व्हाट्सएप पर इन दिनों एक मैसेज फॉरवर्ड किया जा रहा है। मैसेज में दावा किया जा रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार ने मदरसा के छात्रों को सेना में शामिल करने की योजना शुरू की है। फॉरवर्ड किए गए मैसेज में एक समाचार रिपोर्ट के शीर्षक का स्क्रीनशॉट भी है। हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं है कि वास्तव में ऐसा है या नहीं।
वायरल मैसेज में आरोप लगाया गया है कि ‘मौलाना मोदी’ मदरसों में ‘सैनिकों की तलाश’ कर रहे हैं। इसमें दावा किया गया है कि मोदी सरकार ने मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को सेना में शामिल करने के लिए एक नई योजना शुरू की है। इसके साथ ही मैसेज यह भी दावा करता है कि ‘मौलाना मोदी’ ‘उन्हें वोट देने वाले अंधे हिंदुओं’ को गुमराह कर रहे हैं।
क्या है मदरसा छात्रों के दावे के पीछे की सच्चाई?
ऐसा प्रतीत होता है कि 28 जुलाई की जागरण की एक रिपोर्ट से भ्रम पैदा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपी मदरसा बोर्ड ने अब भारतीय विद्यालय शिक्षा बोर्ड मंडल (COBSE) की सदस्यता के लिए आवेदन करने का फैसला किया है। इसमें पंजीकरण न होने के कारण अभी तक मदरसा बोर्ड के छात्र सेना के साथ ही केंद्र व अन्य राज्य सरकारों की नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर पाते थे।
रिपोर्ट में आगे लिखा गया है कि पंजीकरण के बाद मदरसा बोर्ड को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैधानिकता मिल जाएगी। मदरसा बोर्ड के छात्रों का दायरा भी बढ़ जाएगा और वे किसी भी क्षेत्र में अपना भविष्य संवार सकेंगे।
बोर्ड के रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने कहा, ”हाल ही में यह हमारे संज्ञान में लाया गया था कि सशस्त्र बल, कई अन्य रोजगार एजेंसियाँ और शैक्षणिक संस्थान अपने यहाँ नामांकन के लिए हमारे बोर्ड के सर्टिफिकेट को स्वीकार नहीं करते हैं। वे उन उम्मीदवारों से COBSE पंजीकरण माँगते हैं, जो अभी तक यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन के पास नहीं है। हमने अब COBSE मान्यता के लिए आवेदन किया है।”
उन्होंने कहा कि इसके लिए एक प्रस्ताव रखा गया है कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती लैंग्वेज यूनिवर्सिटी पाठ्यक्रम तैयार करे और डिग्री स्तर की परीक्षा आयोजित करे। इसके बाद बोर्ड के छात्रों को डिग्री प्रदान करे। उन्होंने इस तथ्य का जिक्र करते हुए कहा कि कामिल (graduation) और फाजिल (post-graduation) डिग्री को कई उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा समकक्ष डिग्री के रूप में स्वीकार नहीं किया गया था।
बोर्ड के रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने COBSE से मान्यता के लिए औपचारिकताएँ पूरी कर आवेदन कर दिया है। उन्होंने आवेदन के साथ उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम-2004, सेवा नियमावली 2016 तथा पाठ्यक्रम का विवरण भी भेजा है। COBSE से मान्यता मिलने पर मदरसा बोर्ड के सर्टिफिकेट का महत्व और बढ़ जाएगा।
इस प्रकार, केंद्र सरकार ने सेना में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए कोई योजना शुरू नहीं की है। यूपी मदरसा बोर्ड ने केवल COBSE मान्यता के लिए आवेदन किया है, जो उनके छात्रों को सेना की नौकरियों के लिए योग्य बनाएगा।
COBSE क्या है?
भारतीय विद्यालय शिक्षा बोर्ड मंडल COBSE भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्त संस्था है। वर्ष 1979 से कोब्से को भारत सरकार द्वारा रजिस्टर्ड संगठन के रूप में मान्यता दी गई है। इसकी वेबसाइट के अनुसार, “यह अनुच्छेद 19(1)जी, 29 और 30 के तहत स्थापित है। सर्वोच्च न्यायालय ने (टीएमए पाई फाउंडेशन बनाम कर्नाटक राज्य (एससी) 2003 (2) एससीटी 385 में) भी इसकी स्थापना का अधिकार दिया है।”
असम संस्कृत बोर्ड, असम मदरसा शिक्षा बोर्ड, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, बिहार स्कूल शिक्षा बोर्ड सहित कई शिक्षा बोर्डों ने इसकी सदस्यता ली है। वर्तमान में 67 बोर्ड इसके सदस्य हैं।
COBSE के पास ‘फर्जी बोर्ड’, ‘मान्यता प्राप्त संस्कृत बोर्ड’ और ‘मान्यता प्राप्त मदरसा बोर्ड’ की भी सूची है। इस प्रकार स्पष्ट है कि इनमें से कोई भी किसी भी नई योजना का हिस्सा नहीं है।
क्या मोदी सरकार का यूपी मदरसा बोर्ड से कोई लेना-देना है?
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड यूपी सरकार के अल्पसंख्यक विभाग के अंतर्गत आता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर बोर्ड ने COBSE में रजिस्ट्रेशन कराने का फैसला किया है।
आरपी सिंह ने कहा, “सरकार के इस कदम से मदरसा बोर्ड के छात्रों को केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने का रास्ता साफ होगा।” बोर्ड के एक अधिकारी जिरगामुद्दीन ने कहा, “दस्तावेज तैयार करने का काम किया जा रहा है। सरकार के अधिकारियों के साथ भी बैठक की गई है। उम्मीद है कि नए सत्र के शुरू होने तक मदरसा बोर्ड का रजिस्ट्रेशन COBSE में हो जाएगा। यह मदरसा बोर्ड के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।”
जाहिर है, कई राज्य मदरसा बोर्ड पहले से ही COBSE में पंजीकृत हैं। इस प्रकार, यूपी सरकार ने अपने राज्य बोर्ड को निकाय के साथ भी पंजीकृत करने का निर्णय लिया है। इसलिए, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह किसी नई योजना का हिस्सा नहीं है।
क्या लाभ सेना की नौकरियों तक सीमित है?
जागरण के अलावा, टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसमें भी विशेष रूप से सेना के एंगल को उजागर करने का प्रयास किया गया है।
यह स्पष्ट नहीं है कि मीडिया रिपोर्ट्स में इस मामले में केवल सेना की नौकरियों के पहलू को उजागर करने के लिए क्यों चुना है? जबकि यह स्पष्ट है कि बोर्ड के पंजीकरण से सभी यहाँ के विद्यार्थियों को सभी सरकारी नौकरियों की संभावना खुल जाएगी।