Friday, November 15, 2024
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दिसंबर में फेक न्यूज साबित हुई खबर को इंडिया टुडे ने वापस चलाया: दलितों ने नहीं अपनाया इस्लाम

एक बार ख़बर के झूठा साबित होने के बावजूद 'इंडिया टुडे' ने इसे दोबारा क्यों चलाया, ये समझ से पड़े है। फर्जी स्टिंग ऑपरेशन से लेकर राजदीप के स्टूडियो में नाचने तक, दिन प्रति दिन मीडिया संस्थान अपनी साख खोते जा रहा है। ऐसे में इससे यही अपेक्षित भी है।

‘इंडिया टुडे’ ने एक महीने पुरानी फर्जी ख़बर दोबारा चलाई है, जिसमें कहा गया है कि तमिलनाडु के कोयम्बटूर में दीवार गिरने से 17 दलितों की मौत के बाद 430 दलितों ने इस्लाम अपना लिया है। दिसंबर में धर्मान्तरण की ये फेक ख़बर ख़ूब शेयर हुई थी। उस समय 3000 लोगों के मजहबी धर्मान्तरण के आँकड़े दिए जा रहे थे। ‘इंडिया टुडे’ ने संगठन ‘तमिल पुलिगल कच्ची’ के हवाले से लिखा कि 430 दलितों ने इस्लाम अपना लिया है और कई अन्य इसी राह पर हैं। साथ ही ये भी लिखा गया कि क्षेत्र के दलितों ने भेदभाव की बात कही है। कुछ दलितों के बयान भी प्रकाशित किए गए हैं।

ऑपइंडिया ने दिसंबर में ही इसका ‘फैक्ट-चेक’ किया था, जिसमें बताया गया था कि कोयम्बटूर के दलितों ने इस ख़बर में किये गए दावों को ख़ारिज कर दिया है। उन्होंने इस्लाम अपनाने की बात से इनकार कर दिया था। उस समय भी ‘आजतक’ ने ये ख़बर चलाई थी।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, तमिल पुलिगल काटची नामक संगठन के महासचिव इलवेनिल ने रविवार को उनसे बातचीत की थी। जिसमें उन्होंने कथित धर्म परिवर्तन को दलितों के साथ होते भेदभाव के ख़िलाफ़ एक जन-आंदोलन बताया था। उन्होंने कहा कि जाति की ‘दीवार गिराने’ के लिए अब उनके पास और कोई विकल्प नहीं है। लेकिन, जब इस ‘इस्लाम स्वीकारने’ के संबंध में गाँव के लोगों से बात की गई तो उन्होंने संगठन से बिलकुल हटकर जवाब दिया।

इसी क्रम में नांदुरा आदि द्रविड़ गाँव के 70 वर्षीय एम सुब्रमणियम ने बताया था कि उनके पास इस्लाम कबूल करने की कोई वजह नहीं हैं। उन्होंने कहा, “हर धर्म अच्छा है। इस्लाम उनके लिए अच्छा है, हिदूत्व हमारे लिए। हम क्यों परिवर्तित हों। घटना (दीवार गिरने से 17 लोगों की मौत) के बाद कई संगठनों ने हमसे संपर्क किया। जिसके लिए हमने उनका धन्यवाद दिया। लेकिन राजनीति के लिए हमारा इस्तेमाल क्यों हो?”

दलितों के इस्लाम अपनाने की ख़बर फर्जी साबित हो चुकी है: ‘इंडिया टुडे’ ने फिर चलाया

वहीं, मनियम्मा नामक निवासी ने कहा था, “हमारे इलाके में बहुसंख्यक आबादी में लोग राम के भक्त हैं। यहाँ मरघाजी माह में तो हम माँस तक नहीं खाते। हमारे इलाके में एक भी मुस्लिम नहीं हैं और न ही किसी ने हमें धर्म परिवर्तन के लिए संपर्क किया है। सब एकदम झूठ है।”

एक बार ख़बर के झूठा साबित होने के बावजूद ‘इंडिया टुडे’ ने इसे दोबारा क्यों चलाया, ये समझ से पड़े है। फर्जी स्टिंग ऑपरेशन से लेकर राजदीप के स्टूडियो में नाचने तक, दिन प्रति दिन मीडिया संस्थान अपनी साख खोते जा रहा है। ऐसे में इससे यही अपेक्षित भी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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