वामपंथी एजेंडा चलाने वाला ऑनलाइन पोर्टल ‘द वायर’ ने असम के मुक्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) और उनकी पत्नी रिंकी भुइयाँ सरमा (Riniki Bhuyan Sarma) पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। बुधवार (1 जून 2022) को विवादित पोर्टल ने एक रिपोर्ट पब्लिश की, जिसमें उसने आरोप लगाया कि कथित तौर पर रिंकी भुइयाँ के मालिकाना हक वाली वाली एक कपंनी को कोरोना से निपटने के लिए पीपीई किट और दूसरे कोविड से जुड़े सामानों की आपूर्ति का ऑर्डर मिला था। रिपोर्ट के मुताबिक, असम में जब सर्बानंद सोनोवाल मुख्यमंत्री थे और हिमंता बिस्वा सरमा राज्य के स्वास्थ्य मंत्री थे, तो उनकी पत्नी रिंकी भुइयाँ सरमा की कंपनी को बिना किसी अनुभव के ही 5,000 पीपीई किट, मेडिकल उपकरण और अन्य सुरक्षा के सामानों की आपूर्ति करने का ऑर्डर दिया गया था।
हालाँकि, वामपंथी पोर्टल का एजेंडा ज्यादा देर टिक नहीं सका। सीएम सरमा की पत्नी ने ‘द वायर’ के आरोपों का खंडन किया और कहा कि उन्होंने पीपीई किट की आपूर्ति के लिए एक पैसा भी नहीं लिया। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि सीएसआर के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को पीपीई किट दान की थी।
‘द वायर’ ने गुवाहाटी स्थित समाचार पोर्टल ‘द क्रॉस करंट’ के साथ मिलकर सूचना के अधिकार (आरटीआई) से मिले जबावों के जरिए ये दावा किया था कि राज्य में कोरोना संकट के दौरान टेंडर ऑर्डर के नियमों का पालन किए बिना ही इमरजेंसी मेडिकल सप्लाई के लिए चार फर्मों को ऑर्डर दिए गए थे। द वायर का आरोप है कि जिन चार फर्मों को ये ऑर्डर दिए गए थे, उनमें से तीन सीएम हिमंता बिस्वा सरमा की पत्नी रिंकी भुइयाँ सरमा और उनके व्यापारिक साझेदारों से जुड़ी हैं।
वामपंथी मीडिया ने दावा किया है कि जिस जेसीबी इंडस्ट्रीज को 5,000 पीपीई किट की तत्काल आपूर्ति का ऑर्डर मिला था, उसकी मालकिन रिंकी भुइयाँ सरमा हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गुवाहाटी स्थित ये कंपनी सैनिटरी नैपकिन बनाने के लिए प्रसिद्ध है और इसका किसी भी तरह के मेडिकल इक्विपमेंट के प्रोडक्शन का कोई इतिहास नहीं है। बावजूद इसके राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) असम ने सरमा की कंपनी को ये ऑर्डर दिया। इसमें दावा किया गया है कि रिंकी भुइयाँ की कंपनी को ये ऑर्डर 18 मार्च 2020 में दिया गया था। ये वो दौर था, जब भारत में कोरोना संक्रमण में तेजी से बढ़ोतरी हुई थी।
जेसीबी के अलावा जिन दो फर्मों को लेकर द वायर ने दावा किया है वो फर्म जीआरडी फार्मास्युटिकल्स और मेडिटाइम हेल्थकेयर हैं। आरोप है कि ये दोनों कंपनियों का मालिकाना हक सरमा के ही व्यापारिक सहयोगी घनश्याम धानुका के पास है। रिपोर्ट के अनुसार, बाद की फर्मों ने असम में कॉन्ग्रेस के सत्ता में आने के बाद से राज्य सरकार को चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति की है।
ये आरटीआई द क्रॉस करंट ने फाइल की थी, जिसके जरिए मिले जबावों का इस्तेमाल द वायर ने अपनी रिपोर्ट में किया। शुरुआती आरोप ये लगाए गए हैं कि जेसीबी इंडस्ट्रीज और मेडिटाइम हेल्थकेयर तय समय पर ऑर्डर की डिलिवरी ही नहीं कर पाए। दूसरा आरोप द वायर ने ये लगाया है कि पीपीई किटों को ऊँचे दामों (990 रुपये प्रति पीस) पर कंपनियों से खरीदे गए। जबकि उसी दिन उसने असम की एक अन्य फर्म एनई सर्जिकल इंडस्ट्रीज से 600 रुपए प्रति पीस की दर से पीपीई किट खरीदी।
रिंकी भुइयाँ सरमा ने द वायर के प्रोपेंगेंडा का किया खंडन
