RSS प्रमुख मोहन भागवत ने संत रोहिदास की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में रविवार (5 फरवरी, 2023) को मराठी में भाषण दिया। इसके बाद मीडिया ने बिना उनकी बात को समझे कुछ ऐसा चला दिया, जिससे ऐसा प्रतीत हो कि उन्होंने ब्राह्मणों के विरुद्ध कुछ कहा था। ऐसी गलतियाँ करने वालों में सबसे पहले ANI और ‘आज तक’ शामिल रहे। सरसंघचालक ने ‘पंडित’ शब्द का प्रयोग किया था, जिसका तात्पर्य विद्वान से है।
मोहन भागवत ने ब्राह्मण जाति का नहीं लिया नाम, उनका आशय ‘विद्वानों’ से था
ये एक ऐसा शब्द है, जो अब अंग्रेजी डिक्शनरी में भी जा चुका है और अमेरिका तक के बड़े-बड़े लोग इस शब्द का प्रयोग करते हैं। जैसे, राजनीति की समझ रखने वाले को ‘पॉलिटिकल पंडित’ पश्चिमी जगत में भी कहा जाता है। जैसे, ANI ने पहले मोहन भागवत के हवाले से ये बयान चलाया, “हमारी समाज के प्रति भी जिम्मेदारी है। जब हर काम समाज के लिए है तो कोई ऊँचा, कोई नीचा या कोई अलग कैसे हो गया? भगवान ने हमेशा बोला है कि मेरे लिए सभी एक हैं, उनमें कोई जाति-वर्ण नहीं है। लेकिन, पंडितों ने जो श्रेणी बनाई – वो गलत था।”
बाद में खुद ANI ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा कि अनुवाद में त्रुटि के कारण ये ट्वीट हटाया जा रहा है। फिर दोबारा अनुवाद कर के उसने मोहन भागवत का ये बयान चलाया, “सत्य ही ईश्वर है, सत्य कहता है मैं सर्वभूति हूँ, रूप कुछ भी रहे योग्यता एक है, ऊँच-नीच नहीं है, शास्त्रों के आधार पर कुछ पंडित जो बताते है वो झूठ है। जाति की श्रेष्ठता की कल्पना में ऊँच-नीच में अटक कर हम गुमराह हो गए, भ्रम दूर करना है।”
CORRECTION|Truth's God,says he's omnipresent.Whatever the name,ability&honor same;no differences.What some Pandits say on basis of Shaastras is lie.We're misled by caste superiority illusion.Illusion has to be set aside: M Bhagwat
— ANI (@ANI) February 6, 2023
(Earlier tweet deleted due to translation error) pic.twitter.com/uj0nInSW6Y
स्पष्ट है, सरसंघचालक यहाँ हिन्दुओं को एक करने की बात कर रहे थे और सभी को बराबर की नज़र से देखने व सम्मान करने का सन्देश दे रहे थे। उन्होंने ब्राह्मण जाति का नाम नहीं लिया। RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने वीडियो शेयर कर के बताया कि मोहन भागवत ने असल में कहा क्या था, “सत्य यह है कि मैं सब प्राणियों में हूँ, इसलिए रूप नाम कुछ भी हो लेकिन योग्यता एक है, मान-सम्मान एक है, सबके बारे में अपनापन है। कोई भी ऊँचा-नीचा नहीं है। शास्त्रों का आधार लेकर पंडित (विद्वान) लोग जो (जाति आधारित ऊँच-नीच की बात) कहते हैं – वह झूठ हैं।“
RSS प्रमुख ने आखिर क्या-क्या कहा, जानिए सच
