Saturday, May 17, 2025
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यूपी उपचुनाव भाजपा के लिए मौका, पिछली बार 9 में से 5 सीट नहीं जीत पाई थी, गणित बदलने से हो सकता है फायदा: इस बार RLD भी साथ, जानें पूरा समीकरण

जिन सीटों पर उपचुनाव हो रहा है, उनमें से आधे से ज्यादा भाजपा पिछले चुनावों में नहीं जीत पाई थी। इसके अलावा यह उपचुनाव, लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को सही करने का एक मौका भी होगा।

झारखंड और महाराष्ट्र के साथ ही उत्तर प्रदेश में भी सियासी पारा चढ़ा हुआ है। यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर वर्तमान में उपचुनाव चल रहा है। इनमें से अधिकांश सीटें विधायकों के सांसद बनने के कारण खाली हुई हैं। यह उपचुनाव सत्ताधारी भाजपा के लिए एक मौके की तरह सामने आया है।

यूपी की जिन सीटों पर उपचुनाव हो रहा है, उनमें से आधे से ज्यादा भाजपा पिछले चुनावों में नहीं जीत पाई थी। इसके अलावा यह उपचुनाव, लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को सही करने का एक मौका भी होगा। हाल ही में इन उपचुनाव के लिए वोटिंग की तारीख भी बदली गई है। इससे पहले 13 नवम्बर, 2024 को इन सीटों के लिए मतदान होना था जबकि अब यह 20 नवम्बर को होगा।

पिछली बार क्या था हाल, इस बार कौन आगे?

गाजियाबाद: यूपी उपचुनाव में महानगर गाजियाबाद की सदर सीट भी शामिल है। यह सीट भाजपा के विधायक अतुल गर्ग के सांसद बनने के चलते खाली हुई है। इस सीट पर भाजपा ने संजीव शर्मा को अब टिकट दिया है। सपा ने उनके सामने राज सिंह जाटव को उतारा है। 2022 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहाँ बम्पर वोट बटोरे थे।

यहाँ भाजपा को 60% से अधिक वोट मिले थे। वहीं सपा के विशाल वर्मा को मात्र 18% जबकि बसपा के कृष्ण कुमार तीसरे नम्बर पर 13% वोट के साथ थे। भाजपा के लिए गाजियाबाद की सीट ज्यादा कठिन नहीं लग रही। बसपा ने यहाँ परमान्द गर्ग को उम्मीदवार बनाया है लेकिन भाजपा सांसद अतुल गर्ग के प्रभाव के चलते वैश्य वोट पर फर्क की बड़ी संभावना नहीं दिखती।

मीरापुर: मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर सीट पर भी उपचुनाव हो रहा है। यह सीट भी रालोद के विधायक चंदन चौहान के बिजनौर लोकसभा सीट से सांसद बनने के कारण खाली हुई है। यहाँ 2022 में भाजपा को हार झेलनी पड़ी थी। तब रालोद, सपा के साथ गठबंधन में थी।

भाजपा यहाँ तब दूसरे नम्बर पर रही थी और उसे लगभग 37% वोट मिले थे। इस बार के उपचुनाव में यह सीट भाजपा ने रालोद को ही दी है। रालोद ने यहाँ से मिथिलेश पाल जबकि सपा ने सुम्बुल राणा को टिकट दिया है। वह पूर्व बसपा सांसद कादिर राणा की बहू हैं। बसपा ने यहाँ शाहनजर को टिकट दिया। ऐसे में यहाँ मुस्लिम वोट बंट सकता है जिससे RLD फायदे में रहेगी।

कुंदरकी: यूपी उपचुनाव में मुरादाबाद जिले की कुंदरकी विधानसभा भी हॉट सीट है। यह सीट सपा विधायक जिया उर रहमान के संभल से सांसद बनने के चलते खाली हुई है। इस सीट पर भाजपा को 2022 चुनाव में हार झेलनी पड़ी थी। भाजपा उम्मीदवार कमल कुमार को 30% वोट मिले थे।

कुंदरकी सीट पर भाजपा ने रामवीर सिंह ठाकुर को उतारा है जबकि उनके सामने सपा के हाजी रिजवान हैं। यह सीट मुस्लिम बहुल है। यहाँ पर लगभग 60% से अधिक आबादी मुस्लिम है। यहाँ बसपा ने रफतउल्ला को उतारा है। भाजपा यहाँ अभी टक्कर ले रही है। यदि मुस्लिम वोटों में बिखराव होता है, तो भाजपा यह सीट जीत भी सकती है।

खैर: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा बृज क्षेत्र में अलीगढ़ जिले की खैर सुरक्षित सीट पर भी उपचुनाव होना है। खैर सीट पर 2022 में भाजपा ने जीत हासिल की थी। 2022 में जीतने वाले अनूप प्रधान वाल्मीकि अब सांसद बन चुके हैं। भाजपा ने इस बार सुरेन्द्र सिंह दिलेर जबकि सपा ने चारू कैन को उतारा है। बसपा ने यहाँ डॉ पहल सिंह को उतारा है।

