Sunday, November 17, 2024
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श्रीलंका के नाम पर NDTV ने फैलाया झूठ, कहा- भारत ने राजपक्षे के लिए निजी जेट भेजा: बाद में चुपके से ट्वीट किया डिलीट

इस मामले में विवाद बढ़ने के बाद NDTV ने झूठे दावों वाले अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया। इससे पहले भी कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को मालदीव भागने में मदद करने से इनकार कर दिया था।

श्रीलंका में जारी सियासी संकट के बीच वामपंथी चैनल एनडीटीवी ने दावा किया कि भारत सरकार ने गोताबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) को भगाया था। जबकि गुरुवार (14 जुलाई 2022) को भारत सरकार ने ये दोहराया था कि श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे की यात्रा में उसकी कोई भूमिका नहीं है और देश ने उन्हें श्रीलंका से भागने में कभी मदद नहीं की।

मीडिया चैनलों पर चलाई जा रही इन खबरों का मालदीव में विदेश मंत्रालय (MEA) और भारतीय उच्चायोग ने खंडन किया था। जिसमें ये दावा किया जा रहा था कि भारत ने मालदीव सरकार के अनुरोध पर राजपक्षे के लिए एक निजी जेट मालदीव भेजा था।

वहीं एनडीटीवी ने रिपोर्ट में झूठा दावा किया कि राजपक्षे को भारत द्वारा भेजे गए एक निजी जेट में मालदीव से सिंगापुर ले जाया गया था। चैनल ने ट्वीट किया, “#JustIn: राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्षे इस समय वेलाना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हैं। वह एक निजी जेट से जाने की तैयारी कर रहे हैं, जो कि दिल्ली से आने वाली है।”

ट्विटर का स्क्रीनशॉट

एनडीटीवी ने ये भी झूठा दावा किया कि मालदीव सरकार ने इस मामले में भारत सरकार से मदद माँगी थी, जिसके बाद राजपक्षे के लिए ये व्यवस्था की गई थी। विदेश मंत्रालय ने कहा, “श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे की देश से यात्रा या उसे सुविधाजनक बनाने में भारत की कोई भूमिका नहीं है।”

इस मामले में विवाद बढ़ने के बाद कथित तौर पर NDTV ने 14 जुलाई को झूठे दावों वाले अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया। इससे पहले भी कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को मालदीव भागने में मदद करने से इनकार कर दिया था। श्रीलंका की राजनीतिक और आर्थिक समस्याओं के बीच वहाँ के लोगों के साथ खड़े होते हुए कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने राजपक्षे को श्रीलंका से भगाने में मदद करने की खबरों को खारिज कर दिया था।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा रहेगा, क्योंकि वे लोकतांत्रिक साधनों और मूल्यों, स्थापित लोकतांत्रिक संस्थानों और एक संवैधानिक ढाँचे के जरिए समृद्धि और प्रगति के लिए अपनी आकांक्षाओं को साकार करना चाहते हैं।

हाउस स्पीकर कार्यालय के मुताबिक, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्षे ने सिंगापुर पहुँचने के बाद गुरुवार को इस्तीफा दे दिया। स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने के प्रवक्ता ने कहा कि राजपक्षे ने ईमेल से अपने पद से इस्तीफा दिया। राजपक्षे को लेकर सऊदी एयरलाइंस की एक फ्लाइट सिंगापुर के चांगी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर लैंड हुई। मीडिया से बातचीत करते हुए सिंगापुर के विदेश मंत्रालय के एक प्रतिनिधि ने कहा कि उन्होंने सिंगापुर में शरण लेने के लिए कोई अनुरोध नहीं किया था। प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि सिंगापुर आमतौर पर शरण लेने के अनुरोध को स्वीकार नहीं करता है।

गौरतलब है कि चीन के कर्ज के जाल में फँसकर श्रीलंका लगभग दिवालिया हो गया है। वहाँ सात दशकों में सबसे खराब आर्थिक मंदी है। लाखों लोग अपने लिए खाना, दवा और ईंधन समेत दूसरे सामानों के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। वहीं देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने देश में आपातकाल की घोषणा की है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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