कॉन्ग्रेस पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के माध्यम से, हेट क्राइम वॉच (HCW) द्वारा फैलाए गए हिंदू विरोधी प्रचार का समर्थन करने का फ़ैसला किया है। यह ‘अमन बिरादरी’ और NewsClick.in के सहयोग से, IndiaSpend के FactChecker.in का एक बहु-संगठित प्रयास है।
आपको बता दें कि IndiaSpend के संस्थापक न्यासी, factchecker.in का मूल संगठन, अब कॉन्ग्रेस पार्टी के डेटा एनालिटिक्स के मुखिया हैं।
प्रशांत पुजारी, डॉ. नारंग और अंकित सक्सेना आदि मामलों पर कॉन्ग्रेस की चुप्पी इस बात की ओर इशारा करती है कि वह हिन्दू पीड़ितों को एक सिरे से नज़रअंदाज़ करती आई है, वहीं दूसरी तरफ उन अपराधों को उजागर करती है जहाँ समुदाय विशेष पीड़ित के रूप में हो।
अपराध का कोई धर्म और जाति नहीं होती लेकिन फिर भी धर्म के आधार पर राजनीति करना कॉन्ग्रेस की पुरानी आदत है। इस पुरानी आदत में हमेशा से ही हिंदुओं को आक्रामक और मजहब विशेष को पीड़ित के रूप में चित्रित करना शामिल रहा है।
जानकारी के मुताबिक़, जब एक परिवार के विवाद में मुस्लिम समूह द्वारा दलित कठेरिया की हत्या कर दी गई थी तब factchecker.in के द्वारा डेटा में हेरफेर किये जाने की बात सामने आई थी। ऐसे मामले एक नहीं, बल्कि अनेकों हैं जो किसी भी मायने में राजनीति के सही पक्ष को नहीं दर्शाता।
वहीं जब एक मंदिर के पास मछली पकड़ने के लिए एक अज़हर ख़ान की हत्या कर दी गई, तो इसे एक धार्मिक घृणित अपराध का रूप दे दिया गया। इस घटना में ऐसे कोई साक्ष्य नहीं थे जो इसे धार्मिक अपराध बनाते थे, बावजूद इसके इसे सांप्रदायिक रंग दिया गया। इसके अलावा ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं, जहाँ factchecker.in इस तरह के कदाचार में लिप्त रही है।
एचसीडब्ल्यू ने दावा किया था कि साल 2018 के दशक में सबसे अधिक धार्मिक घृणित अपराध हुए हैं। इस भ्रमित कर देने वाले डेटा के आधार पर ऐसे दूरगामी निष्कर्ष तक पहुँचना उनके लिए अपमानजनक बात है, जिन्होंने सम्पूर्ण जानकारी ना देने की मानो क़सम ही खाई हो।
स्वराज्य पत्रिका की पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा ने इस बाबत एचसीडब्ल्यू को आड़े हाथों लेते हुए अपनी आपत्ति जताई। गोयल शर्मा ने हिंदुओं को आक्रामक और मुस्लिमों को पीड़ित पक्ष के रूप में चित्रित करने से संबंधित डेटा में हेरफेर करने के तरीके का बड़े स्तर पर पर्दाफ़ाश किया।
धार्मिक आचरण से परे इस तरह के समीकरण जब निकलकर सामने आते हैं, तो इन्हें हल करना आम जनता के लिए दुविधा का कारण बन जाता है। राजनीति के बदलते परिवेश को समझ पाना कभी-कभी मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव-सा प्रतीत होता है जब कॉन्ग्रेस द्वारा अपनाए गए इस तरह के रुख़ से जनता अनभिज्ञ होती है।