उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दिनदहाड़े कमलेश तिवारी की हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड को उनके दफ़्तर में ही अंजाम दिया गया। हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी ‘हिन्दू समाज पार्टी’ के संस्थापक-अध्यक्ष थे। साथ ही वह हिन्दू महासभा के भी सक्रिय सदस्य थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान कमलेश तिवारी राम मंदिर मामले में पक्षकार भी थे। इस मामले में पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ़्तार किया है, जिनके नाम मोहसिन शेख, राशिद अहमद ख़ान और फैज़ान शेख हैं। जाँच की आँच सूरत तक पहुँची और गुजरात एटीएस ने यूपी एसटीएफ के साथ मिल कर मामले में कार्रवाई की। शुक्रवार (अक्टूबर 18, 2019) को देर रात ख़ुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी पुलिस को तेज़ी से कार्रवाई करने का आदेश दिया।
इस दौरान सबकी नज़रें मीडिया पर भी टिकी थीं। हिज़्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों को ‘कार्यकर्ता’ बताने वाला एनडीटीवी कमलेश तिवारी की हत्या वाली ख़बर में उन्हें ‘कट्टरवादी हिन्दू नेता’ बताना नहीं भूला और जानबूझ कर उनकी एक ग़लत पहचान बनाने की कोशिश की। इस दौरान हमारी नज़रें एनडीटीवी के शो ‘प्राइम टाइम’ पर भी गईं, जहाँ वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार मेक्सिको और अमेरिका के झगड़े पर बात करते रहे। डोनाल्ड ट्रम्प से लेकर मानव तस्करी तक, रवीश कुमार ने इस मुद्दे को मथ कर रख दिया लेकिन पूरे ‘प्राइम टाइम’ के दौरान उन्हें कमलेश तिवारी पर बात करने के लिए एक मिनट भी नहीं मिला। एनडीटीवी और रवीश से यही उम्मीद भी थी।
ये वही रवीश कुमार हैं, जिन्होंने पहलु ख़ान की हत्या पर न जाने कितनी बार ‘प्राइम टाइम’ किया होगा। यहाँ तक कि जिस दिन इस मामले में आरोपितों को बरी किया गया, उस दिन भी रवीश कुमार ने लगातार इस ख़बर को चलाया और अपने शो में इसी पर बात करते रहे, इसे लेकर समाज और सरकार को घेरते रहे। यहाँ तक कि एक-दो घटनाओं से ‘विचलित’ रवीश ने मॉब लिंचिंग पर कई शो किए, कई लेख लिखे और न जाने कितनी बार ऐसी ख़बरों को बार-बार दिखाया। पहलु ख़ान की जिस दिन हत्या हुई, जिस दिन सुनवाई पूरी हुई और जैसे-जैसे इस मामले में डेवलपमेंट्स आते गए, रवीश कुमार सक्रियता से अपने ‘प्राइम टाइम’ में इसे दिखाते गए।
Kamlesh Tiwari a Hindu is killed. Do you know Rajdeep Sagarika Barkha Nidhi Saba Rana Shehla Shabnam Arfa Zainab Rifat Ravish Kumar Shekhar Nikhil John Prakash Raj NDTV NIMN Awards Wapsi Naseerudin Owaisi Tasleem Rehmani Mahmud Pracha Kamal Hassan? Complete Paralysis. Shame.
— Ravi Rai (@Raviravirai) October 18, 2019
हालाँकि, यह मीडिया संस्थान की स्वतंत्रता है कि वो चुने गए ख़बर को दिखाए, या फिर किसी ख़बर को जरा सा भी स्पेस न दे। लेकिन, जब यही प्रक्रिया लगातार एक ख़ास विचारधारा के समर्थन में चलती रहती है तो उस मीडिया संस्थान या पत्रकार को ख़ुद को न्यूट्रल कहने का भी हक़ नहीं है। कुछ ऐसा ही रवीश के मामले में है। वो किन ख़बरों को चुनते हैं और किन ख़बरों को छाँट देते हैं, यह जगजाहिर हो चुका है। जैसे, उन्होंने मॉब लिंचिंग ब्रिगेड का साथ देते हुए ‘जाति-धर्म को लेकर हिंसा पर क्यों उतर आते हैं लोग’ जैसे सवाल पूछते हुए ‘प्राइम टाइम’ किया लेकिन कमलेश तिवारी पर न तो उनका फेसबुक पोस्ट आया और न ही उन्होंने इस पर कोई लेख लिखा।
कमलेश तिवारी की हत्या के बाद भारी विरोध प्रदर्शन भी हुआ। सोशल मीडिया पर लोगों का आक्रोश दिखा। कई मौलवियों के वीडियो वायरल हुए। उन मौलवियों ने कमलेश तिवारी की हत्या की धमकी दी थी। रवीश कुमार इन सब से दूर रहें। वो कैसी बातें कर रहे थे? एक तरह से यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि वो ‘गोबर से खाद बनाने की विधि’ बता रहे थे। रवीश बता रहे थे कि कैसे मेक्सिको और अमेरिका में झगड़ा चल रहा है, जिस कारण 300 से भी अधिक भारतीयों को मेक्सिको ने वापस भेज दिया है। वो बता रहे थे कि ये सब वहाँ अवैध रूप से रह रहे थे और उन्हें भारत भेजने का अमेरिका ने स्वागत किया है जबकि हमारी सरकार की तरफ़ से कोई बयान नहीं आया है।
रवीश कुमार ने जम्मू कश्मीर को लेकर भी ख़ासा रट लगाया था। उन्होंने बार-बार दोहराया था कि वहाँ इंटरनेट न होने से विद्यार्थी परीक्षा के फॉर्म नहीं भर पा रहे हैं। ‘नौकरी सीरीज’ से ख़ुद को युवाओं का हितैषी दिखाने वाले रवीश यह कहते रहे और उधर जम्मू-कश्मीर में ग्रेनेड अटैक भी हो गया। कुछ ऐसा इस मामले में भी है। रवीश बेख़बर हैं नहीं बल्कि ख़ुद को बेख़बर दिखा रहे हैं। ख़ुद यूपी के डीजीपी ने मीडिया को सम्बोधित किया। लेकिन, रवीश के कानों पर जूँ तक न रेंगी। हो सकता है शायद वो इस बात का इंतजार कर रहे हों कि इस मामले में कोई ऐसा एंगल निकले, जिससे आक्रोशित लोगों को ‘आइना दिखाया जा सके।’
लेकिन, रवीश की यह ‘मनोकामना’ सफल नहीं हुई क्योंकि पुलिस ने इस केस को सुलझाने का दावा किया है और गुजरात एवं यूपी की पुलिस ने संयुक्त रूप से कार्य कर के इस हत्या विवाद को सुलझाया। एनडीटीवी लिखता है कि वो भारत का सबसे निष्पक्ष और विश्वसनीय चैनल है लेकिन उसकी निष्पक्षता की पोल तब खुल जाती है जब रवीश किसी बड़ी घटना को सिर्फ़ और सिर्फ़ इसीलिए नज़रअंदाज़ कर देते हैं क्योंकि आरोपित या दोषी मुस्लिम है। यह ‘मॉब लिंचिंग हथकंडे’ में फिट नहीं बैठता। फ़िलहाल, कमलेश तिवारी की हत्या के बाद मीडिया के बड़े वर्ग का सली चेहरा फिर से उजागर हो गया है। देखना यह है कि अब कब तक रवीश जैसे पत्रकार इससे नज़रें छिपा कर चलते हैं?