भारत की सबसे तेज़ रफ़्तार ट्रेन ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ एक नया इतिहास रचने की दिशा में अग्रसर है। दुर्भाग्य इस बात का है कि जिस ट्रेन को लेकर पूरी केंद्र सरकार उम्मीद लगाए बैठी है, उसी को लेकर कुछ लोग अफ़वाहें फैला रहे हैं। बेवजह ही इस ट्रेन को टारगेट करके ख़ामियों का जामा पहनाने की कोशिश की जा रही है।
नामी हिन्दी अख़बार नवभारत टाइम्स भी अफ़वाह फैलाने से अछूता नहीं रहा। अख़बार ने 18 फरवरी को अपने पाठकों के समक्ष दो अलग-अलग एडिशन में अलग-अलग ख़बर परोसी। नवभारत टाइम्स ने गाज़ियाबाद के एडिशन में पेज-16 यानी आख़िरी पन्ने पर ‘वंदे भारत को रास्ते भर लगे झटके’ हेडिंग के नीचे एक ख़बर लिखी – ‘ट्रेन से कटकर युवक ने दी जान।’ ख़बर के मुताबिक एक शख़्स ने तब ख़ुदकुशी कर ली जब ट्रेन वाराणसी से दिल्ली आ रही थी।
वहीं दूसरी तरफ नवभारत टाइम्स अपने दिल्ली एडिशन के उसी पेज-16 पर उसी हेडिंग के नीचे इसी ख़बर को लिखता है – सही फैक्ट के साथ। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि इस ख़बर में एक लाइन और दिखती है और वो ये कि ख़ुदकुशी का यह हादसा पिछले महीने ट्रायल के दौरान हुआ था।
ये बिल्कुल ज़रूरी नहीं कि इन ख़बरों को पढ़ने वाला पाठक दोनों एडिशन को पढ़े। क्योंकि दोनों क्षेत्र अलग-अलग हैं। दिल्ली वाले दिल्ली एडिशन पढ़ेंगे और गाज़ियाबाद वाले गाज़ियाबाद एडिशन। लेकिन इस ख़बर को पढ़ने वालों पर इसका असर अलग-अलग तरीके से होगा। गाज़ियाबाद वाले पाठक इस हादसे को बीते कल (17 फरवरी) का समझेंगे, जो ग़लत संदेश के रूप में अपना प्रभाव छोड़ जाएगा।
सोशल मीडिया के ज़माने में मीडिया कुछ भी बोल-लिख-दिखा दे और ग़लतफ़हमी पैदा कर दे यह अब संभव नहीं। कुछ ऐसे भी पाठक होते हैं जो ख़बरों को गंभीरता से पढ़ते हैं और उटपटांग लगने पर अपनी प्रतिक्रिया भी दर्ज करते हैं। ऐसे ही एक ट्विटर यूज़र अनुज गुप्ता की नज़र नवभारत टाइम्स की इन दोनों ख़बरों पर अटक गई और उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया ट्वीट के माध्यम से दर्ज कर दी।
Two editions of Navbharat times – One published a month old news as today’s news to show delay in Vande Bharat express. A new low in journalism. pic.twitter.com/taJzvbLPz1
— Anuj Gupta (@anujg) February 18, 2019
अब यह तो किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं कि इतने बड़े मीडिया हाउस से भूल हो। और अगर मान भी लिया जाए कि यह भूल ही है, तो भी इसकी माफ़ी हो ही नहीं सकती। क्योंकि इसकी ठोस वजह यह है कि यह कोई छोटा-मोटा अख़बार नहीं है बल्कि इसकी पहुँच देश-दुनिया भर में है।
इस अख़बार को पढ़ने वालों की सँख्या लाखों में है। इन बड़े मीडिया हाउस पर लोग भरोसा करते हैं, अख़बार में इनके द्वारा परोसी गई विषय सामग्री पर पाठक आँख मूंदकर भरोसा करते हैं। यह कहना ग़लत नहीं होगा कि नवभारत टाइम्स जैसे नामी अख़बार की यह ग़लती किसी अपराध से कम नहीं और यह कृत्य उसके पाठकों के साथ एक धोखा भी है।