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने उक्त कार्यक्रम में कहा कि सब उपेक्षा देखते हुए उनके मन में आया कि जो सत्य है वह मुझे ढूँढना चाहिए। उन्होंने पूछा कि वह जो शाश्वत सुख का मार्ग है, वह क्या है? फिर उन्होंने समझाया कि संत रैदास सोच रहे थे कि वह वास्तव में वैसा है क्या? सुनी-सुनाई बातों पर न जाकर प्रत्यक्ष अनुभव लेने का उन्होंने निर्णय लिया। संत रविदास ने स्वामी रामानंद का सान्निध्य प्राप्त किया। फिर उन्हें ज्ञान हुआ कि सत्य ही ईश्वर है।
मोहन भागवत ने इसके बाद ही कहा, “वह सत्य यह बताता है कि मैं सब प्राणियों में हूँ, इसलिए रूप-नाम कुछ भी हो लेकिन योग्यता एक है, मान सम्मान एक है, सबके बारे में अपनापन है। कोई भी ऊँचा-नीचा नहीं है। शास्त्रों का आधार लेकर पंडित लोग जो कहते हैं वह झूठ है। जाति, जाति की कल्पना में ऊँच-नीचता के भँवर में फँस कर हम भ्रमित हो गए हैं। यह भ्रम दूर करना है। अपनी ज्ञान, परंपरा यह नहीं बताती है यह समाज को बताना चाहिए। वह परंपरा यह बताती है कि सत्य, धर्म और कर्म कभी छोड़ना नहीं चाहिए। मर भी गया तो भी धर्म नहीं छोड़ूँगा। प्रत्यक्ष उनके जीवन में यह प्रसंग आया।”
RSS प्रमुख ने बताया कि कैसे सिकंदर लोदी ने पहले कपट से उनको बुलाया कि हमें समझाइए कि आपका धर्म क्या है? संत रविदास जी ने उसको बताया तो उसने कहा कि तुम्हारा धर्म बेकार है, हमारा इस्लाम इससे श्रेष्ठ है, तुम मुस्लिम बनो। मुस्लिमों के बारे में किसी के मन में द्वेष नहीं था, उनके मन में भी नहीं था। मोहन भागवत ने कहा कि संत रैदास ने यह भी बताया है कि हिन्दू क्या, मुस्लिम क्या – सत्य एक है और सभी परमेश्वर की संतानें हैं। सत्य वही है, परंतु इसका अर्थ यह नहीं कि बदलना चाहिए।
अपनी अपनी श्रद्धा पर ठीक से रहो, सभी मार्ग एक ही जगह जाने वाले हैं, अपनी अपनी प्रकृति के अनुसार जो मार्ग है वह अच्छा है या बुरा है यह विषय नहीं है अपनी प्रकृति का जो है वही मानो – मोहन भागवत यहाँ संत रविदास को उद्धृत कर रहे थे। यही बात संत ने सिकंदर लोदी को बताया और कहा कि मैं धर्म नहीं छोड़ूँगा। बकौल मोहन भागवत, संत रैदास ने सिकंदर लोदी से कहा कि वेदों का धर्म सर्वश्रेष्ठ है, तुम्हारे इस्लाम की तुलना में भी श्रेष्ठ है।
मीडिया ने #MohanBhagwat के बयान का अर्थ का अनर्थ कर दिया। RSS प्रमुख मराठी में बोल रहे थे। गलत अनुवाद किया गया। उन्होंने कहीं ब्राह्मण जाति का नाम नहीं लिया।
— Anupam K. Singh (@anupamnawada) February 6, 2023
"शास्त्रों का आधार लेकर पंडित (विद्वान) लोग जो (जाति आधारित ऊँच-नीच की बात) कहते हैं – वह झूठ हैं।" – ये है असली बयान। pic.twitter.com/8RGtpV0gSK
मोहन भागवत ने कहा, “वाद-विवाद चल रहा था, इसलिए ऐसा तर्क उनको देना ही पड़ा। सिकंदर लोदी ने बेड़ियाँ पहनाकर जेल में डाल दिया। पर जेल में क्या हुआ? उनको सगुण कृष्ण के दर्शन हुए। और वहाँ दिल्ली, फतेहपुर सीकरी के लोगों को और सिकंदर लोदी को हर जगह रविदास जी के दर्शन होने लगे। घबरा गए, शरण में आ गए। सिकंदर लोदी की योजना होती इनको हाथी के पैर के नीचे कुचलवा कर मरवाने की। प्राण संकट में आए तो भी अपने उदाहरण से समाज को बताया कि धर्म नहीं छोड़ो। वह धर्म – शाश्वत धर्म।”