाने को गैर-इस्लामिक करार दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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