अभी हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी को भ्रष्टाचारी नंबर एक कहा। इसके बाद दिल्ली के रामलीला मैदान में उन्होंने राजीव गाँधी और उनके ससुराल वालों के निजी पिकनिक के लिए आईएनएस विराट का प्रयोग किए जाने को लेकर कॉन्ग्रेस पार्टी पर निशाना साधा। इसके बाद कॉन्ग्रेस खेमे में खलबली मच गई और गाँधी परिवार के सभी वफ़ादार अपने-अपने तरकश से विवादित टिप्पणियों के तीर लेकर सोशल मीडिया पर उतर आए। कइयों ने विवादित बयान दिए। अब इन सब में अहमद पटेल का नाम भी शुमार हो गया है। लम्बे समय से सोनिया गाँधी के वफ़ादार माने जाने वाले अहमद पटेल ने झूठ और भ्रम फैला कर जनता को बरगलाना चाहा है। लेकिन, वो भूल गए कि यह सोशल मीडिया का ज़माना है और पुराने समय के अधिकतर न्यूज़ आर्टिकल व पत्रिकाओं के लेख भी अब डिजिटलाइज हो चुके हैं।
Abusing a martyred Prime Minster is the sign of ultimate cowardice
— Ahmed Patel (@ahmedpatel) May 9, 2019
But who is responsible for his assassination ?
The BJP backed VP Singh govt refused to provide him with additional security & left him with one PSO despite credible intelligence inputs and repeated requests
अहमद पटेल ने अपने ट्वीट में लिखा, “शहीद प्रधानमंत्री को गालियाँ देना परम कायरता की निशानी है। लेकिन, क्या आपको पता है कि उनकी हत्या के लिए कौन लोग ज़िम्मेदार हैं? भाजपा समर्थित वीपी सिंह सरकार ने उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा मुहैया कराने से मना कर दिया और बस एक PSO (पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर) के साथ छोड़ दिया। तमाम ख़ुफ़िया जानकारियों और लगातार अनुरोधों के बावजूद ऐसा किया गया।” इसके बाद अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा कि भाजपा की घृणा के कारण राजीव गाँधी की जान गई और आज वह अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब देने के लिए हमारे बीच मौजूद नहीं हैं।
अहमद पटेल ने राजीव गाँधी की सुरक्षा में चूक के लिए वीपी सिंह सरकार को निशाना बनाया। इस तथ्य को जाँचने के लिए जब भारतीय प्रधानमंत्रियों की सूची खंगाली तो पता चला कि वीपी सिंह 2 दिसंबर 1989 से 10 नवंबर 1990 तक देश के प्रधानमंत्री थे। अर्थात, वीपी सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल के दौरान राजीव गाँधी ज़िंदा थे। 7 बार सांसद रहे अहमद पटेल के अनुसार, वीपी सिंह की सरकार ने राजीव गाँधी को बस एक पीएसओ दिया था। एक मिनट के लिए अगर उनकी बात मान भी लें, तो भी उनका बयान भ्रामक है क्योंकि राजीव गाँधी की हत्या के समय केंद्र में कॉन्ग्रेस समर्थित सरकार चल रही थी।
10 नवंबर 1990 को वीपी सिंह के बाद चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने। चंद्रशेखर की सरकार कॉन्ग्रेस पार्टी के समर्थन से बनी थी। उस समय राजीव गाँधी कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष थे। वो 1985 से अपनी मृत्यु तक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। इंडिया टुडे की उस समय आई स्टोरी के अनुसार, चंद्रशेखर के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं के भीतर माहौल ऐसा था, जैसे उन्हीं की पार्टी का नेता प्रधानमंत्री बनने जा रहा हो। राजीव-इंदिरा के पोस्टर्स चारों ओर छाए हुए थे। चंद्रशेखर के पीएम बनने के 6 महीने बाद (मई 21, 1991) राजीव गाँधी की हत्या हुई। अगर उनकी सुरक्षा कभी कम भी कर दी गई थी, तो क्या कॉन्ग्रेस समर्थित सरकार ने भी कॉन्ग्रेस अध्यक्ष को उचित सुरक्षा नहीं दी? उनको मिलने वाले पीएसओ की संख्या नहीं बढ़ाई?
From May 1991 till 2004, the Congress blamed its present ally the DMK for Shri Rajiv Gandhi’s assassination. It even withdrew support from the United Front government on this ground. 28 years later, today a desperate Congress has discovered a BJP role.
— Chowkidar Arun Jaitley (@arunjaitley) May 9, 2019
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक और मुद्दे की ओर लोगों का ध्यान खींचा है। उस समय कॉन्ग्रेस ने द्रमुक (DMK) को राजीव गाँधी की हत्या के लिए दोषी ठहराया था। वही डीएमके, जो आज कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए गठबंधन का हिस्सा है। जेटली ने कहा कि अचानक से 28 सालों बाद अब इस मामले में कॉन्ग्रेस ने भाजपा में दोष खोजने की कोशिश की है। अतः, कॉन्ग्रेस के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल का बयान भ्रामक है।