द वायर की प्रोपेगेंडा रिपोर्ट का खंडन करते हुए सीएम हिमंता बिस्वा सरमा की पत्नी रिंकी भुइयाँ इसे दुष्प्रचार का हिस्सा करार दिया। उन्होंने कहा कि ये दुर्भावनापूर्ण प्रचार प्रचार का हिस्सा है और द वायर एक बार फिर से निराधार आरोप लेकर सामने आ गया है।
पीपीई किट मामले को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि जब असम में कोविड -19 महामारी फैली थी, उस दौरान राज्य में एक भी पीपीई किट नहीं थी। जबकि ये कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सबसे बड़ा सेफ्टी यूनिट था। हालात को देखते हुए उन्होंने (रिंकी भुइयाँ सरमा) अपने एक व्यवसायिक परिचित के जरिए कुछ पीपीई किटों की व्यवस्था करके उसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को दान दे दिया। हालाँकि, बाद में एनएचएम ने इसके लिए एक वर्क ऑर्डर जारी किया, ताकि वो आपूर्ति के लिए एक चालान जमा कर सकें। उन्होंने अधिकारियों को बताया कि ये एक दान था और इसके लिए वो कोई पैसे नहीं लेंगी।
रिंकी भुइयाँ सरमा ने कहा, “महामारी के पहले सप्ताह में असम में एक भी पीपीई किट उपलब्ध नहीं थी। उसी का संज्ञान लेते हुए मैं एक व्यावसायिक परिचित के पास गई और काफी कोशिशों के बाद करीब 1500 पीपीई किट को अरेंज कर एनएचएम को दिया। बाद में मैंने इसे अपने सीएसआर के हिस्से के रूप में मानने के लिए एनएचएम को लिखा। ये उसकी रसीद संलग्न है।”
My statement. pic.twitter.com/kGvWeCTDjj
— RINIKI BHUYAN SHARMA (@rinikibsharma) June 1, 2022
उन्होंने आगे कहा, “मैंने इस आपूर्ति में एक पैसा भी नहीं लिया। मैं समाज को वापस देने में अपने विश्वास के बारे में हमेशा पारदर्शी रही हूँ। फिर चाहे मेरे पति की राजनीतिक स्थिति कुछ भी हो। मेरे संगठन ने भी आरोग्य निधि में दान देकर COVID के खिलाफ लड़ाई में NHM का समर्थन किया है।” उल्लेखनीय है कि आरोग्य निधि राज्य सरकार की वित्तीय सहायता योजना है।
इसके साथ ही रिंकी भुइयाँ सरमा ने असम में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एक प्रशंसा पत्र को भी साथ में अटैच किया, जिससे ये पता चलता है कि उन्होंने पीपीई किट का दान किया था। इसके लिए उन्होंने कोई पैसा नहीं लिया था। एनएचएम असम मिशन के निदेशक द्वारा जेसीबी इंडस्ट्रीज को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि वह 1485 पीपीई किट के साथ सरकार की मदद करने के लिए उनके संगठन के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। लेटर के सब्जेक्ट में सीएसआर का जिक्र है।
एनएचएम के पत्र से यह स्पष्ट है कि रिंकी भुइयाँ सरमा की कंपनी ने असम सरकार को 1485 पीपीई किट दान किए थे। इससे ये स्पष्ट होता है कि सरमा की कंपनी को किसी भी तरह का कोई अवैध ऑर्डर नहीं दिया गया।
अचंभे की बात ये है कि जब द वायर आरटीआई से इतने सारे दस्तावेजों को इकट्ठा कर पाया तो वो एनएचएम के दान वाले पत्र को क्यों नहीं ढूँढ पाया। इसके अलावा प्रोपेगेंडा पोर्टल ने दावा किया कि जेसीबी इंडस्ट्रीज को 5000 पीपीई किट की आपूर्ति का आदेश जारी किया गया था, इसे रद्द कर दिया गया था क्योंकि केवल 1485 किट की आपूर्ति की गई थी। ऐसे में अब द वायर को जवाब देना होगा कि अगर ऑर्डर कैंसिल कर दिया गया था तो किस बात का घोटाला, क्योंकि नो ऑर्डर का मतलब कोई भुगतान नहीं है।
रिंकी भुइयाँ सरमा ने द वायर पर तंज कसते हुए कहा, “अगर इस तरह की प्रोपेगेंडा वेबसाइटें संकट के वक्त में केवल बकवास करने की जगह कुछ और करतीं तो भारत एक बेहतर जगह पर होगा। सुनियोजित तरीके से टार्गेट किए जाने बाद भी मैं हमेशा देश की सेवा करने के अपने विश्वास पर कायम रहूँगी।”