Thursday, October 10, 2024

भारत की बात

26 जनवरी स्पेशल: अशोक स्तम्भ का इतिहास, जो बना हमारा राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न

सम्राट अशोक द्वारा बनवाए गए इन सभी स्तम्भों की अनेकों ख़ासियतों में एक ख़ास बात यह है कि इनकी चमकदार पॉलिश आज भी वर्षों बाद भी बरक़रार है।

भारत के इतिहास में पहला जौहर करने वाली उत्तराखंड की जिया रानी

लूटेरे तैमूर ने एक टुकड़ी आगे पहाड़ी राज्यों पर भी हमला करने के लिए भेजी, जब ये सूचना जिया रानी को मिली तो उन्होंने फ़ौरन इसका सामना करने के लिए कुमाऊँ के राजपूतो की एक सेना का गठन किया।

वो मुग़ल बादशाह, जो बेटे की याद में रोते-रोते मरा… जबकि बेटा था ‘इस्लाम का दूत’

1666 में वो आज की ही तारीख़ थी, जब आगरा के किले में नज़रबंद एक बूढ़े मुग़ल बादशाह ने आख़िरी साँस ली थी। मौत के वक़्त उसके सारे कुकर्म लौट कर वापस उसके ही पास आए और इतिहास ने अपने-आप को फिर से दोहराया।

कुम्भ 2019: ख़ास आकर्षण, जो जीवन भर नहीं भूलेंगे आप!

'पेशवाई' प्रवेशाई का देशज़ शब्द है, जिसका अर्थ है शोभायात्रा, जो विश्व भर से आने वाले लोगों का स्वागत कर कुम्भ मेले के आयोजन को विश्व पटल पर सूचित करने के उद्देश्य से निकाली जाती है

जानिए कुम्भ को: शंकराचार्य ने संगठित किया, सम्राट हर्षवर्धन ने प्रचारित

कुम्भ मेला का मूल को 8वीं सदी के महान दार्शनिक शंकर से जुड़ती है। जिन्होंने वाद विवाद एवं विवेचना हेतु विद्वान सन्यासीगण की नियमित सभा परम्परा की शुरुआत की थी।

‘दलित’ महामंडलेश्वर कन्हैया प्रभुनंद गिरि ने धर्मान्तरित दलितों से घर वापसी की अपील की

जूना अखाड़े में बड़ी संख्या में दलित जाति के पुरुष और महिला संत पहले से हैं। इनमें से आठ को महामंडलेश्वर की उपाधि भी दी गई है। जिनमें पाँच पुरुष और तीन महिला महामंडलेश्वर हैं।

कैसे शुरू हुआ कुम्भ, क्या कहते हैं पुराण, क्यों है इसका इतना महत्व

आज की पीढ़ी के लिए इतना बड़ा आयोजन शायद फ़िज़ूल लग सकता है क्योंकि युवाओं की एक बड़ी संख्या अपने धर्म-संस्कृति एवं परम्पराओं के इतिहास से वंचित है।

राहुल गाँधी का इस्लाम और शांति: अक़बर और नरमुंडों का पहाड़ (भाग-1)

युद्ध के बाद दिल्ली में खोपड़ियों का एक इतना बड़ा टावर खड़ा किया गया जिसे पूरी दिल्ली देख सके। नरमुंडों का एक इतना विशाल ढेर, जिसे देख कर नृशंसता भी हज़ार बार काँपे।

उत्तिष्ठत जाग्रत: ज्ञान रूपी अस्त्र के हिमायती थे स्वामी विवेकानंद

हम information warfare में इतना पीछे हैं कि अपने एक राज्य जम्मू कश्मीर के बारे में भी सही सूचना देश को नहीं दे पाते।

बेटे की बलि देने वाले अकेले नहीं थे हज़रत इब्राहीम; जानिए वीर माधो सिंह की अमर गाथा

पहाड़ का सीना चीरकर नदी का पानी 'कूल' (सुरंग) बनाकर अपने गाँव मलेथा तक लेकर आने का काम महान योद्धा माधो सिंह भण्डारी ने किया था

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