"इस्लामाबाद में भी धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ कभी हिंसा, नरसंहार, असाधारण हत्या, अपहरण, बलात्कार, धर्म परिवर्तन जैसे मामलों के रूप में भेदभाव होता हैं। जिनमें पाकिस्तानी हिंदू, ईसाई, सिख, अहमदिया और शिया उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों में से एक हैं।"
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रशिया टुडे को दिए इंटरव्यू में स्वीकारा है कि 1980 में अफगानिस्तान में जिहाद की आग फ़ैलाने वाले मुजाहिदीनों को पैसा भले CIA से मिला हो, लेकिन उन्हें खाद-पानी देकर सींचने का काम इस्लामाबाद ने ही किया था।
"अगर इमरान खान को समर्थन मिला होता तो अब तक ये सबको पता चल चुका होता, क्योंकि वो UNHRC की कोई गुप्त बैठक नहीं थी। पाकिस्तान का समर्थन करने वाले देशों के जॉइंट स्टेटमेंट की जो सूची वो जारी करने वाले हैं, वैसी कोई सूची अभी तक हमें नहीं मिली है।"
पाकिस्तान के गृह मंत्री ने कबूल किया है कि इमरान खान की सरकार अब आतंकियों को मुख्यधारा में शामिल कराएगी। क्योंकि ये आतंकी उनके कहने पर अफगानिस्तान में लड़े थे और ये उनकी जिम्मेदारी है कि अब वो उन आतंकियों को नौकरी और पैसे दें।
एजेंसी ने खुलासा करते हुए बताया था कि कोड वर्ड्स POK के नियंत्रण रेखा के पास लगाए गए FM ट्रांसमिशन के जरिए भेजे जाते हैं। इसमें जैश-ए-मोहम्मद के लिए (66/88) MHz, लश्कर-ए-तैयबा के लिए (ए3) और अल बद्र के लिए (डी 9) बैंड्स रखे गए हैं।
पाकिस्तान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री चौधरी फवाद हुसैन एक बार फिर से अपनी बात के कारण चर्चा का विषय बने हैं। दरअसल, उन्होंने एक ट्वीट में माना है कि हर फिदायीन हमले में मदरसे का ही छात्र शामिल होता है।
"लड़की और हसन के परिवारों ने एक लिखित समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें उन्होंने मामले को आपस में सुलझाने की बात कही है। लड़की के परिवार ने हसन और उसके परिवार के सदस्य एवं मित्रों के खिलाफ सभी आरोप वापस ले लिए हैं, इसलिए उनके खिलाफ प्राथमिकी रद्द हो गई है।"
सेरिंग ने साफ किया था कि गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग हिंदुस्तानी नागरिक हैं। उन्होंने पाकिस्तान के ज़मीन या लोगों पर किसी भी तरह के अधिकार को नकार दिया था।
यूएन ने बार-बार पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे को उछालने पर कहा है कि दोनो देशों को शांतिपूर्ण तरीके से इस मामले का समाधान ढूँढना होगा। इस पर उनकी ओर से मध्यस्ता का अभी कोई विचार नहीं हैं।
भारतीय राजनयिक हर्षवर्धन श्रृंगला ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह एक अराजकतावादी प्रावधान था, जिससे अर्थव्यवस्था का दम घुट रहा था और पाकिस्तानी आतंकवाद को बढ़ावा मिल रहा था।