Saturday, November 16, 2024
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केंद्रीय मंत्री को झूठा साबित करने के लिए रवीश ने फैलाई फेक न्यूज: NDTV की घटिया पत्रकारिता के लिए सरकार ने लगाई लताड़

रवीश कुमार एक बार दोबारा अपने दर्शकों को बरगलाते हुए पकड़े गए। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस बार स्वयं केंद्र सरकार ने खुद इस पर संज्ञान लिया है। सरकार ने एनडीटीवी पत्रकार रवीश कुमार की व उनकी पत्रकारिता की निंदा की। सरकार ने यह पुष्टि की कि 10 जनवरी 2020 तक धान खरीद 423 LMT थी। और इसलिए...

कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के आंदोलन के बीच NDTV के रवीश कुमार एक बार फिर झूठ फैलाते हुए पकड़े गए हैं। 14 जनवरी 2021, रवीश कुमार के प्राइम टाइम में, उन्होंने भारत सरकार पर आरोप लगाया कि कृषि उत्पाद खरीद के संबंध में सरकार ने गलत डेटा प्रस्तुत किया। इसके बाद उनका ये फर्जीवाड़ा एक दिन भी नहीं चल सका और सरकार की ओर से खुद आज बताया गया कि रवीश के कार्यक्रम में पेश किए गए आँकड़े गलत हैं।

अपने कार्यक्रम में, मंत्री पीयूष गोयल द्वारा पोस्ट किए गए एक इन्फोग्राफिक का जिक्र करते हुए, रवीश कुमार ने कहा था कि ग्राफिक में दिया गया डेटा गलत है। ये इन्फोग्राफिक, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने 11 जनवरी 2021 को पोस्ट किया था। इसमें जानकारी दी गई थी कि 10 जनवरी तक भारत सरकार ने 534 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की थी, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 423LMT थी। 

उन्होंने लिखा था, “किसान हितों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए प्रयासों से 10 जनवरी तक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 26% अधिक धान MSP मूल्य पर खरीदा गया, जिसकी मात्रा 534 LMT है। 1 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक के भुगतान से 71 लाख किसान लाभान्वित हुए।” उन्होंने कहा था किसान हित में MSP है, और रहेगा।

अब रवीश कुमार ने इन्हीं आँकड़ों को आधार बनाया और कहा कि फ़ूड एंड पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन मिनिस्ट्री की वेबसाइट पर मौजूद डेटा के अनुसार, 2019-20 में कुल धान की खरीद 519 LMT थी, 423 LMT नहीं। इसलिए सरकार द्वारा दिखाई जा रही 26% वृद्धि सही नहीं है। प्रोग्राम में रवीश ने यह भी कहा कि या तो किसी ने भारत सरकार में गलती की है, या गलत संख्या का इस्तेमाल झूठ फैलाने के लिए किया जा रहा है। अब हकीकत क्या है? आइए समझाएँ।

असल में हकीकत ये है कि भारत सरकार में किसी ने झूठ नहीं फैलाया था बल्कि रवीश कुमार ने या तो गलती से या जानबूझकर फर्जी जानकारी देने के लिए पीयूष गोयल के ट्वीट की इमेज को क्रॉप किया था। जी हाँ, केंद्रीय मंत्री द्वारा साझा जानकारी में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि डेटा 10 जनवरी तक खरीद के लिए है। लेकिन सरकार को झूठा करार देने के लिए, रवीश कुमार ने पूरे साल के डेटा का इस्तेमाल किया। 

अब यहाँ हमें यह समझाने की आवश्यकता नहीं है कि किसी भी चीज की तुलना बराबर के महीनों या अवधि से की जाती है। ये नहीं होता कि आपने पूरे साल के आँकड़ों को किसी साल के 9 महीनों या 10 महीनों से तुलना की और अपने अजेंडे के मुताबिक आँकड़े निकाल कर दे दिए। इसलिए ये बिलकुल उचित बात है कि 2019-20 के लिए कुल धान खरीद 519 LMT थी, लेकिन ये भी सच है कि यह आँकड़ा इस वर्ष की खरीद की तुलना में नहीं हो सकता है क्योंकि अभी वर्ष समाप्त हो रहा है और खरीद अभी भी जारी है।  इस साल 10 जनवरी तक के आँकड़ों की तुलना पिछले साल की उसी तारीख तक के आँकड़ों से की जानी चाहिए, जो तब भी 423 LMT था।

साबित हो ही जाता है कि रवीश कुमार एक बार दोबारा अपने दर्शकों को बरगलाते हुए पकड़े गए। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस बार स्वयं केंद्र सरकार ने खुद इस पर संज्ञान लिया है। सरकार ने एनडीटीवी पत्रकार रवीश कुमार की व उनकी पत्रकारिता की निंदा की। सरकार ने यह पुष्टि की कि 10 जनवरी 2020 तक धान खरीद 423 LMT थी। और इसलिए, यह बिलकुल सही है कि उक्त अवधि में खरीद में 26% की वृद्धि हुई है।  मंत्रालय ने आगे रवीश कुमार के कार्यक्रम को घटिया पत्रकारिता और तथ्यों की अवहेलना करने वाला घिनौना प्रदर्शन कहा।

बता दें कि इस पत्र को प्रेस सूचना ब्यूरो द्वारा NDTV आचार समिति को भेजा गया है। इस पत्र में समझाया गया कि रवीश कुमार ने 2020-21 के लिए चल रही खरीद के साथ 2019-20 के पूर्ण वर्ष की खरीद की अनुचित तुलना की है। इसमें यह भी कहा गया है कि पीयूष गोयल के ट्वीट को टीवी कार्यक्रम में क्रॉप किया गया था, जो दर्शाता है कि यह एक कुकृत्य था।

पत्र में लिखा गया कि ऐसे संवेदनशील समय में जब किसान दिल्ली के पास विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, उस समय रवीश कुमार ने महत्वपूर्ण तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है, जो किसानों को भ्रमित करता है और समाज में नकारात्मक भावनाओं को उकसाता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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