कुछ समय पहले बॉलीवुड के कई आला लोग प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात करने गए थे। मीडिया में बात फैली कि ये लोग बॉलीवुड की समस्यायों पर बात करने गए थे, लेकिन गुप्त और सुषुप्त सूत्रों से पता चला है कि मोदी ने उन्हें राम मंदिर निर्माण हेतु चंदा माँगने एवं श्री राम भगवान के जीवन चरित्र पर लगातार कई फ़िल्में बनाने की बात कही थी।
इसी कारण कल शाम मीडिया और सोशल मीडिया में एक तस्वीर घूमती नज़र आई, जिसमें मोदी जी के साथ बॉलीवुड के दिग्गज लोग खड़े थे, और कामपंथी माओवंशी गिरोह की उम्मीदों के विपरीत सारे लोग ख़ुश नज़र आ रहे थे। लोगों को पिछली मुलाक़ात से इसका संबंध बिठाने में बहुत समस्या हो रही है लेकिन गुप्त सूत्रों की ख़बर को याद किया जाए तो ये मुलाक़ात और इसके पीछे की ‘सच्ची तस्वीर’ सामने आ जाती है।
आपलोग जो तस्वीर लगातार देख रहे हैं वो चर्च द्वारा फ़ंड पानेवाले वामपंथियों की साज़िश है, जो भले ही हर जगह से जनता द्वारा लतियाकर सत्ता से बाहर किए जा रहे हैं, लेकिन अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहे। इनके आईटी सेल के कामरेड प्रकाश ने सबसे पहले सारे रामभक्तों के सर से ‘जय श्री राम’ की चुन्नी फोटोशॉप के ज़रिए मिटा दी है।
लेकिन सत्य को बहुत ज़्यादा दिनों तक छुपाया नहीं जा सकता। ट्विटर यूज़र कृष्णा ने भगवान कृष्ण की तरह रीवर्स इमेज मैनिपुलेशन के ज़रिए असली तस्वीर मीडिया का सामने ला दी, जो कि आप सबसे ऊपर देख सकते हैं। जब से यह तस्वीर सामने आई है, तब से दोनों ही पक्ष की मीडिया – निष्कच्छ एवं निष्पक्ष – ने इसे अपने तरीके से बताना शुरू कर दिया।
सबसे पहले तो छद्म नारीवादियों ने ‘राम’ का मुद्दा दरकिनार करते हुए महिलाओं की गिनती शुरू कर दी और उसकी कमी पर दोबारा प्रश्न उठाया। महिलाओं को पुरुषों के साथ खड़े होने की जगह, उन्हें एक साइड में ‘रख देना’ भी पितृसत्तात्मक सोच और ऑब्जेक्टिफ़िकेशन का नमूना है। हमारे संवाददाता ने जब इनसे राहुल गाँधी की रक्षामंत्री पर की गई टिप्पणी पर बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कहा, “अरे याँर, उसके डिम्पल कितने क्यूट पड़ते हैं नाँ!”
ट्विटर पर तो इस तस्वीर का इतना पोस्टमार्टम हो रहा है कि लोग भ्रम में हैं कि असली तस्वीर है कौन। वैसे वामपंथी चिरकुटों में लगातार अविश्वास दिखानेवाली जनता को सत्य तक पहुँचने में ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी क्योंकि अगर कृष्ण नाम का व्यक्ति कुछ कह रहा है तो उसे सच मान लेना चाहिए।
छद्मनारीवादियों के बाद राहुल (सुरक्षा कारणों से बदला हुआ नाम) नाम के विशुद्ध वामपंथी व्यक्ति ने कहा कि नरेंद्र मोदी को छोड़कर बाक़ी हर व्यक्ति के बाल काले हैं जिसका सीधा अर्थ यह है कि वे लोग वहाँ मोदी की नीतियों का विरोध करने गए थे। फिर किसी ने यह पूछा कि वो सब ‘जय श्री राम’ और ‘बोल बम’ की चुन्नियाँ सर पर बाँधे, दाँत निपोड़कर सेल्फ़ी क्यों ले रहे हैं? राहुल ने बताया कि उनके पास माओ द्वारा सत्यापित वामपंथी सर्टिफ़िकेट है और वो माओ की कसम खाकर झूठ नहीं बोलते, “भैया, जब एसपीजी के लोग चारों तरफ़ से एके सैंतालीस ताने खड़े हों, तो आदमी क्या, पेड़-पौधे भी मुस्कुराते हैं।”
इसी तस्वीर पर चर्चा आगे बढ़ाते हुए नाराजदीप नामक पत्रकार ने कहा कि उन्हें इसी तस्वीर में मौजूद किसी एक्टर ने फोन करके बताया कि ‘जय श्री राम’ की चुन्नी तो करन जौहर ने ले जाने को कहा था क्योंकि अमित शाह बिना चुन्नी देखे और ₹151 का चंदा लिए मोदी जी से मिलने नहीं देते। उसी एक्टर के हवाले से नाराजदीप ने आगे बताया कि उस एक्टर ने एहतियात के तौर पर एक चुन्नी एक्सट्रा रख ली थी कि कहीं खो गया तो इस्तेमाल कर लेंगे।
