Sunday, November 17, 2024
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राहुल गाँधी द्वारा स्मिता प्रकाश पर टिप्पणी करने के मामले में एडिटर्स गिल्ड ने साधा शीर्ष BJP नेताओं पर निशाना

अव्वल तो ये कि राहुल के इन बयानों के बाद लोगों द्वारा विरोध किये जाने के बावजूद कांग्रेस इसके बचाव में लगी रही।

अभी कुछ दिनों पहले ही नरेन्द्र मोदी ने एएनआई की एडिटर स्मिता प्रकाश को एक देश घंटे लम्बा इंटरव्यू दिया था। उस इंटरव्यू में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों और सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर राफेल और नोटबंदी तक पर पूछे गए सवालों का पीएम ने धड़ल्ले से जवाब दिया था। उस इंटरव्यू के बाद से ही काफी लोगों ने मोदी की आलोचना शुरू कर दी थी और कहा था कि वो केवल चुने गए पत्रकारों को ही इंटरव्यू दे रहे हैं। यही नहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने तो इंटरव्यू लेने वाली पत्रकार स्मिता प्रकाश को भी निशाने पर ले लिया और उन पर टिप्पणी की। राहुल ने स्मिता पर टिपण्णी करते हुए कहा कि वो सवाल भी खुद ही पूछ रही थी और जवाब भी खुद ही दे रही थी।

स्मिता प्रकाश ने राहुल गाँधी के हमलों का प्रत्युत्तर देते हुए कहा था कि आप पीएम मोदी की जो भी आलोचना करना चाहते हैं करें लेकिन मेरा उपहास उड़ाना बेतुका है। उन्होंने ये भी कहा था कि देश के सबसे पुराने राजनितिक दल के मुखिया से उन्हें ऐसी उम्मीद नहीं थी।

अव्वल तो ये कि राहुल के इन बयानों के बाद लोगों द्वारा विरोध किये जाने के बावजूद कांग्रेस इसके बचाव में लगी रही और अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर इस बयान का बचाव किया और इसे दुहराया भी। कांग्रेस ने अपने ट्वीट में कहा कि आज के मीडिया की यही स्थिति है और ये कोई अपमानजनक शब्द नहीं है।

इस मामले ने जब तूल पकड़ा तो लोगों ने संपादकों के एसोसिएशन एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया पर जम कर निशाना साधते हुए राहुल गाँधी की टिप्पणी को लेकर बयान जारी करने का दबाव बनाया। बता दें कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया पत्रकारों के हितों के लिए आवाज उठाने का दावा करता रहा है। देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी इस मामले में एडिटर्स गिल्ड की चुप्पी पर सवाल पूछे और ट्वीट कर कहा कि सभी नकली लिबरल चुप क्यों हैं?

लोगों द्वारा लगातार आवाज उठाने के बाद एडिटर्स गिल्ड ने चुप्पी तोड़ते एक बयान तो जरी किया लेकिन उसमे राहुल गाँधी द्वारा स्मिता प्रकाश पर की गई टिप्पणी को लेकर आपत्ति जताने से ज्यादा पुराने घिसे-पिटे मुद्दों पर भाजपा नेताओं को निशाना बनाया गया।

एडिटर्स गिल्ड ने अपने बयान में कहा;

पत्रकारों को स्वस्थ और सभ्य आलोचना से किसी छूट का दावा नहीं करना चाहिए लेकिन साथ ही उन पर किसी तरह का ठप्पा लगाना उनकी गरिमा कम करने और उन्हें धमकाने के ‘‘पसंदीदा हथकंडे’’ के तौर पर सामने आया है। हमने देखा कि हमारे नेता इसका कुछ समय से इस्तेमाल कर रहे हैं । हाल फिलहाल में भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ आप के नेताओं ने पत्रकारों के लिए प्रेस्टीच्यूट , खबरों के कारोबारी, बाजारू और दलाल जैसे अपमानजनक शब्दों का स्पष्ट तौर पर इस्तेमाल किया।’’ 

एडिटर्स गिल्ड ने राहुल गाँधी की टिप्पणी पर आपत्ति जताना तो दूर, सिर्फ एक पंक्ति में उस मामले को समेट कर इतिश्री कर ली और अपने बयान के बांकी हिस्सों में पुराने मामलों को लेकर भाजपा नेताओं पर निशाना साधा। इसके बाद लोगों ने एडिटर्स गिल्ड की जमकर आलोचना की और उसका मजाक उड़ाया। लोगों ने ट्विटर पर पुछा कि आखिर एडिटर्स गिल्ड ने राहुल गाँधी के एक पत्रकार को लेकर दिए गए आपत्तिजनक बयान का विरोध क्यों नहीं किया या इस पर आपत्ति क्यों नहीं जताई?

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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