न्यूज एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) की एक और फेक न्यूज पकड़ी गई है। उसने दावा किया था कि लक्षद्वीप प्रशासन ने केरल हाईकोर्ट की जगह कर्नाटक हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र में शामिल करने का प्रस्ताव रखा है। लक्षद्वीप के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर अस्कर अली ने इसे ‘निराधार और गलत’ बताया है।
पीटीआई ने रविवार (20 जून 2021) को दावा किया कि लोगों के विरोध को देखते हुए लक्षद्वीप प्रशासन ने हाईकोर्ट का अधिकार क्षेत्र कर्नाटक शिफ्ट करने का प्रस्ताव रखा है। अपने दावे को पुख्ता करने के लिए उसने ‘अधिकारियों’ का हवाला दिया। समाचार एजेंसी ने बताया कि केरल उच्च न्यायालय में लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ कई याचिकाएँ दाखिल की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, पटेल और पुलिस तथा स्थानीय प्रशासन की कथित मनमानी के खिलाफ 11 रिट याचिका सहित 23 आवेदन दायर किए गए हैं।
हालाँकि, पीटीआई का यह फेक दावा ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया। भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार कंचन गुप्ता ने इसका खंडन किया। उन्होंने लक्षद्वीप के कलेक्टर एस अक्सर अली का हवाला दिया, जिन्होंने पीटीआई की कहानी को पूरी तरह से निराधार और सच्चाई से कोसों दूर बताया है।
This story by @PTI_News is “baseless and devoid of truth”, says S Asker Ali, Collector, Lakshadweep. https://t.co/bOsgInvJeK
— Kanchan Gupta (@KanchanGupta) June 20, 2021
फेक न्यूज और पीटीआई
समाचार एजेंसी पीटीआई का झूठी और भ्रामक खबरें फैलाने लंबा इतिहास रहा है। इस साल अप्रैल, 2021 में महामारी के बीच पीटीआई ने दावा किया था कि दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के कारण 25 लोगों की मौत हो गई। एक ट्वीट में, पीटीआई ने कहा कि सूत्रों ने उसे बताया था कि 25 ‘बीमार’ मरीजों की मौत ‘लो प्रेशर ऑक्सीजन’ के कारण हुई थी। उसका यह दावा झूठा निकला। अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक ने स्पष्ट किया कि ऑक्सीजन की कमी के कारण कोई मौत नहीं हुई थी।
इससे पहले अगस्त 2020 में पीटीआई को भारत में चीनी कोरोना वायरस के प्रसार पर प्रधानमंत्री मोदी को गलत तरीके से कोट करते हुए पकड़ा गया था। इस गलत ट्वीट का इस्तेमाल कॉन्ग्रेस ने पीएम मोदी के बारे में झूठ फैलाने के लिए किया था। इसके फेक निकलने पर कॉन्ग्रेस ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया था।
अक्टूबर 2020 में पीटीआई के साथ चीनी राजदूत के इंटरव्यू के बाद पब्लिक ब्रॉडकास्टर प्रसार भारती ने भी सख्त रुख दिखाया था। उस दौरान पीटीआई पर चीनी प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाने के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने का आरोप लगा था।