‘द प्रिंट’ में लिखे एक लेख में सलमा युसूफ हुसैन ने दावा किया है कि मुगलों ने भारत को अंगूर जैसे फल दिए। ख़ुद को खानपान और इससे जुड़े इतिहास का दक्ष बताने वाली सलमा युसूफ हुसैन ने यह लेख लिखा है। इसमें मुगलों व फलों के प्रति उनके प्रेम को दर्शाते-दर्शाते यह बताया जाता है कि भारत के लोगों का अंगूर से परिचय मुगलों ने ही कराया। जबकि यह सरासर ग़लत है। धीरेन्द्र कृष्णा बोस ने अपनी पुस्तक “Wine in Ancient India” में इसे लेकर बेहद महत्वपूर्ण जानकारी दी है। उन्होंने लिखा है:
“क्षत्रिय अंगूर का जूस और गन्ने के रस को काफ़ी पसंद करते थे। 629 ईस्वी में चीन से भारत की यात्रा पर आए हुएन सांग ने लिखा है कि बौद्ध भिक्षु और ब्राह्मण एक प्रकार के रस को पीते हैं, जिसे अंगूरों से बनाया जाता है। सांग ने आगे लिखा है कि वैश्य भी इस प्रकार का जूस पीते हैं लेकिन वह फेर्मेंटेड नहीं होता।”
Grape has 1000s year old references in Charak Samhita, in Charak Sutra Sthan 25th chapter, pharmaceutical preparation by the name of “Draksharishta” (Draksha is Grape)
— Emerr GencyExitOnly (@alladeen_mofo) June 4, 2019
अगर मुगलों की बात करें तो बाबर ने 16वीं शताब्दी में दिल्ली में राज करना शुरू किया, जबकि चीनी यात्री ने उससे लगभग 900 वर्ष पूर्व भारत में अंगूरों और अंगूर के रस का जिक्र किया है। इससे पता चलता है कि ‘द प्रिंट’ के लेख में किया गया दावा बिलकुल ही ग़लत है और झूठ है। इतिहास के नाम पर ग़लत चीजें बताई जा रही हैं ताकि मुगलों का झूठा महिमामंडन किया जा सके।
I found this reference of Houen Tsang (629-645AD) who says Kshatriyas were fond of juice of grapes and sugar cane..and Brahmans used a sort of syrup made from grapes.
— TrueIndology (@TrueIndoIogy) June 3, 2019
So grapes were not brought by Moghals.
Ref- wine in ancient india, p 43, D K Bose ,1922, pic.twitter.com/JdI9oYnx95
इसी तरह ट्विटर पर हमसा नंदी नामक व्यक्ति ने याद दिलाया कि 1025 ईस्वी में लिखी गई पुस्तक “लोकोपकार” में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों को बनाने के लिए अंगूरों का प्रयोग करने की रेसिपी बताई गई है। यह भी मुगलों के भारत में आने से कई शताब्दी पहले की पुस्तक है। इस तरह से ‘द प्रिंट’ में सलमा युसूफ हुसैन के दावे लगातार झूठे साबित हुए। मुगलों के आने से कई शताब्दी पहले की कई पुस्तकों में अंगूर व अंगूर से बने खाद्य पदार्थों का जिक्र यह बताता है कि मुगलों ने भारत को अंगूर नहीं दिया, यहाँ के लोग पहले से ही इसका सेवन कर रहे थे।