इस सीट पर भाजपा मजबूत दिख रही है। पिछले चुनाव में भी उसे 50% से अधिक वोट मिले थे। यहाँ जाट समुदाय के वोट अहम हैं। भाजपा के साथ इस चुनाव में RLD है जिसके कारण भाजपा को फायदा हो सकता है। इस सीट पर सपा-बसपा के बीच वोटों का बंटवारा भाजपा को और भी बढ़त दिला सकता है।

करहल: मैनपुरी जिले की करहल सीट भी विधायक अखिलेश यादव के सांसद बनने के कारण खाली हुई है। यह सीट सपा का गढ़ रही है। 2022 विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने यहाँ से मंत्री एसपी सिंह बघेल को उतारा था। वह इस सीट पर ठीकठाक वोट पाने में सफल रहे थे।

यहाँ लड़ाई परिवार के भीतर ही है। भाजपा ने अनुजेश यादव जबकि सपा ने परिवार से ही तेजप्रताप यादव को उतारा है। दोनों के बीच फूफा-भतीजे का रिश्ता है। भाजपा इसके चलते यादव वोट में सेंध लगाना चाहती है। उसे गैर यादव वोट में अच्छी बढ़त हासिल है। दोनों फैक्टर अगर काम कर गए तो यहाँ इतिहास बदल भी सकता है।

सीसामऊ: यूपी उपचुनाव में कानपुर की सीसमाऊ सीट भी शामिल है। यह सीट सपा विधायक इरफ़ान सोलंकी की विधायकी रद्द होने के चलते खाली हुई है। इरफ़ान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी यहाँ से सपा की उम्मीदवार हैं। भाजपा ने नसीम सोलंकी के सामने सुरेश अवस्थी को उतारा है। अवस्थी 2017 में इरफ़ान के हाथों मात्र 5500 वोट से हारे थे।

इस सीट पर वीरेंद्र कुमार शुक्ला को उतारा है। बसपा की रणनीति है कि यहाँ ब्राम्हण वोटों में सेंध लगाई जाए। इस सीट पर 2022 में भाजपा उम्मीदवार लगभग 43% वोट पाए थे। इस बार इरफ़ान सोलंकी के खुद चुनाव में ना होने चलते उनकी पत्नी की स्थिति कमजोर हो सकती है।

फूलपुर: प्रयागराज जिले की फूलपुर सीट विधायक प्रवीण पटेल के सांसद बनने के चलते खाली हुई है। भाजपा ने यहाँ दीपल पटेल जबकि सपा ने मुजतबा सिद्दीकी को उतारा है। बसपा ने यहाँ जितेन्द्र सिंह को उतारा है। फूलपुर में भाजपा ओबीसी वोटर को लामबंद करने में लगी हुई है। यहाँ भाजपा हिन्दू वोट बंटने नहीं देना चाहती जबकि सपा मुस्लिम वोट जुटाने में लगी है।

कटेहरी: यूपी विधानसभा उपचुनाव में अम्बेडकर नगर की कटेहरी सीट भी है। यह एक हाई प्रोफाइल सीट है। कटेहरी विधानसभा सपा विधायक लालजी वर्मा के सांसद बनने के चलते खाली हुई है। सपा ने यहाँ लालजी वर्मा की पत्नी सोभावती वर्मा को उतारा है। लालजी वर्मा सपा के बड़े चेहरे हैं। भाजपा ने यहाँ धर्मराज निषाद जबकि बसपा ने अमित वर्मा को उतारा है।

2022 विधानसभा चुनाव में भाजपा की सहयोगी NISHAD पार्टी ने यहाँ अच्छे वोट बटोरे थे। इस बार भाजपा को यहाँ बढ़त है। एक तो कुर्मी वोटों में यहाँ बंटवारा सपा-बसपा के बीच हो रहा है। वहीं भाजपा ने निषाद उम्मीदवार देकर बढ़त बना ली है।

मंझवा: जिला मिर्जापुर की सीट मंझवा भी 2022 में NISHAD पार्टी से विधायक बने रमेश बिंद के जीतने के बाद खाली हुई है। भाजपा ने 2017 में यहाँ से जीती सुचिस्मिता मौर्या को उम्मीदवार बनाया है। वहीं सपा ने बढ़त लेने के लिए यहाँ से ज्योति बिंद को उतारा है। बसपा ने ब्राम्हण वोट बटोरने के लिए दीपक तिवारी को टिकट दिया है।

2022 चुनाव में भी बिंद और ब्राम्हण वोटों में बंटवारा हुआ था। इस बार भाजपा चाहती है कि वह ओबीसी और ब्राम्हण वोट जुटा ले, जिससे उसको बढ़त हासिल हो।

इन सभी सीटों पर 20 नवम्बर, 2024 को वोटिंग होगी। इनके अलावा अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर भी उपचुनाव होना है, इसकी अभी तारीख घोषित नहीं हुई है। यह सीट 2022 में सपा के खाते में गई थी। इस सीट के विधायक अवधेश कुमार 2024 में फ़ैजाबाद लोकसभा सीट से सांसद बने हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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