फिर जो हुआ, वो अप्रत्याशित था। एक्टर ने मोदी जी को सेल्फ़ी लेने से पहले चुन्नी सर पर बाँधने के लिए दी तो मोदी जी ने वैसे ही लौटा दी जैसे वो समुदाय विशेष की ‘मजहबी टोपी’ को पहनने से इनकार कर देते हैं। पत्रकार शिरोमणि ने इस बात का सीधा मतलब यह बताया कि चुनावों से पहले मोदी अपनी पैठ समुदाय विशेष में बनाना चाहते हैं और यही कारण है कि वो सेकुलर छवि बनाने के चक्कर में मन मसोसकर इस तस्वीर में मुस्कुरा रहे हैं।
‘तीन तलाक़’ जैसे चुनावी जुमलों के बाद ‘जय श्री राम’ की चुन्नी ना बाँधना मुस्लिमों को मूर्ख बनाने की एक नाकाम कोशिश है। जब पूछा गया कि ‘तीन तलाक़’ चुनावी जुमला क्यों है तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एडिटर्स गिल्ड में ये फ़ैसला लिया गया है कि मोदी की हर बात पर ‘चुनावी जुमला’ कह देना उनका सम्पादकीय धर्म है।
वहीं मीडिया के दूसरे हिस्से ने इस तस्वीर को देखकर माननीय मोदी जी को एक ‘कम्प्लीट स्टेट्समैन’ कहते हुए कहा कि मोदी ने लगातार दिल लूटते हुए पीएमओ के ‘हार्ट बैंक’ में कई लाख दिल और जमा करा लिए हैं, जिसका ट्रान्सप्लांट हेतु इस्तेमाल किया जाएगा। इस हिस्से की मीडिया का कहना है कि मोदी जी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद तमाम धार्मिक बातों से दूरी बनाई है क्योंकि ‘मोदी’ भले ही हिन्दू हो सकता है, लेकिन ‘प्रधानमंत्री मोदी’ एक सेकुलर व्यक्ति है। प्रधानमंत्री का बिना ‘जय श्री राम’ बाँधे तस्वीर में मुस्कुराना बताता है कि वो सभी मतों का सम्मान करते हैं, और सुप्रीम कोर्ट जजमेंट आने के बाद ही, इस पर कोई फ़ैसला लेंगे।
कौन जात कुमार ने इसको अपने प्राइम टाइम में कवर करते हुए सतहत्तर मिनट के इंट्रो में मोदी की आँखों की काली पुतली के ओरिएंटेशन पर ध्यान दिलाते हुए कहा है कि उनके दिल में तो ‘जय श्री राम’ था ही क्योंकि पुतलियाँ इस बार कैमरे से ज़्यादा चुन्नियों की तरफ़ थी, लेकिन कैमरामैन (जिस पर डिसअप्रूव लाठी नामक यूट्यूब यूज़र के मुताबिक़ साढ़े तीन करोड़ का ख़र्च करती है पीएमओ) को सख़्त निर्देश थे कि मोदी की भटकती पुतलियों के बीच वो ऐसा शॉट ले ले, जिसमें वो सीधा देख रहे हों।
इस पर हर बात के विशेषज्ञ अभय ले डूबे ने कहा, “इस तरह से सत्ता का गलत इस्तेमाल बताता है कि देश में कोई भी सुरक्षित नहीं है। कैमरामैन को ऐसे धमकाकर काम करवाना किसी भी तरह से ‘अच्छे दिन’ जैसा तो नहीं है। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ मोदी इस बार कैमरे में तो नहीं ही देख रहे थे। ये तस्वीर पीएमओ द्वारा फोटोशॉप की गई है और फोटोशॉप एक्सपर्ट की कोई वैकेंसी भी नहीं निकली। वहाँ मोदी ने किसी अपने व्यक्ति को नौकरी दे रखी होगी और क्या!” इसके बाद भी वो बहुत कुछ बोले जिसका मतलब निकालने में लेखक नाकाम रहा।
‘कुछ नया एंगल ढूँढो’ सम्पादक समूह एवम् एडिटर्स गिल्ड के मुखिया गुप्ता जी ने आधिकारिक बयान ज़ारी करते हुए कहा कि मोदी और भाजपा ने मीडिया का गला घोंटा है और सारे सदस्य एक मत में इसक कृत्य की भर्त्सना करते हैं। हालाँकि, इसमें मीडिया कहाँ से आई, इस बात पर ‘द मिस्प्रिंट’ नामक अख़बार ने अपने सारे सब-एडिटर्स को काम पर लगा दिया है। ख़बर लिखे जाने तक ‘मिस्प्रिंट’ की तरफ से कोई रिस्पॉन्स नहीं आया है।
मीडिया की कई बड़ी हस्तियों ने ट्विटर पर इसे अमित शाह का मास्टरस्ट्रोक कहा है भले ही वो तस्वीर में कहीं भी नज़र नहीं आ रहे। तीन-चार लोगों को हमने डीएम करके पूछा तो उन्होंने कहा कि मोदी जी या भाजपा कुछ भी करती है तो उसे मास्टरस्ट्रोक ही कहा जाना चाहिए क्योंकि अमित शाह भारतीय राजनीति के आधुनिक चाणक्य हैं।