अपने देश में सुन्नी समुदाय से उत्पीड़न का सामना करते हुए, अहमदिया सम्प्रदाय के शरणार्थी पाँच साल पहले पाकिस्तान से भागकर यहाँ आए थे। इन शरणार्थियों को यहाँ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की मदद से बसाया गया है।
यूएनपी सांसद आशु मारासिंघे ने कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए श्रीलंका में बुर्के पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक निजी सदस्य विधेयक लाने की योजना बना रहे हैं।”
IS की प्रोपेगैंडा एजेंसी AMAQ द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, "श्री लंका में ईसाईयों और अमेरिका के समर्थक देशों के नागरिकों को जिन्होंने मारा है, वो इस्लामिक स्टेट के लड़ाके हैं।"
इन नेताओं ने क्राइस्टचर्च हमले के वक़्त ख़ासकर 'मुस्लिम समाज' के प्रति अपनी संवेदनाएँ दिखाई थी और उसे आतंकी वारदात भी कहा था। थेरेसा मे ने जहाँ क्राइस्टचर्च हमले को एक 'भयानक आतंकी हमला बताया था वहीं श्री लंका में हुए बम ब्लास्ट्स को 'हिंसा की वारदात बताया।
लश्कर लगातार भारत को चारों ओर से घेरने की कोशिश में पड़ोसी देशों में अपना आधार मज़बूत करने के लिए बेस कैम्प बनाता रहा है। श्री लंका में भी उसने ऐसा ही किया। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि लश्कर के इन प्रयासों से स्थानीय आतंकी संगठन तोहीद को मदद मिली हो।
बैस्टियन मवाता के निजी बस अड्डे में यह डेटोनेटर पेटा की स्थानीय पुलिस ने बरामद किए हैं। उन्हें पहले तो केवल 12 डेटोनेटर बस स्टैंड के अन्दर से मिले। पर फिर वहाँ पर पड़े कूड़े के ढेर को हटाने पर पुलिस ने 75 डेटोनेटर और बरामद किए।
2016 में ख़बर आई थी कि 32 अच्छी तरह शिक्षित और समृद्ध मुस्लिमों ने ISIS जॉइन किया है। इस वर्ष स्थानीय इस्लामिक आतंकी संगठन तोहिथ जमात के मुस्लिमों से विस्फोटक सामग्रियाँ ज़ब्त की गई। श्रीलंकाई मुस्लिमों ने समाज सुधारने की बजाए सरकार पर ही आरोप लगा दिए।