राम मंदिर की अहमियत नए मंदिर से नहीं, बल्कि पाँच सौ साल पहले टूटे मंदिर से समझिए, जब हमारे पूर्वज ग्लानि से डूबे होंगे। आपका सहयोग, उनको तर्पण देने जैसा है।
मोदी समर्थकों की भीड़ से समस्या, आंदौलनकारी किसानों, बुर्कावालियों की भीड़ से प्रेम? भारतीय कोवैक्सिन से दिक्कत, कोवीशील्ड से प्रेम? कैसे कर लेते हैं बकैताधीश?
न सिर्फ अराजकतावादी लोगों को अब ये कहने का मौका मिल गया है कि संसद द्वारा पारित कानून गलत है, बल्कि आगे अब किसी के पास 2000 की भीड़ हो तो वो सरकारों को झुका सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने संसद से बनाए कानून पर रोक लगाने की बात कही है, ऐसे में यह देखना है कि क्या यह न्यायपालिका द्वारा विधायिका के कार्यक्षेत्र का अतिक्रमण नहीं है?